जुबान पर आता है ये गाना, लेकिन नहीं पता असली मतलब, क्या होता है 'बुल्ला की जाणा मैं कौन...'
कई बार हम ऐसे गाने सुनते हैं जिसके लिरिक्स हमें नहीं पता होते लेकिन उन गानों को सुनने में हमें सुकून और आनंद आता है। ऐसा ही एक गाना है बुल्ला की जाणा मैं कौण जिसे निश्चित तौर पर आपने सुना होगा। ये पंजाबी गाना 90 के दशक में रब्बी शेरगिल की आवाज में काफी फेमस हुआ था लेकिन क्या आपको इसका मतलब पता है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा का रूप बदला और गानों का मतलब भी। आज के समय में मेकर्स पुराने गानों को रिक्रिएट करके एक बार फिर ऑडियंस के सामने पेश कर रहे, जिनमें से कई गाने लोगों को बेहद पसंद आते हैं, तो वहीं कुछ एक गाने के नए वर्जन को सुनने के बाद लोगों का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच जाता है।
इसकी एक वजह ये है कि पुराने गानों के वो लिरिक्स और सिंगर की प्यारी सी आवाज, लोगों के जेहन में आज भी ताजा है। उन्हें वही पुराने गाने सुनकर जो सुकून मिलता है, वह नए गानों में नहीं मिलता। कई गाने तो ऐसे होते हैं, जिन्हें हम गुनगुनाते रहते हैं, क्योंकि वह हमें अच्छे लगते हैं, लेकिन कभी भी उन गानों का मतलब नहीं समझ पाते।
ऐसा ही एक पंजाबी गाना है, "'बुल्ला की जाणा मैं कौन...', जिसे गारंटी 90 के दशक के बच्चों ने खूब सुना होगा। रब्बी शेरगिल की मधुर आवाज में ये गाना कई दोस्तों के साथ आपने शेयर भी किया होगा, लेकिन क्या आप आज तक 'बुल्ला की जाणा मैं कौन' इस लाइन का मतलब समझ पाए हैं। अगर नहीं, तो इस गाने का अर्थ हम आपको अपनी इस स्टोरी में बताएंगे और सबसे पहले ये गाना किसने गाया इसके बारे में भी विस्तार से बताएंगे।
बुल्ले शाह की कविता है 'बुल्ला की जाणा मैं कौण..'
1680 में जन्में बुल्ले शाह एक पंजाबी संत कवि थे,जिनका असली नाम अब्दुल्ला शाह था और लोग उन्हें 'बुल्ला शाह' कहते थे। उनका निधन 1757 से 1759 के बीच पाकिस्तान में मौजूद शहर 'कसूर' में हुआ था। बुल्ले शाह ने पंजाबी में कई कविताएं लिखी,जिसे लोग 'काफियां' कहते थे। उन्हीं में से एक था 'बुल्ला की जाणा मैं कौण'।
क्या हैं 'बुल्ला की जाणा मैं कौण' का अर्थ
बुल्ले शाह की इस कविता के बोल थे, "ना मैं मोमन विच मसीतां, ना मैं विच कुफर दीआं रीतां,ना मैं पाका विच पलीता, नाम मैं मूसा ना फरऔन, ना मैं अंदर वेद किताब, ना विच भांग-शराब, ना विच रिंदा, मस्त खराबा, ना विच जागन ना विच सौन...बुल्ला की जाणा मैं कौण..." पंजाबी में इस कविता का मतलब आपको अंदर तक झकझोर देगा और आप से पूछने पर मजबूर हो जाएंगे कि मैं कौन हूं"।
सिनेमा में अलग-अलग समय पर हुआ उनकी कविताओं का उपयोग
रब्बी शेरगिल की आवाज में भले ही 'बुल्ला की जाणा मैं कौण' काफी लोकप्रिय हुआ हो, लेकिन सबसे पहले इसे 1990 के दशक में पाकिस्तान के फेमस रॉक बैंड 'जुनून' ने गाने के रूप में गाया था। साल 2005 में इसी गाने को भारतीय सिंगर रब्बी शेरगिल ने एक रॉक गाने के तौर पर गाया।
बुल्ले शाह की सिर्फ इस कविता का ही नहीं, बल्कि अलग-अलग उनकी लिखी पंक्तियों को कई फिल्मों में इस्तेमाल किया गया। जैसे उनकी कविता 'बन्दया हो' को पाकिस्तानी फिल्म 'खुदा के लिये' में इस्तेमाल किया गया है।
इसके अलावा रणबीर कपूर की फिल्म 'रॉकस्टार' में 'कतया करूं' को गाने के रूप में प्रस्तुत किया गया। इसके अलावा शाह रुख खान और मलाइका अरोड़ा पर फिल्माया गया गानाछैया-छैया' भी उनकी कविता 'तेरे इश्क नचाया कर थैया थैया' पर आधारित थे।
यह भी पढ़ें: क्यों Raj Kapoor के लिए गाना कंपोज करने से RD Burman ने किया था इनकार