Pippa: 'हमने बांग्लादेश बनाया लेकिन हमें मान्यता नहीं मिली...', 1971 के वॉर हीरो बलराम सिंह मेहता का छलका दर्द
Pippa ईशान खट्टर स्टारर फिल्म पिप्पा ब्रिगेडियर बलराम सिंह मेहता की लिखी किताब द बर्निंग चैफीज पर आधारित है। फिल्म में बलराम सिंह का किरदार ईशान खट्टर ने निभाया है। हाल ही में वॉर हीरो बलराम सिंह ने 1971 के युद्ध की कहानी और ईशान खट्टर के बारे में खुलकर बात की है। जानिए बलराम सिंह ने क्या कहा है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Pippa: ईशान खट्टर और मृणाल ठाकुर स्टारर फिल्म 'पिप्पा' ओटीटी प्लेटफॉर्म प्राइम वीडियो पर रिलीज हो गई है। फिल्म को दर्शकों से खूब प्यार मिल रहा है। यह फिल्म ब्रिगेडियर बलराम सिंह मेहता (Balram Singh Mehta) की लिखी किताब 'द बर्निंग चैफ़ीज़' पर आधारित फिल्म है, जो 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध की कहानी को दर्शाती है। हाल ही में, बलराम सिंह ने बताया कि उनकी टीम को उस तरह का सम्मान नहीं मिला, जिसके वह हकदार थे।
भारतीय सेना की 45वें कैवरली रेजीमेंट (45 Cavalry regiment) का नेतृत्व करने वाले ब्रिगेडियर बलराम सिंह मेहता (Balram Singh Mehta), देश के वो जांबाज सैनिक थे, जिन्होंने साहस और जुनून के दम पर अपनी टीम के साथ मिलकर पाकिस्तान के साथ युद्ध में विजय प्राप्त की थी। राजन मेनन निर्देशित 'पिप्पा' से गरीबपुर की लड़ाई के दौरान दिखाई गई वीरता से लोग को रूबरू कराया गया।
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दूसरे देश की आजादी के लिए लड़े बलराम सिंह
मिड-डे के मुताबिक, बलराम सिंह मेहता ने बताया कि वह यूं तो दूसरे देश की आजादी के लिए लड़े, लेकिन फिर भी उन्हें मान्यता नहीं मिली। बकौल बलराम, "यह दूसरे देश की आजादी के लिए लड़ी गई लड़ाई थी। 10,000 से अधिक शरणार्थी भारत आए और उन्हें एक ऐसी भूमि की आवश्यकता थी, जिसे वे अपना कह सकें। यह लड़ाई भारतीय सेना को सबक सिखाने के लिए पाकिस्तान के लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने शुरू की थी।"
बलराम सिंह ने आगे कहा, "कहानी यह है कि तत्कालीन भारतीय प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को नियुक्ति के बावजूद 40 मिनट तक व्हाइट हाउस में इंतजार कराया गया था। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। वह दौरे से लौटीं और भारतीय सेना को दूसरे देश की सीमा में 10 किलोमीटर तक घुसने की इजाजत दे दी। गरीबपुर की लड़ाई में हमारी जीत ब्रेकिंग न्यूज बन गई।"
मान्यता प्राप्त न होने पर छलका दर्द
बलराम सिंह ने आगे कहा, "भले ही हमने बांग्लादेश का निर्माण किया, लेकिन हमारा योगदान भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त नहीं है। यूनिट को केवल इस आधार पर सम्मान नहीं दिया गया है, क्योंकि पाकिस्तान द्वारा युद्ध की घोषणा नहीं की गई थी। मैंने 1971 में टैंक सैनिकों से किए गए एक वादे के रूप में द बर्निंग चैफ़ीज़ लिखी थी।"
ईशान खट्टर पर क्या बोले बलराम सिंह मेहता?
'पिप्पा' फिल्म में बलराम सिंह का किरदार ईशान खट्टर ने निभाया है। बलराम ने ईशान की जमकर तारीफ की और कहा कि वह इस रोल में एकदम फिट बैठते हैं।
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