जब
इमरजेंसी लागू हुई, तब न केवल आम जनता, बल्कि फिल्म इंडस्ट्री से जुड़े सितारों ने भी
इंदिरा गांधी के इस फैसले के खिलाफ आवाज उठाई थी, जिसका उन्हें हर्जाना भी चुकाना पड़ा। 'इमरजेंसी' के 48 साल पूरे होने पर जानिए किन फिल्मी सितारों ने इसका विरोध किया था।
किशोर कुमार ने कैसे किया था इमरजेंसी का विरोध?
हिंदी सिनेमा के दिग्गज गायकों और अभिनेताओं में से एक
किशोर कुमार (Kishore Kumar) उन चुनिंदा सितारों की लिस्ट में शुमार थे, जिन्होंने इमरजेंसी का विरोध किया था।
इमरजेंसी से नाराज
किशोर कुमार ने पहले मुंबई में युवा कांग्रेस की रैली में परफॉर्म करने वाले इन्विटेशन को अस्वीकार कर दिया था। इसके बाद उन्होंने संजय गांधी के 20-सूत्रीय आर्थिक कार्यक्रम को बढ़ावा देने वाले विज्ञापन बनाने और उनमें भाग लेने का प्रस्ताव भी ठुकरा दिया था।
इस बात से तत्कालीन सूचना और प्रसारण (I&B) मंत्री वीसी शुक्ला काफी गुस्सा हुए थे और उन्होंने अनौपचारिक तरीके से
किशोर कुमार के गानों को ऑल इंडिया रेडियो और दूरदर्शन पर लगभग छह महीने के लिए ब्लैकलिस्ट कर दिया था। बाद में
मोहम्मद रफी ने किशोर कुमार पर लगे बैन को हटवाया था।
शत्रुघ्न सिन्हा को मिली थी धमकी
किशोर कुमार की तरह
शत्रुघ्न सिन्हा (Shatrughan Sinha) बॉलीवुड के उन साहसी अभिनेताओं में से एक थे, जो इमरजेंसी के खिलाफ खड़े रहे।
संजय गांधी और वीसी शुक्ला ने पूरी कोशिश की थी कि वे फिल्मी सितारों को इमरजेंसी के पक्ष में प्रचार-प्रसार करवाए। यहां तक कि उन्होंने सितारों को चुनाव के लिए प्रसार-प्रसार करने का दबाव बनाया।
Shatrughan Sinha Photo- Instagramशत्रुघ्न सिन्हा से भी इसमें भाग लेने के लिए कहा गया, लेकिन उन्होंने साफ इनकार कर दिया। इसकी वजह से न केवल उनकी फिल्मों को दूरदर्शन पर बैन कर दिया गया था, बल्कि धमकी भी मिली थी कि अगर वह बिहार में पार्टी के लिए कैंपेन नहीं करेंगे तो उन्हें
बड़ौदा डायनामाइट केस में फंसा दिया जाएगा।
सरकार से लड़ने के लिए देव आनंद ने बनाई थी पार्टी
देव आनंद (Dev Anand) ने
इमरजेंसी के खिलाफ अपनी आवाज उठाई और खुलेआम इंदिरा गांधी के फैसले की निंदा की। अन्य विरोधियों की तरह उनकी भी आवाज दबाने की पुरजोर कोशिश की गई। उनकी फिल्म 'देस परदेस' में कांग्रेस ने बहुत बाधा डालने की कोशिश की थी। हालांकि, देव आनंद कहां किसी से डरने वाले। वह पब्लिक प्लेटफॉर्म पर इसका विरोध करते रहे और प्राण, साधना व ऋषिकेश मुखर्जी जैसे सितारों ने उनका सपोर्ट किया।
Dev Anand Photo- Twitterमुंबई के जुहू बीच पर एक सार्वजनिक भाषण के दौरान देव आनंद ने
इंदिरा गांधी और उनके बेटे
संजय गांधी को 'तानाशाह' बताकर हमला बोला। यही नहीं, उन्होंने सरकार से मुकाबला करने के लिए उस समय नेशनल पार्टी नामक एक राजनीतिक दल भी बनाया था।
मनोज कुमार की फिल्मों पर लटकी तलवार
फिल्म इंडस्ट्री के दिग्गज अभिनेता और निर्देशक रहे
मनोज कुमार (Manoj Kumar) भी 'इमरजेंसी' के खिलाफ खड़े रहे। संडे गार्जियन से बातचीत में मनोज ने बताया था कि उन्हें अमृता प्रीतम द्वारा लिखित एक आपातकाल-समर्थक डॉक्युमेंट्री का निर्देशन करने के लिए कहा गया था। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उन्हें स्पेशली फोन कर इसका निर्देशन करना का प्रस्ताव दिया था। हालांकि, उन्होंने साफ-साफ मना कर दिया। साथ ही अमृता को ये भी कहा कि क्या वह एक लेखक के रूप में बिक चुकी हैं। इतना कहते ही अमृता को शर्म महसूस होने लगी और उन्होंने एक्टर को स्क्रिप्ट जलाने तक के लिए कह दिया था।
Manoj Kumar Photo- Twitterमनोज कुमार ने सरकार से पंगा ले लिया था, अब इसका रिएक्शन तो सामने आना ही था। धीरे-धीरे मनोज की फिल्मों को दूरदर्शन से बैन कर दिया गया। हालांकि, मनोज कुमार ने इसे बर्दाश्त नहीं किया और कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केस जीत गए। मनोज ऐसे पहले फिल्म निर्माता थे, जिन्होंने इमरजेंसी के खिलाफ मुकदमा लड़ा और जीता भी था।
महीनों जेल में कैद रहीं ये एक्ट्रेस
बॉलीवुड के दिलेर सितारों में एक नाम नेशनल अवॉर्ड विनिंग एक्ट्रेस
स्नेहलता रेड्डी (Snehlata Reddy) का भी है, जिन्होंने
इमरजेंसी का विरोध तो किया, साथ ही कई आंदोलन में भी शामिल रहीं। इसकी वजह से एक्ट्रेस को गिरफ्तार कर लिया गया था और उनके खिलाफ मनगढ़ंत आरोपों पर कठोर एमआईएसए (आंतरिक सुरक्षा रखरखाव अधिनियम) के तहत मामला दर्ज किया गया था।
Snehlata Reddy Photo- Twitterस्नेहलता को बिना किसी मुकदमे के 8 महीने तक बेंगलुरु सेंट्रल जेल में बंद रखा गया। इस दौरान उन्हें अमानवीय परिस्थितियों और यातनाओं का सामना करना पड़ा। आखिर में उन्हें ऐसी बीमारी हो गई, जिसने उनकी जान ले ली। जेल से रिहा होने के ठीक 5 दिन बाद ही उनका निधन हो गया था।