Ajit Khan Death Anniversary: इस विलेन के आगे नहीं टिक पाया कोई हीरो, सारा शहर इन्हें 'लायन' के नाम से जानता है
Ajit Khan Death Anniversary बॉलीवुड में प्राण गुलशन ग्रोवर जैसे कई मशहूर विलेन रहे। इन सबकी पॉपुलैरिटी के बीच एक और विलेन थे जिनका काम आज भी याद किया जाता है। यह वह अभिनेता हैं जिन्हें सारा शहर लायन के नाम से जानता है।
नई दिल्ली, जेएनएन। Ajit Khan Death Anniversary: हिंदी सिनेमा से दर्शकों को पिछले कई वर्षों में कुछ ऐसे कलाकार मिले, जो आज भी अपनी बेहतरीन डायलॉग डिलीवरी के लिए याद किए जाते हैं। फिर चाहे फिल्म से जुड़ा वह व्यक्ति कोई भी हो। आम तौर पर फिल्मों में विलेन को ऐसा दिखाया जाता है, जो कितना ही पावरफुल हो, अंत में हीरो से हार ही जाता है। मगर, हिंदी फिल्मों में कुछ विलेन ऐसे भी रहे हैं, जिनकी खलनायकी वाली अदायगी के आगे हीरो भी फेल हैं। हम जिस अभिनेता की बात कर रहे हैं, उन्हें सारा शहर 'लायन' के नाम से जानता है। जी हां, हम बात कर रहे हैं अजीत खान की।
अजीत खान ने अपनी ज्यादातर फिल्मों में निगेटिव किरदार ही निभाया और इसी के जरिये लोगों के दिलों में अपने लिए अलग जगह बनाई। इनका मशहूर संवाद 'सारा जहां मुझे लॉयन के नाम से जानता है' और डायलॉग 'मोना डार्लिंग' आज भी लोगों को अच्छे से याद है।
'लिली डोंट बी सिली'
अजीत खान का असली नाम हामिद अली खान था। फिल्मों में काम करने के लिए उन्होंने अपना नाम बदला और इसी के साथ बदली उनकी किस्मत भी। अजीत ने जितनी भी फिल्मों में काम किया, उन सबमें उनके डायलॉग को बोलने के अंदाज को लोगों ने खूब पसंद किया। फिर चाहे वह जंजीर का 'आओ विजय बैठो और बमारे साथ स्कॉच पियो...हम तुम्हें खा थोड़ी जाएंगे...वैसे भी हम वेजिटेरियन हैं' हो या फिर 'लिली डोंट बी सिली', संवाद बोलने की उनकी अदा सबसे जुदा थी। यह डायलॉग्स सिर्फ अजीत की आवाज पर ही सटीक बैठते थे।
(Photo Credit: Film History Pics)
न सिर्फ डायलॉग बल्कि स्टाइल के मामले में भी वह किसी हीरो को मात देते थे। अजीत उस दौर के फिल्मी विलेन थे, जिसमें हीरो को गरीब घर का और विलेन को अधिकतर अमीर घराने का दिखाया जाता था। वह हिंदी सिनेमा के वो विलेन रहे, जिनकी अदायगी कई बार हीरो पर भारी पड़ी। अजीत के बोलने के तरीके और किरदारों को कई लोगों ने हुबहू वैसे ही करने की कोशिश की, लेकिन उनमें वो बात नजर नहीं आई।
हीरो को ज्ञान देने वाला विलेन
अक्सर फिल्मों में हीरो, विलेन को नैतिकता का पाठ पढ़ाता है। लेकिन अजीत के मामले में ये सब उल्टा था। कभी वह हीरो से कहते, 'आशीर्वाद तो बड़े देते हैं...हम तो सिर्फ राय देते हैं।' तो कभी कहते 'उम्र से बढ़कर बातें नहीं करते।' उनके हर डायलॉग स्क्रीन पर मशहूर हुए। उनकी आवाज में दम था, जो उनके मुंह से निकाले हर शब्द को और भी हसीन बना देता था।
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