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Dadasaheb Phalke Award: 54 साल में 6 अभिनेत्रियों को मिला सिनेमा का सबसे बड़ा पुरस्कार, दो गायिकाएं शामिल

Waheeda Rehman Dadasaheb Phalke Award भारतीय सिनेमा के जनक कहे जाने वाले दादासाहब फाल्के के नाम पर दिये जाने वाले इस सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार को पाने वालों की लिस्ट में अब तक 52 लोग शामिल हो चुके हैं जिनमें सिनेमा के एक से बढ़कर एक दिग्गज कलाकार शामिल हैं। अभिनेता अभिनेत्री निर्देशक गायक संगीतकारों को इस पुरस्कार से नवाजा जा चुका है।

By Jagran NewsEdited By: Manoj VashisthUpdated: Tue, 26 Sep 2023 07:54 PM (IST)
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वहीदा रहमान को 2023 के लिए चुना गया है। फोटो- जागरण

नई दिल्ली, जेएनएन। दादासाहब फाल्के पुरस्कार भारत सरकार की तरफ से फिल्म इंडस्ट्री के कलाकारों को दिया जाने वाला सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार माना जाता है। यह पुरस्कार हर साल किसी एक महान कलाकार को भारतीय सिनेमा में उसके आजीवन योगदान के लिए दिया जाता है।

दादासाहेब फाल्के पुरस्कार की शुरुआत भारत सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा साल 1969 में हुई थी और तब से अब तक 52 सेलिब्रिटीज को पुरस्कृत किया जा चुका है। वहीदा रहमान को साल 2023 के लिए दादासाहब फाल्के अवॉर्ड दिया जा रहा है। 2021 और 2022 में कोविड-19 की वजह से पुरस्कारों की घोषणा नहीं की गयी थी।

दिलचस्प तथ्य यह भी है कि पुरस्कार के 54 साल के इतिहास में सिर्फ आठ महिला कलाकारों को ही दादासाहब फाल्के अवॉर्ड से नवाजा गया है। इनमें से 6 अभिनेत्रियां और 2 गायिकाएं लता मंगेशकर और आशा भोसले शामिल हैं।  

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देविका रानी

हिंदी सिनेमा की फर्स्ट लेडी कही जाने वाली देविका रानी को पहला दादासाहब फाल्के पुरस्कार दिया गया था। अभिनेत्री और निर्माता देविका रानी उन शुरुआती फिल्मकारों में से एक थीं, जिन्होंने भारतीय सिनेमा को आकार देने में मदद की।

Photo- Wikipedia.

1933 में रिलीज हुई फिल्म कर्मा ने देविका रानी को हिंदी सिनेमा की महिला स्टार बना दिया था। इसके बाद उन्होने अछूत कन्या, किस्मत, शहीद, मेला जैसी कई बेहतरीन फिल्मों में काम किया। 1958 में देविका रानी को पद्मश्री से भी सम्मानित किया गया था। 

रूबी मेयर्स

भारतीय सिनेमा में रूबी मेयर्स को सुलोचना के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने कई साइलेंट फीचर फिल्मों में काम किया था। साल 1973 में रूबी मेयर्स को दादासाहब फाल्के पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था।

उन्होंने साल 1925 में रिलाज हुई फिल्म वीर बाला से अपना अभिनय शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने टाइपिस्ट गर्ल, बलिदान और वाइल्ड कैट ऑफ बॉम्बे जैसी कई फिल्मों में अभिनय किया। रूबी मेयर्स का नाम अपने जमाने की सबसे महंगी अभिनेत्रियो में लिया जाता था।

Photo- Wikipedia.

कानन देवी

कानन देवी बांग्ला सिनेमा की पहली अभिनेत्री एवं गायिका थीं, जिन्हें भारतीय सिनेमा में योगदान के लिए साल 1976 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। उन्होंने कई फिल्मों में बतौर बाल कलाकार भी काम किया था। कानन देवी ने हॉस्पिटल, वनफूल और राजलक्ष्मी जैसी कई हिन्दी फिल्मों में भी अभिनय किया और काफी लोकप्रिय हुईं।

Photo- Wikipedia.

दुर्गा खोटे

दुर्गा खोटे अपने जमाने मे हिन्दी और मराठी फिल्मों की प्रसिद्ध अभिनेत्री रही थीं। उन्होंने कई हिट फिल्मों में शानदार अभिनय किया था। दुर्गा खोटे को साल 1983 में दादासाहब फाल्के पुरस्कार से नवाजा गया था।

दुर्गा खोटे ने 1931 में रिलीज हुई साइलेंट फिल्म फरेबी जलाल से अपने अभिनय करियर को शुरू किया था। इसके बाद उन्होंने विधुर, अमर ज्योति और वीर कुणाल जैसी कई हिट फिल्मों में लीड एक्ट्रेस से लेकर मां तक के रोल प्ले किए।

Photo- Wikipedia.

आशा पारेख

साल 2020 में आशा पारेख को दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। आशा पारेख ने बतौर चाइल्ड आर्टिस्ट एक्टिंग शुरू की थी। उन्होंने साल 1959 में रिलीज हुई फिल्म दिल देके देखो से लीड अभिनेत्री के रूप में अपने करियर की शुरूआत की थी।

इसके बाद उन्होंने तीसरी मंजिल, बहारों के सपने, प्यार का मौसम और कारवां जैसी कई फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया। आशा पारेख को साल 1992 में भारत सरकार द्वारा पद्मश्री से भी सम्मानित किया जा चुका है।

वहीदा रहमान

अपने जमाने की मशहूर अभिनेत्री वहीदा रहमान को इस साल दादासाहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। केंद्रीय सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने मंगलवार को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट शेयर कर इस बात की जानकारी दी है।

वहीदा रहमान ने अपने करियर में प्यासा, सीआईडी, गाइड, कागज के फूल, कभी-कभी और त्रिशूल जैसी कई हिट फिल्मों में बेहतरीन अभिनय किया है। वहीदा रहमान को इससे पहले पद्मश्री और पद्म भूषण से भी सम्मानित किया जा चुका है।

दादासाहब फाल्के पुरस्कार का नाम भारतीय सिनेमा के जनक और पहली फीचर फिल्म राजा हरिश्चन्द्र बनाने वाले महान निर्देशक और निर्माता धुंडिराज गोविन्द फाल्के के नाम पर रखा गया था। 

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