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क्यों हीरोइन की गले में सिर्फ हार पहनाने से घबरा रहे थे Ashok Kumar? तोड़ दिया था खलनायक का पांव

अशोक कुमार अपने जमाने के मशहूर अभिनेता थे। उनके चाहने वाले उन्हें प्यार से दादामुनि भी बुलाते थे। 13 अक्टूबर साल 1911 में जन्मे दिग्गज अभिनेता की112वीं बर्थ एनिवर्सरी मना रहे हैं। अशोक कुमार ने अपने करियर की शुरुआत हिमांशु रॉय की फिल्म जीवन नैया से की थी। इस फिल्म को करते हुए वह एक्ट्रेस के गले में हार पहनाने तक से इतना घबरा गए कि सेट से भाग गए।

By Jagran News Edited By: Tanya Arora Updated: Sun, 13 Oct 2024 07:00 AM (IST)
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अशोक कुमार बर्थ एनिवर्सरी/ फोटो- Jagran Graphic

एंटरटेनमेंट डेस्क, मुंबई। सिनेमा के सुनहरे दौर की हर दूसरी फिल्म में नजर आ जाते हैं अशोक कुमार। दादामुनि के नाम से मशहूर हुए अशोक कुमार ने क्यों पहली ही फिल्म में तोड़ डाले थे फिल्म के खलनायक के पांव। अशोक कुमार की जन्मतिथि (13 अक्टूबर) पर अनंत विजय बता रहे हैं उनसे जुड़े कुछ रोचक प्रसंग...

1936 में अशोक कुमार ने की थी शुरुआत 

सुबह के साढ़े नौ बजे थे। बॉम्बे टॉकीज की एक फिल्म की शूटिंग शुरू होने वाली थी। बॉम्बे टॉकीज के कर्ता-धर्ता हिमांशु राय ने अपनी नई फिल्म में एक नए लड़के को नायक के तौर पर लेने का निर्णय किया था। फिल्म का नाम था ‘जीवन नैया’ और युवक थे अशोक कुमार। सुबह-सुबह जब अशोक शूटिंग के लिए फिल्म के सेट पर पहुंचे तो उनको देखकर हिमांशु राय चौंके। अशोक कुमार ने बेतरतीब तरीके से अपने बाल कटवा लिए थे।

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हिमांशु राय ने उनसे पूछा कि ये क्या है अशोक? हकलाते हुए अशोक कुछ बोलते इसके पहले ही हिमांशु राय ने हेयर ड्रेसर को बुलाकर कहा कि इनके बाल ठीक करो। विग लगाओ। अशोक ने हिमांशु राय की ओर कातर भाव से देखते हुए कहा, "सर कुछ कहना चाहता हूं"। हिमांशु राय ने अपने अंदाज में कहा कि- बोलो। अशोक ने हिमांशु राय का हाथ पकड़ा और उनको सेट के एक कोने में लेकर जाकर धीरे से बोले, ‘मैं आपके कहने पर फिल्म में काम तो कर लूंगा पर मुझे नायिका के आलिंगन के लिए मत कहिएगा। वो मुझसे हो नहीं पाएगा।’

जीवन नैया फिल्म की फोटो- Imdb

हार पहनाते हुए अशोक कुमार के कांपने लगे थे हाथ

हिमांशु राय ने पूछा- क्यों?, जब अशोक चुप रहे तो हिमांशु ने आश्वस्त किया कि ऐसा कोई दृश्य फिल्म में नहीं होगा। उसके बाद मेकअप आर्टिस्ट अशोक को लेकर चली गई। मेकअप और गेटअप ठीक करवाकर जब अशोक सेट पर पहुंचे तो उनके होश उड़ गए। सामने देविका रानी थीं, जिनके साथ उनको पहला ही शॉट देना था।

अशोक को निर्देशक ने सीन समझाया। अशोक नर्वस हो रहे थे। हिमांशु राय उनके पास पहुंचे, उनके कंधे पर हाथ रखकर बोले कि ये बहुत ही सामान्य बात है कि एक लड़का अपनी प्रेमिका के लिए सोने का हार लाता है और उसके गले में डालता है। तुमको इतना ही करना है। अशोक कुमार हाथ में सोने की चेन लेकर देविका रानी के पास पहुंचते हैं। नायिका के करीब पहुंचते ही वो नर्वस हो जाते हैं और बाथरूम की ओर भाग जाते हैं। थोड़ी देर बाद वापस आते हैं। दृश्यांकन आरंभ होता है।

youtube screen shot from film jeevan naiyaa

अशोक कांपते हाथों से देविका रानी के गले में हार डालने का प्रयास करते हैं। हार उनके बालों में उलझ जाता है। फिर से प्रयास करने को कहा जाता है। इस बार निर्देशक शूटिंग नहीं रोकते हैं और अशोक कुमार को कहते हैं कि वो गले में हार डालें। अशोक कुमार ने इतनी जोर से हार पहनाने का प्रयास किया कि देविका रानी के बाल ही खुल गए और फिर निर्देशक ने सिर पीट लिया।

