1946 में हम एक हैं से उन्होंने फिल्मी करियर शुरू किया था, जो अगले छह दशकों तक चला। इस दौरान देव आनंद एक सिनेमाई आइकॉन बने और हिंदी सिनेमा को कुछ ऐसी फिल्में मिलीं, जो आज भी जहन में समाई हुई हैं।
हॉलीवुड एक्टर ग्रेगरी पेक से समकक्ष समझे जाने वाले देव साहब ने अभिनय के साथ फिल्म निर्माण और निर्देशन किया। उन्होंने लगभग 35 फिल्मों का निर्माण किया था, जिनमें से 18 बॉक्स ऑफिस पर सफल रही थीं। 13 फिल्मों की कहानी उन्होंने खुद लिखी थी।
अपनी फिल्मों के साथ रियल लाइफ के तमाम किस्से और कहानियां साथ लेकर चलने वाले देव आनंद की कुछ ऐसी फिल्में, जो आज भी सिनेमाई उत्कृष्टता की मिसाल हैं।
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बाजी (1951)
बाजी सिर्फ हिंदी सिनेमा या देव आनंद के करियर की माइलस्टोन फिल्म नहीं है, बल्कि यह वो फिल्म है, जिसके साथ भारतीय सिनेमा को जीनियस डायरेक्टर मिला। बाजी गुरु दत्त की डेब्यू फिल्म है। देव आनंद के प्रोडक्शन हाउस नवकेतन की दूसरी और गुरु दत्त की पहली फिल्म उस वादे का नतीजा है, जो देव आनंद ने संघर्षरत गुरु दत्त से किया था। यह क्राइम नॉयर फिल्म है।
देव आनंद ने फिल्म में जुआरी की भूमिका निभाई थी। इस फिल्म की शूटिंग का भार गुरुदत्त के कंधों पर था और उन्होंने इस फिल्म के साथ पूरा इंसाफ भी किया है। फिल्म में कल्पना कार्तिक फीमेल लीड रोल में थीं, जो आगे चलकर देव आनंद की पत्नी बनीं।गीता बाली, रूपा वर्मन और के.एन. सिंह प्रमुख किरदारों में थे। इस फिल्म का गाना ‘है अपना दिल तो आवारा’ आज भी लोगों की जुबान पर है।
टैक्सी ड्राइवर (1954)
यह देव आनंद की होम प्रोडक्शन फिल्म है, जिसका निर्देशन उनके भाई चेतन आनंद ने किया था। कहानी उमा आनंद (विजय आनंद की पत्नी) और विजय आनंद ने लिखी थी। कल्पना कार्तिक और शीला रमानी फीमेल लीड रोल में थीं। जॉनी वॉकर ने सहयोगी भूमिका निभाया थी। टैक्सी ड्राइवर म्यूजिक भी सफल रहा था।
यह फिल्म 26 सितम्बर को टाटा प्ले क्लासिक सिनेमाज चैनल 318 पर शाम 5 बजे से देखी जा सकती है।
सीआईडी (1956)
देव आनंद की अन्य फिल्मों की तरह ही एक और कल्ट क्लासिक 'सीआईडी' उस जमाने की एक सस्पेंस थ्रिलर फिल्म है। इसमें देव आनंद एक पुलिस इंस्पेक्टर का किरदार निभाते दिखते हैं, जो इस गुत्थी को सुलझाने में लगा है। देव आनंद के साथ इस फिल्म में शकीला, वहीदा रहमान, जॉनी वॉकर और के.एन. सिंह ने अहम भूमिकाएं निभायी थीं।
यह फिल्म 26 सितम्बर को टाटा प्ले क्लासिक सिनेमाज चैनल 318 पर 2 बजे से देखी जा सकती है।इस फिल्म का निर्देशन 'राज खोसला' ने किया था और गुरु दत्त प्रोड्यूसर थे। देव आनंद की अन्य फिल्मों की तरह ही इस मूवी के गाने भी काफी हिट रहे हैं। 'कहीं पे निगाहें, कहीं पे निशाना', 'ये है बम्बई मेरी जान', 'लेके पहला पहला प्यार' इस फिल्म के कुछ यादगार गाने हैं।
काला पानी (1958)
काला पानी देव आनंद के करियर की बेहतरीन फिल्मों में से एक रही है। इस मूवी में उनक परफॉर्मेंस की काफी तारीफ भी हुई। इसमें वो एक गुस्सैल बेटे का किरदार निभाते हैं, जो अपने निर्दोष पिता को किसी भी तरह से जेल से बाहर निकालना चाहता है। बता दें कि 'काला पानी' 1955 में आयी बंगाली फिल्म 'साबर उपारे' की रीमेक है, जो एक नॉवेल 'बियॉन्ड दिस प्लेस' पर आधारित है।
यह फिल्म 26 सितम्बर को टाटा प्ले क्लासिक सिनेमाज चैनल 318 पर सुबह 11 बजे से देखी जा सकती है।
