बॉलीवुड में खुद को बेबस मानते हैं Kartik Aaryan, संघर्ष के दिनों को याद कर बोले- 'दर्द के बिना कोई...'
कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) जल्द कबीर खान (Kabir Khan) की आने वाली फिल्म चंदू चैम्पियन (Chandu Champion) में नजर आने वाले हैं। फैंस पिछले एक साल से इस मूवी का इंतजार कर रहे हैं। पहली बार अभिनेता ऐसे किरदार में नजर आएंगे। जो उन्होंने अपने 13 साल के करियर में नहीं निभाया। ये फिल्म गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पर बनी है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। कार्तिक आर्यन (Kartik Aaryan) इन दिनों अपनी आने वाली फिल्म 'चंदू चैम्पियन' (Chandu Champion) को लेकर चर्चा में हैं। अभिनेता इस फिल्म में गोल्ड मेडलिस्ट मुरलीकांत पेटकर की भूमिका में नजर आ रहे हैं। इस फिल्म का निर्देशन कबीर खान (Kabir Khan) ने किया है। तो वहीं, साजिद नाडियावाला इसके प्रोड्यूसर है।
शनिवार को इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज हुआ, जिसे दर्शकों ने खूब पसंद किया। अब फैंस फिल्म का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं, लेकिन फिल्म रिलीज से पहले कार्तिक आर्यन ने अपने इंडस्ट्री में बिताए हुए पलों को याद किया है और कहा है कि शुरुआती दिनों में मुझे कई बार फंसा हुआ या असहाय महसूस हुआ है।
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इंडस्ट्री में हुआ असहाय महसूस
अभिनेता कार्तिक आर्यन ने अपने करियर की शुरुआत साल 2011 में फिल्म प्यार का पंचनामा से की थी और इन 13 सालों में एक्ट्रेस की लाइफ में काफी कुछ बदलाव आए हैं। ऐसे में कार्तिक ने इंडस्ट्री में अपने सफर को याद किया। हिंदुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, ट्रेलर लॉन्च के दौरान अभिनेता से पूछा गया कि क्या उन्होंने कभी अपने करियर की शुरुआत में फिल्म में अपने किरदार की तरह 'विकलांग' महसूस किया था। 'विकलांगता नहीं, लेकिन मैं असहाय शब्द का उपयोग करूंगा। कभी-कभी असहाय महसूस करना स्वाभाविक है और यह जीवन में हर किसी के साथ होता है'।
आगे अभिनेता ने कहा, “हर किसी के अपने उतार-चढ़ाव थे, हर किसी के अपने संघर्ष थे जिनमें मैं भी शामिल था, लेकिन अगर आप पूछें कि क्या मैं अपनी यात्रा के बारे में कुछ बदलना चाहूंगा, तो मैं एक भी चीज नहीं बदलूंगा। अगर मौका मिला तो मैं इस मुकाम तक पहुंचने वाली उसी यात्रा को फिर से जीऊंगा।
मेहनत और ताकत बहुत लगी है
अपनी यात्रा को याद करते हुए, अभिनेता ने कहा, “हां, ऐसे कई उदाहरण थे जब मुझे असहाय महसूस हुआ लेकिन मैंने अपने पिता और मां, उनकी कड़ी मेहनत, उनके जुनून, उनके संघर्षों को देखा है। मैंने उन चीज़ों से बहुत कुछ सीखा है। मेरा मानना है कि दर्द के बिना कोई लाभ नहीं है। अगर मैं यहां खड़ा हूं और इतनी शानदार फिल्म ला रहा हूं तो इसे संभव बनाने में बहुत मेहनत और ताकत लगी है। इसके लिए बहुत सारे बलिदानों की आवश्यकता पड़ी, जिस पर मुझे गर्व है। कभी-कभी असहायता आ जाती है, लेकिन आपको हर चीज को एक चुटकी नमक के साथ लेना होता है।''