हम सब बहुत स्वार्थी... खुद की बजाय किसी और को अहमियत देना आसान नहीं समझते Vijay Varma
विजय कहते हैं- निस्वार्थी बनने के लिए भी आपको कुछ अपनाना और कुछ छोड़ना पड़ता है। उसमें अपना स्वार्थ न देखना आसान नहीं होता है। खैर यह चीजें बहुत अलग होती हैं। जब आप खुद के लिए कुछ चुनते हैं तो जाने-अनजाने अपना ख्याल पहले आता ही है।
दैनिक जागरण से की बात
जब मैं अपने आसपास किसी को देखता हूं, जिसने अपने जीवन में किसी और के लिए कोई प्रेरणात्मक कदम उठाया है, जिसमें उसका कोई स्वार्थ नहीं, तो मैं उसके सामने छोटा महसूस करता हूं। इसकी वजह यह है कि किसी ने बहुत बड़ी च्वाइस की है, जहां उसने अपने सामने किसी और को ज्यादा अहमियत दी है। मैं वैसा बिल्कुल नहीं हूं, जो अपने लिए वैसी च्वाइसेस कर सकूं। खुद की बजाय किसी और को अहमियत देना आसान नहीं होता है। हम सब बहुत स्वार्थी होते हैं। निस्वार्थी बनने के लिए भी आपको कुछ अपनाना और कुछ छोड़ना पड़ता है। उसमें अपना स्वार्थ न देखना आसान नहीं होता है। खैर, यह चीजें बहुत अलग होती हैं। जब आप खुद के लिए कुछ चुनते हैं, तो जाने-अनजाने, अपना ख्याल पहले आता ही है।