हम दोनों (1961)
'मैं जिंदगी का साथ निभाता चला गया' यह गाना आज की जनेरशन भी उतने ही शौक से सुनती और अपने आपको इस गाने से जोड़ती है। जितना बेहतरीन यह गाना है, उतनी ही अच्छी देव आनंद की फिल्म 'हम दोनों' है। देव आनंद के प्रोडक्शन हाउस 'नवकेतन फिल्म्स' के अंडर बनी यह फिल्म दो जुड़वां सैनिकों की कहानी है। जब सरहद की लड़ाई में दोनों में से एक की मौत हो जाती है, दूसरा व्यक्ति परिवार को इस बारे में बताने जाता है। फिर यहीं से शुरू होती हैं उलझनें, उस दौर में इस तरह की कहानी पेश करना काफी नया और अनोखा था।
तेरे घर के सामने (1963)
यह फिल्म एक रोमांटिक कॉमेडी थी, जिसका निर्देशन देव आनंद के भाई विजय आनंद ने किया था। इस फिल्म में देव आनंद एक आर्किटेक्ट के रोल में नजर आये। इस मूवी का गाना 'दिल का भंवर करे पुकार' काफी लोकप्रिय रहा है। बता दें कि इस गाने को कुतुब मीनार के अंदरूनी हिस्सों में बहुत खूबसूरत तरीके से शूट किया गया था।
गाइड (1965)
यह देव आनंद के पूरे करियर की सबसे प्रेरणादायक फिल्मों में से एक रही है। यह कहानी है एक विवावहित महिला की, जो डांस के प्रति अपने जुनून को आगे बढ़ाना चाहती है।
वहीं, इसमें उसकी मदद करता है एक 'गाइड', हालांकि जब वो अपने करियर में सफलता की सीढ़ी चढ़ने लगती है तो उनकी जिंदगी बदलने लगती है। आर के नारायण के नॉवल पर लिखी यह फिल्म बेस्ट फीचर फिल्म कैटेगरी में ऑस्कर अवॉर्ड्स तक पहुंची थी। फिल्म में देव आनंद के साथ वहीदा रहमान मुख्य भूमिका में नजर आयी थीं। फिल्म का संगीत बेहद लोकप्रिय रहा था।
ज्वेल थीफ (1967)
देव आनंद की यादगार फिल्मों में एक नाम
'ज्वेल थीफ' का भी आता है। कैसे एक युवक को हमेशा गहनों का चोर समझ लिया जाता है, जो बिल्कुल उसके जैसा दिखता है। खुद को इस स्थिति से बाहर निकालने और सभी झूठे संदेहों पर से पर्दा उठाने के लिए और असली चोर को पकड़ने के लिए वह पुलिस से हाथ मिला लेता है। देव आनंद के साथ
अशोक कुमार, वैजयंतीमाला और तनुजा ने अहम किरदार निभाये थे। फिल्म के गाने आज भी पसंद किये जाते हैं।
'होंठों पे ऐसी बात' एक बेहतरीन डांस सॉन्ग है और वक्त के साथ-साथ इसे कई बार रीमिक्स भी किया गया है। 1996 में देव आनंद इसका सीक्वल
रिटर्न ऑफ ज्वेल थीफ लेकर आये, मगर यह फिल्म वो करिश्मा दोहरा ना सकी।
जॉनी मेरा नाम (1970)
जॉनी मेरा नाम बेहतरीन थ्रिलर फिल्म है, जिसका निर्देशन विजय आनंद ने किया था। फिल्म का लेखन विजय ने केए नारायण के साथ किया। इस फिल्म में
हेमा मालिनी, प्राण, जीवन और प्रेम नाथ ने अहम किरदार निभाये थे। फिल्म के सभी गाने सफल रहे थे और आज भी खूब सुने जाते हैं।
हरे रामा हरे कृष्णा (1971)
देव आनंद न सिर्फ एक अच्छे अभिनेता थे, बल्कि एक अच्छे निर्देशक भी थे। इस बात का सबूत है, फिल्म
'हरे रामा हरे कृष्णा', यह फिल्म देव आनंद की बतौर निर्देशक पहली फिल्म थी। एक भाई अपनी खोई हुई बहन की तलाश में किन-किन परिस्थितियों से गुजरता है, कुछ इसी विषय में है यह फिल्म।उस दौर की यह काफी मॉडर्न विषय पर बनी फिल्म थी, क्योंकि इसमें हिप्पी संस्कृति की झलकियां देखने को मिली थीं। इस फिल्म में जीनत अमान और मुमताज मुख्य भूमिकाओं थे। इस फिल्म का गाना
‘दम मारो दम’ आज भी पार्टीज की शान है।यह भी पढ़ें:
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