'ढोंढू जस्ट चिल बे' कहने वाले Sanjay Mishra वध की शूटिंग के दौरान क्यों हुए थे डिप्रेशन का शिकार?
संजय मिश्रा जिस एफर्टलेस तरीके से कॉमेडी करते हैं वह फैंस का दिल जीत लेते हैं। बिहार में जन्मे संजय मिश्रा का हिंदी सिनेमा का सफर आसान नहीं रहा है। टेलीविजन से शुरुआत करने वाले कॉमेडियन अभिनेता ने लोगों को हंसाने में कभी कोई कसर नहीं छोड़ी। लेकिन क्या आप जानते हैं कि वध के दौरान संजय मिश्रा डिप्रेशन में आ गए थे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बिहार के दरभंगा में जन्मे संजय मिश्रा ने अपने शानदार अभिनय की छाप फैंस के दिलों पर छोड़ी है। सादगी से जीवन जीने वाले संजय मिश्रा के फिल्मों में भले ही छोटे किरदार हों, लेकिन उनका एक डायलॉग ही लोगों को हंसाने के लिए काफी होता है।
नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा के छात्र रहे बहु प्रतिभाशाली अभिनेता ने टेलीविजन में भी खूब काम किया है। उनका 'गोलमाल अगेन में' ABCD (ए फॉर आत्मा, बी फॉर भूत, सी फॉर चुड़ैल, डी फॉर डायन')का डायलॉग हो या फिर 'पापा' बोलने का अंदाज, जिस तरह से वह अपने सीन्स में खुद को ढालते हैं, वह पर्दे पर देखकर फैंस खिलखिला उठते हैं।
सबको हंसाने और चिल करवाने वाले संजय मिश्रा (Sanjay Mishra) कभी डिप्रेशन का शिकार भी हो सकते हैं, ये बात किसी के दिमाग में शायद आई भी नहीं होगी। हालांकि, ऐसा हो चुका है, खुद संजय मिश्रा ने बताया था कि जब वह फिल्म 'वध' कर रहे थे, तो उस समय वह डिप्रेशन का शिकार हो गए थे।
इतना ही नहीं, उन्हें कई और फिल्मों में काम करने के दौरान बीमारियों ने जकड़ लिया था, ऐसा क्यों होता था एक्टर के साथ इसका कारण भी उन्होंने बताया।
'वध' के दौरान क्यों डिप्रेशन में चले गए थे एक्टर
संजय मिश्रा ने बताया कि कैसे वह किसी भी डायलॉग को बोलने के लिए जोर नहीं देते, वो उनके अंदर से नेचुरली आता है।यह भी पढ़ें: मणिकर्णिका फिल्म फेस्टिवल में संजय मिश्रा की 'अंडमान' का प्रदर्शन, निर्देशक स्मिता सिंह ने साझा किया अनुभव
अभिनेता ने सिद्धार्थ कनन को इस बातचीत में ये भी बताया कि वह मैथड एक्टर हैं या नहीं और अपने रोल में घुसने के चक्कर में वह किस तरह से डिप्रेशन का शिकार हो गए थे।उन्होंने कहा,
हालांकि, डिप्रेशन से निकलने का तरीका बताते हुए कहा कि वह संगीत सुनते थे।"मुझे ये कभी समझ नहीं आया कि मैं एक मेथड एक्टर हूं या फिर नहीं, लेकिन मैं भी अपनी फिल्मों में घुसा हूं। आंखों देखी में जब मैं किरदार में घुस गया था, तो मुझे डायबिटीज हो गया। वध के दौरान मैं बहुत डिप्रेस हो गया था, क्योंकि मैं वैसा था ही नहीं। ग्वालियर की वो गलियां, किसी का खून करना, उसको काटना, उसके बॉडी को बोरे में भरना..अपने कैरेक्टर में घुसना पड़ता है, अब ये मेथड होता है या नहीं पता नहीं, लेकिन घुसना पड़ता है"।