इस चीज को पाकर बचपन में खुद को रईस समझते थे Manoj Bajpyee, कबाब की खुशबू से ही काम चलाते थे 'भैया जी'
मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) इन दिनों अपनी फिल्म भैया जी को लेकर चर्चा में हैं। अभिनेता को इंडस्ट्री में पूरे 30 साल हो चुके हैं और ये उनकी 100वीं फिल्म है। इन सालों में अभिनेता ने पर्दे पर खूब नाम कमाया है। अभिनेता ने फिल्म बैंडिट क्वीन से अपने करियर की शुरुआत की थी लेकिन उन्हें पहचान सत्या फिल्म से मिली थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मुंबई का किंग कौन? ... भीकू म्हात्रे"। ये डायलॉग ही नहीं बल्कि मनोज बाजपेयी का सच भी है। जो आज पर्दे पर साफ-साफ दिखाई दे रहा है। यह डायलॉग फिल्म 'सत्या' का है। जो अभिनेता के लिए एक बड़ा गेम-चेंजर साबित हुई। बॉलीवुड में वह पिछले 30 सालों से हैं और इन सालों में अभिनेता ने पर्दे पर खूब नाम कमाया है।इस नाम के साथ उन्होंने खूब शोहरत भी कमाई। आज वो और उनका परिवार एक लग्जरी लाइफ जी रहा है, लेकिन एक वक्त था, जब वह कबाब और कोल्ड ड्रिंक को अपनी रईसी से तोला करते थे। ऐसा हम नहीं बल्कि खुद एक्टर ने इसका खुलासा किया है।
यह भी पढे़ं- Manoj Bajpayee के मुंह से खुद की तारीफ सुन विवियन रिचर्ड्स ने दिया था ये रिएक्शन, सुनकर अभिनेता के उड़ गये थे होश
क्या थी मनोज बाजपेयी की रईसी
मनोज बाजपेयी इन दिनों अपनी फिल्म 'भैया जी' को लेकर चर्चा बोटर रहे हैं। ये फिल्म मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) की 100वीं फिल्म है। जो हाल ही में सिनेमाघरों में रिलीज हुई है। एक तरफ जहां 'भैया जी' लोगों के दिलों पर राज कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी तरफ अभिनेता का एक पुराना वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें वह अपनी रईसी का खुलासा करते नजर आ रहे हैं और ये खुलासा उन्होंने अनुपम खेर के शो 'द अनुपम खेर शो' (The Anupam Kher Show) में किया था।
मनोज बाजपेयी बिहार के वेस्ट चंपारण के बेलवा गांव के रहने वाले हैं, उनके पिता किसान थे। ऐसे में जब शो में अनुपम खेर ने उनसे उनकी गरीबी को लेकर सवाल किया तो उन्होंने बताया था, मुझे मेरी गरीबी का बहुत एहसास हुआ करता था, लेकिन में खर्चीला भी था। मुझे कोल्ड ड्रिंक पीने का बहुत शौक था, लेकिन रोज-रोज नहीं पी सकता था। बस दूर से देख सकता था क्योंकि तब मेरी पॉकेट में पैसे नहीं हुआ करते थे, लेकिन जब 1 रूपये पिता से ज्यादा मिल जाया करते थे। तो मैं सबसे पहले कोल्ड ड्रिंक पीने जाता था और एक साथ दो-दो पीता था। इसी के साथ गाने के लिए कबाब मिलते थे, लेकिन मैं देखकर रह जाता था क्योंकि पैसे नहीं हुआ करते थे खाने के लिए। उन दिनों मैं सोचता था कि इस दिन 20-25 रुपये ज्यादा आएंगे तब खाऊंगा। ये दोनों मेरी रईसी की निशानी थी।