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सिनेमाघर बन गया था मंदिर, दर्शक चढ़ाते थे फूल और सिक्के, यह है वह फिल्म

फिल्म जय संतोषी मां में संतोषी मां का किरदार अनीता गुहा ने निभाया था।

By Rahul soniEdited By: Updated: Sat, 02 Jun 2018 10:38 PM (IST)
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सिनेमाघर बन गया था मंदिर, दर्शक चढ़ाते थे फूल और सिक्के, यह है वह फिल्म
मुंबई। सिनेमा समाज का आइना होता है। फिल्मों में जो दिखाया जाता है वो समाज में होने वाली घटनाओं से कही न कही जुड़ा होता है। धार्मिंक बातों के लेकर भी फिल्मों में दर्शाया जाता रहा है। फिल्म जय संतोषी मां इसका बहुत महत्वपूर्ण और बेहतरीन बड़ा उदाहरण है। इस फिल्म को सिनेमा के सफर में हमेशा याद रखा गया है और आगे भी रखा जाएगा क्योंकि हर व्यक्ति के दिल और दिमाग पर इस फिल्म ने अपनी छाप छोड़ी है। यह फिल्म 30 मई 1975 में रिलीज हुई थी।

जय संतोषी मां फिल्म को लेकर दर्शकों में आज भी असीम श्रद्धा है। जब भी वे इस फिल्म को देखते हैं तो इस बहाने भगवान को जरूर याद करते हैं। जय संतोषी मां एक फिल्म है जिसने दर्शकों के दिल और दिमाग पर असर डाला और घर-घर तक हर सदस्य तक पहुंची। इस फिल्म के शुरू होते ही आस्था का दिलचस्प नजारा जहां एक ओर सिनेमाघर में देखा जा सकता था वहीं घर-घर में आज भी टीवी पर इस फिल्म को या फिर फिल्म के कलाकारों को देखते ही श्रद्धा का सैलाब उमड़ पड़ता है। 30 मई के दिन ही 1975 में विजय शर्मा निर्देशित इस फिल्म ने सिनेमाघरों में दस्तक दी थी। बताया जाता है कि, इस फिल्म ने बॉक्स अॉफिस पर जबरदस्त सफलता हासिल की थी और 1975 में इस फिल्म को दीवार व शोले जैसी फिल्मों के बराबर सफलता हासिल हुई थी। जब भी इस फिल्म को दर्शक टेलीविजन या किसी और माध्यम से देखते हैं तो इस बहाने भगवान को याद करते हैं। वे इस फिल्म के जरिए भगवान से वो सबकुछ मांग लेते हैं जो वे अपने जीवन में चाहते हैं। अपार आस्था का एेसा उदाहरण शायद ही किसी और फिल्म को लेकर दिया जा सकता है।

चप्पल उतार देते थे

बताया जाता है कि, जय संतोषी मां जब रिलीज हुई थी तब सिनेमाघरों में दर्शक चप्पल-जूते बाहर उतार कर जाते थे। यही नहीं दर्शक घरों में भी इस फिल्म को चप्पल उतार कर देखते थे। बता दें कि, इस फिल्म को देखने को दौरान दर्शक पूरी आस्था के साथ भगवान का स्मरण करते हैं। जानकारी है कि, इस फिल्म को देखने गए दर्शकों ने फूल और चावल चढ़ाए थे। इसके साथ अमूमन हर शुक्रवार को भी लोग चप्पल उतार कर सिनेमाघरों में जाते थे चाहे फिल्म कोई भी हो।

शोले को लेकर यह है गलत जानकारी

जानकारी के मुताबिक यह कहा जाता रहा है कि, फिल्म शोले और जय संतोषी मां एक ही दिल रिलीज हुई थी। लेकिन एेसा नहीं है। दोनों फिल्मों की रिलीज डेट अलग है। फिल्म शोले 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई थी। वहीं, फिल्म जय संतोषी मां 30 मई 1975 को रिलीज हुई थी। मतलब जय संतोषी मां आने के 12 सप्ताह बाद अमिताभ बच्चन और धर्मेंद्र स्टारर शोले रिलीज हुई थी।

शहर-शहर बने थे संतोषी मंदिर

एक बात दिलचस्प यह है कि, फिल्म जय संतोषी मां आने के बाद दर्शकों में भगवान के प्रति श्रद्धा का भाव पहले से बढ़ा था। इसलिए शहर-शहर में संतोषी मां के मंदिर बनवाए गए थे।

आरती बन गया गाना

फिल्म जय संतोषी मां में गाना मैं तो आरती उतारू रे काफी प्रसिद्ध हुआ था। कई धार्मिक आयोजनों में यह गाना आज भी सुना जा सकता है। इस गीत को लेकर एक दिलचस्प बात यह है कि, यह फिल्म में बतौर आरती की तरह उपयोग किया गया था लेकिन बाद में यह खुद गाना बन गया। चूंकि, यह हर दर्शक की जुबा पर था।

धार्मिक फिल्मों का दौर हुआ था शुरू

फिल्म जय संतोषी मां के आने के बाद फिल्ममेकर्स को यह पता चल गया था कि धार्मिंक फिल्में भी चल सकती हैं और दर्शकों को पसंद आ सकती हैं। इसलिए विजय शर्मा ने 1976 में महालक्ष्मी मां बनाई थी। इसके बाद उन्होंने 1979 में महासती नैना सुंदरी बनाई थी। लेकिन जो छाप जय संतोषी मां फिल्म ने छोड़ी वो कोई और धर्मिंक फिल्म नहीं कर सकी।

सिल्वर स्क्रीन पर गोल्डन जुबली

जय संतोषी मां फिल्म के बारे में एक और खास बात यह है कि, इस फिल्म ने बॉक्स अॉफिस पर 100 फीसदी कमाई की थी। वहीं, इस फिल्म ने बिना किसी बड़ी स्टारकास्ट के सिल्वर स्क्रीन पर गोल्डन जुबली मनाई थी। मतलब 50 सप्ताह तक सिनेमाघर में रही थी। आपको बता दें कि, फिल्म जय संतोषी मां में संतोषी मां का किरदार अनीता गुहा ने निभाया था। इसके साथ आशीष कुमार, कनन कौशल, भरत भूषण, रजनी बाला, बेला बोस जैसे कलाकारों की अहम भूमिका थी। 

टीवी पर भी संतोषी मां

टेलीविजन पर माइथोलॉजीकल सीरियल्स बहुत बनते हैं और सफल भी रहते हैं। इस कड़ी में माइथोलॉजिकल शो 'संतोषी मां' शुरू हुआ था। इसमें बॉलीवुड अभिनेत्री ग्रेसी सिंह ने संतोषी माता का किरदार निभाया था। ख़ूबसूरत और सौम्यता की मूर्ति ग्रेसी इस अवतार में बिल्कुल सही फिट हुईं थीं।

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