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ऐसा डायरेक्टर जो शाह रुख़ ख़ान को भी बना दे 'ज़ीरो'... 2018 में एक नहीं पूरे 6 हैं!

2018 में ऐसी फ़िल्में आ रही हैं, जिनमें ऐसे एक्टर और डायरेक्टर्स पहली बार साथ काम कर रहे हैं और जिनकी फ़िल्मों का चुनाव हमेशा से अलग रहा है।

By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 06 Jan 2018 10:07 AM (IST)
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ऐसा डायरेक्टर जो शाह रुख़ ख़ान को भी बना दे 'ज़ीरो'... 2018 में एक नहीं पूरे 6 हैं!
मुंबई। फ़िल्म बनाने का हर डायरेक्टर का अपना एक स्टाइल होता है, जिसके लिए वो मशहूर होते हैं। अगर आप फ़िल्मों के शौक़ीन हैं तो उस डायरेक्टर का नाम सुनते ही समझ जाते हैं कि किस तरह की फ़िल्म देखने वाले हैं।

मसलन, ऋषिकेश मुखर्जी का नाम लेते ही आप 'चुपके-चुपके' जैसी हल्की-फुल्की पारिवारिक कॉमेडी फ़िल्म की उम्मीद करते हैं, वहीं डेविड धवन का नाम लेने पर आपको गोविंदा स्टारर स्लैपस्टिक कॉमेडी फ़िल्में याद आ जाती होंगी, जो अक्सर द्विअर्थी संवादों और उत्तेजक डांस मूव्स के लिए क्रिटिसाइज़ की जाती थीं। मगर, फ़िल्म के लिए उत्सुकता तब बढ़ जाती है,जब निर्देशक का सिनेमाई मिज़ाज और अभिनेता की अदाकारी का अंदाज़ मेल ना खाता हो। 2018 में ऐसी फ़िल्में आ रही हैं, जिनमें ऐसे एक्टर और डायरेक्टर्स पहली बार साथ काम कर रहे हैं और जिनकी फ़िल्मों का चुनाव हमेशा से अलग रहा है। 

बाल्की-अक्षय

डायरेक्टर और एक्टर की ऐसी जोड़ियों में पहला नाम आता है अक्षय कुमार और आर बाल्की का। बाल्की ऑफ़बीट विषयों पर फ़िल्में बनाने के लिए जाने जाते हैं, जो भले ही लोकप्रिय ना हों, पर सोचने के लिए विवश करती हैं। 'चीनी कम', 'पा', 'शमिताभ' और 'की एंड का' जैसी फ़िल्में बाल्की के सिनेमा को परिभाषित करती हैं। वहीं अक्षय कुमार विशुद्ध मसाला फ़िल्मों के नायक रहे हैं। 'जॉली एलएलबी2' और 'टॉयलेट- एक प्रेम कथा' भले ही आम आदमी की कहानी कहती हों, मगर उनमें मसालों की कमी नहीं होती। 'पैड मैन' में बाल्की ने अक्षय को डायरेक्ट किया है, जो सस्ते सेनेटरी नैपकीन बनाने वाले अरुणाचलम मुरुगनाथम की बायोपिक है। बाल्की के निर्देशन में अक्षय को देखना दिलचस्प होगा। 

शुजित-वरुण

'बदलापुर' को छोड़ दें तो वरुण धवन के करियर में मसाला एंटरटेनर फ़िल्मों के अलावा कुछ नहीं है। रोमांस और कॉमेडी के इर्द-गिर्द उनकी फ़िल्में घूमती रहती हैं। वहीं, शुजित कंटेंट प्रधान फ़िल्मों के लिए जाने जाते हैं। 'विकी डोनर' और 'पीकू' शुजित स्टाइल फ़िल्में हैं। ऐसे में शुजित के निर्देशन में बनी 'अक्टूबर' में वरुण को एक्टिंग करते देखना मज़ेदार रहेगा। 

रेमो-सलमान

रेमो फ़र्नांडिस ने वैसे तो 'फालतू' से बतौर डायरेक्टर डेब्यू किया था, मगर वो डांस फ़िल्में 'एबीसीडी' और 'एबीसीडी2' के लिए जाने जाते हैं। इसीलिए जब उन्हें 'रेस3' जैसी तेज़ रफ़्तार एक्शन-थ्रिलर फ़िल्म बनाने की ज़िम्मेदारी दी गयी तो हैरानी होना स्वाभाविक थी। इसमें सलमान ख़ान लीड रोल निभा रहे हैं। रेमो और सलमान की जुगलबंदी उत्सुकता जगाने के लिए काफ़ी है।

रोहित-रणवीर

रोहित शेट्टी की अधिकांश फ़िल्में एक्शन-कॉमेडी के इर्द-गिर्द घूमती हैं। फ़िल्म भले ही अजय देवगन के साथ हो या शाह रुख़ ख़ान के संग, रोहित का अंदाज़ नहीं बदलता। अंदाज़े-रोहित 'सिम्बा' में भी नहीं बदलेगा, मगर हीरो ज़रूर बदल गया है। 'सिम्बा' में रोहित पहली बार रणवीर सिंह का डायरेक्ट करेंगे। इस फ़िल्म के इंतज़ार की सबसे बड़ी वजह यही है। रणवीर की ऊर्जा और रोहित की ह्यूमर क्या गुल खिलाता है, इसका इंतज़ार रहेगा।

राजकुमार-रणबीर

 

मुन्नाभाई सीरीज़, 'पीके' और '3 इडियट्स' जैसी फ़िल्में देने वाले राजकुमार हिरानी इस साल संजय दत्त की बायोपिक लेकर आ रहे हैं, जिसमें लीड रोल में नज़र आएंगे रणबीर कपूर। हिरानी और रणबीर, दोनों की ये पहली बायोपिक है। हिरानी जिस तरह अपनी फ़िल्मों के नैरेशन में ह्यूमर की परत बिछाते चलते हैं, उसके लिए इस बायोपिक का इंतज़ार रहेगा। 

आनंद-शाह रुख़

2018 की सबसे चौंकाने वाली जोड़ी शाह रुख़ ख़ान और आनंद एल राय की है। 'रांझणा' और 'तनु वेड्स मनु' जैसी फ़िल्में बनाने वाले आनंद और रोमांस के किंग शाह रुख़ की फ़िल्में बिल्कुल अलग होती हैं। इन दो अलग मिज़ाज वाले निर्देशक-एक्टर के साथ आने का नतीजा आप देख ही रहे हैं, आनंद ने शाह रुख़ को 'ज़ीरो' बना दिया है और ये ज़ीरो लोगों को काफ़ी पसंद आ रहा है, उत्सुकता भी जगा रहा है।