Mithun Chakraborty की मां ने बेचे थे सोने के गहने, बेटे को एक्टर बनाने के लिए दी थी बड़ी कुर्बानी
हिंदी सिनेमा के वरिष्ठ कलाकार मिथुन चक्रवर्ती (Mithun Chakraborty) को हाल ही में दादासाहेब फाल्के अवॉर्ड के लिए चुना गया है। बतौर एक्टर मिथुन की जर्नी काफी संघर्षपूर्ण और प्रेरणादायक रही है। लेकिन क्या आपको मालूम है कि अपने बेटे को एक्टर बनाने के लिए मिथुन की मां ने सोने के आभूषणों को बेच दिया था। आइए मामले को विस्तार से जानते हैं।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती का जीवन सार विद्रोह, संघर्ष, प्रेम और राष्ट्रीय प्रतीक बनने की यात्रा का वर्णन करता है। मिथुन दा (Mithun Chakraborty) को इस सप्ताह दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा। उनकी विस्मयकारी जीवन यात्रा को आइए विस्तार से जानते हैं।
ऑउटसाइडर से लेकर सुपरस्टार तक
गैर-फिल्मी पृष्ठभूमि से आने वाले अभिनेता मिथुन चक्रवर्ती की जिंदगी फिल्म सरीखी रही है। बचपन से मेधावी छात्र रहे गौरांग उर्फ मिथुन कॉलेज के दिनों में मोहन बगान फुटबाल टीम में शीर्ष फुटबॉल खिलाड़ी बनने का स्वप्न संजोए थे। नक्सली आंदोलन से जुड़ने के बाद बेहतर भविष्य के लिए माता-पिता ने उन्हें जबरन बंबई (अब मुंबई) चाचा के घर रहने भेज दिया।
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अतीत के साए के चलते उन्होंने चाचा का घर छोड़ दिया। बेरोजगार और बेघर गौरांग की इस दौरान प्रख्यात फिल्म निर्माता दुलाल गुहा के बेटे गौतम गुहा से दोस्ती हुई।
एक नाटक से किया आगाज
दोनों अक्सर खालसा कॉलेज जाते थे, वहां पर इंडियन पीपुल्स थिएटर एसोसिएशन (इप्टा) से जुड़े अवतार गिल से उनकी दोस्ती हुई। अवतार उस समय कॉलेज में एक नाटक के लिए बाहरी कलाकारों की कास्टिंग कर रहे थे। गौरांग किसी तरह इसमें छोटा किंतु महत्वपूर्ण रोल पाने में सफल हो गए। यहां से मिली प्रशंसा ने उनके हौसलों को बुलंद किया।
बंबई की सड़कों पर फाउंटेन पेन बेचने, प्लेटफार्म पर सोने से लेकर कालेज में ऑडिशन के चक्कर लगाने के संघर्ष से जूझते मिथुन ने जीवन को बेहतर दिशा में बढ़ाने के लिए पुणे स्थित फिल्म एंड टेलीविजन इंस्टीट्यूट आफ इंडिया (FTII) से एक्टिंग कोर्स करना सुनिश्चित किया। हालांकि पिता नहीं चाहते थे कि वह अभिनय करें।