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Ali Abbas Zafar ने शेयर किया Bade Miyan Chote Miyan से जुड़ने का किस्सा, बताया कौन सा पार्ट लिखना था सबसे मुश्किल

फिल्म Bade Miyan Chote Miyan इन दिनों काफी चर्चा में बनी हुई है। यह मूवी कुछ ही दिनों में रिलीज होने के लिए तैयार है। अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ स्टारर इस फिल्म का निर्देशन Ali Abbas Zafar ने किया है। अब एक खास बातचीत में उन्होंने फिल्म से जुड़ी कई बातें शेयर की हैं। चलिए जानते हैं उनके बारे में।

By Jagran News Edited By: Rajshree Verma Updated: Sun, 07 Apr 2024 04:15 PM (IST)
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अली अब्बास जफर से खास बातचीत (Photo Credit: Jagran Graphics)
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। इस सप्ताह बड़े पर्दे पर प्रदर्शन को तैयार है फिल्म 'बड़े मियां छोटे मियां'। फिल्म में अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ का हैरतअंगेज एक्शन नजर आएगा। फिल्म से जुड़ी तमाम बातें साझा कीं निर्देशक अली अब्बास जफर ने...

निर्माता वासु भगनानी ने कहा था कि इस फिल्म से जुड़ने का आपका दिलचस्प वाकया है?

(मुस्कुराते हुए) यह वाकई दिलचस्प कहानी है। जैकी भगनानी (वासु के बेटे और फिल्म निर्माता) ने मुझे फोन पर कहा कि कैसा रहे, अगर एक ही फिल्म में मैं आपको अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ दूं। मैंने कहा कि एक्शन से प्यार करने वाले के लिए यह सर्वश्रेष्ठ प्रस्ताव होगा। खुशकिस्मती से उस समय मैं दो हीरो वाली एक्शन फिल्म ही लिख रहा था। मुझे बस दो एक्शन हीरो चाहिए थे। वो एक साथ मिल गए।

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इस फिल्म का आइडिया कहां से आया?

यह अभी बता दूंगा, तो फिल्म की पूरी कहानी खुल जाएगी। मैं बस इतना कह सकता हूं कि इसका आइडिया भी मेरी बाकी फिल्मों की तरह आज के दौर की समस्या है। जो कहीं न कहीं हम सबके आस-पास है। यह किसी दिन विशालकाय रूप में आएगी और हमें अचानक से अनुभव होगा कि यह क्या हो गया, अब क्या करें। वह तकनीक से जुड़ी समस्या है, एआई भी उसका बहुत बड़ा हिस्सा है। आपको फिल्म देखकर समझ आएगा कि वो हमारे लिए क्यों खतरनाक है।

सिनेमा पर एआई का कैसा प्रभाव पा रहे हैं?

मैं तो कह रहा हूं कि हम बहुत खतरे में हैं। अगर एआई को विजुअल तरीके से इस्तेमाल कर रहे हैं, तो मुझे कोई समस्या नहीं है। कहीं न कहीं हमारा वीएफएक्स भी आर्टिफिशियल तरीके से ही बनता है। आज हर सॉफ्टवेयर में एआई है। मैं हमेशा कहता हूं कि कला एक बहुत आर्गेनिक प्रक्रिया है। अगर इसके बीच में हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस ले आए तो समस्या होगी। वो ऐसा दुश्मन है जो सारी रचनात्मकता को खत्म कर देगा।

इसलिए पूरी दुनिया में क्रिएटिव लोग इसके खिलाफ हैं। हाल ही में जावेद अख्तर साहब ने एक इंटरव्यू में बहुत अच्छी बात कही थी कि एआई सब कुछ कर सकता है, लेकिन क्या भावनाओं को पैदा कर सकता है। बतौर इंसान जो हमें जिंदा रखता है वो हमारी भावनाएं ही हैं। मैं निजी तौर पर एआई के आइडिया के जरूरत से ज्यादा इस्तेमाल के विरुद्ध हूं।

फिल्म में कंप्यूटर जेनरेटेड इमेज (सीजीआई ) का कितना प्रयोग किया है? मैं कहूंगा कि हमने 80 प्रतिशत चीजें वास्तविक की हैं। मैं सीजीआई (कंप्यूटर ग्राफिक्स का उपयोग कर थ्रीडी तस्वीरें बनाना, इफेक्ट देना) को गलत नहीं मानता हूं। हालीवुड भी इसका इस्तेमाल करता है। मेरे विचार से फिल्म ‘एवेंजर्स’ करीब 70 प्रतिशत सीजीआइ पर ही बनी है। उसमें कुछ गलत नहीं है।

हर फिल्ममेकर का कहानी कहने का तरीका होता है। मुझे जिस तरह की कहानी बनाना पसंद है, उसमें मैं सीजीआई को सपोर्ट टूल की तरह इस्तेमाल करता हूं। कई बार किसी स्टंट में जोखिम होता है, तो हम उसे सीजीआई का सपोर्ट लेकर कर सकते हैं। वो भी आर्गेनिक प्रक्रिया है। उसे सही तरीके से करना ही समझदारी है। हमारा काम ऐसा सिनेमा बनाना है, जो लोगों का मनोरंजन करे।

फिल्म का कौन सा भाग लिखना सबसे मुश्किल था?

इसमें क्लाइमेक्स बहुत मुश्किल भाग था। यह किसी युद्ध आधारित फिल्म सरीखा है। असल युद्ध, जिसमें कई ट्रैक हैं। इसे लिखना और शूट करना काफी ट्रिकी था। जैसे ट्रेलर से पता चल जाता है कि कहानी समय के साथ बंधी है। दुश्मन ने एक समय दिया है तो उस समय के भीतर मिशन को पूरा करना है। उसके कई ड्राफ्ट लिखे गए। इस फिल्म के कई सारे धागे हैं, उन्हें संजोने में काफी वक्त लगा। मगर जिस तरह से क्लाइमेक्स बाहर आया है, उससे मैं खुश हूं।

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