मां ने फिल्मों में कदम रखने से पहले दी थी सख्त हिदायत

दरअसल अशोक कुमार दो बातों से बुरी तरह से घबरा रहे थे। एक तो उनके बॉस की पत्नी नायिका थी, दूसरे, उनकी मां ने कह रखा था कि फिल्मों में काम करने जा तो रहे हो, लेकिन लड़कियों से दूर ही रहना। आखिरकार ये सीन बाद में शूट करने का निर्णय हुआ। दूसरा सीन कुछ यूं था कि फिल्म का खलनायक अभिनेत्री को छेड़ने की कोशिश करेगा। अशोक कुमार को उसको धक्का देकर गिराना था।

निर्देशक ने उनको सीन समझाया। कहा कि वो 10 गिनेंगे और जैसे ही 10 पूरा होगा, धक्का देना है। शॉट आरंभ हुआ। निर्देशक ने गिनती आरंभ की। घबराए अशोक कुमार ने 10 पूरा होने की प्रतीक्षा नहीं की और खलनायक को धक्का दे दिया। धक्का इतनी जोर का था कि देविका रानी और खलनायक दोनों धड़ाम से फर्श पर गिरे। खलनायक का पांव टूट गया। देविका रानी खिलखिलाते हुए उठ खड़ी हुईं। उस दिन शूटिंग रोकनी पड़ी।

दरअसल, अशोक कुमार के जीवन की कहानी बहुत दिलचस्प है। उनका ननिहाल बिहार के भागलपुर में था। उनकी मां ने एक लड़की के साथ उनका रिश्ता तय किया था। लड़की के पिता को जब पता चला कि अशोक कुमार फिल्मों में काम करने वाले हैं तो उन्होंने रिश्ता तोड़ दिया। 1934 में अशोक कुमार ने हिमांशु राय की कंपनी बॉम्बे टॉकीज में नौकरी आरंभ की थी। हिमांशु राय ने उनको अभिनेता बना दिया। उधर अशोक कुमार की मां को जब पता चला कि बेटा फिल्मों में काम करने वाला है तो उन्होंने नसीहत दी कि फिल्मी लड़कियों से दूर रहना। 1938 तक अशोक कुमार की छह फिल्में आ चुकी थीं।

इस फिल्म से मिली अशोक कुमार को लोकप्रियता 

फिल्म ‘अछूत कन्या’ से उनको प्रसिद्धि भी मिल चुकी थी। उधर उनकी मां परेशान थीं कि बेटा इतनी लड़कियों के बीच रहता है क्या पता, क्या कर ले। वो अपने बेटे की शादी को लेकर चिंतित रहने लगी थी। 1938 के अप्रैल में मुंबई में अशोक कुमार को एक टेलीग्राम मिला, जो उनके पिता ने भेजा था। उसमें लिखा था कि जल्दी से खंडवा आ जाओ, अति आवश्यक है। उस समय अशोक कुमार फिल्म ‘वचन’ की शूटिंग कर रहे थे। उन्होंने फौरन निर्देशक और निर्माता से बात की और खंडवा रवाना हो गए। ट्रेन खंडवा पहुंची।

अशोक कुमार ट्रेन से उतरने लगे तो देखा कि उनके पिताजी ट्रेन के अंदर आ रहे हैं। वो रुक गए। पिताजी ने आते ही कहा कि ट्रेन से उतरने की जरूरत नहीं है। हमें आगे कलकत्ता (अब कोलकाता) जाना है। उनको पिताजी से पूछने की हिम्मत नहीं हुई। पिताजी ने ही कहा कि लेडीज डिब्बे में जाकर अपनी भाभी से मिल लो। वो भाभी से मिलने पहुंचे तो भाभी मुस्कुरा दीं।

अछूत कन्या पोस्टर: IMDB

शादी के लिए बिन बताए ले गए थे कलकत्ता 

अशोक कुमार ने पूछा कि हम कलकत्ता क्यों जा रहे हैं? भाभी ने शरारती मुस्कान के साथ कहा कि देवर जी, बनो मत, हम तुम्हारी शादी के लिए कलकत्ता जा रहे हैं। अशोक जोर से हंसे और अपने डिब्बे में आ गए। अशोक कलकत्ता पहुंचे तो उनकी मां और अन्य रिश्तेदार पहले से वहां थे। नाटकीय घटनाक्रम में अशोक कुमार की शादी कर दी जाती है। उनके बहनोई शशधर मुखर्जी भी शादी में नहीं पहुंच पाते हैं।

ये दिन था- 14 अप्रैल, 1938 और अशोक कुमार की पत्नी का नाम था शोभा। अशोक कुमार शादी करके मुंबई (तब बॉम्बे) लौटे। शादी के बाद अशोक कुमार की प्रसिद्धि और आय दोनों में बढ़ोतरी हुई। अशोक कुमार की मां निश्चिंत हो गईं कि बेटा फिल्मों में काम करके भी बिगड़ेगा नहीं!

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