Dev Anand Birth Anniversary 2023: इस एक खत को पढ़ने से बदली थी देव आनंद की जिंदगी, रोचक हैं उनके ये किस्से
Dev Anand 100th Birth Anniversary 2023 राज कपूर के जमाने में फिल्म इंडस्ट्री में धाक जमाने वाले देव आनंद टैलेंटेड अभिनेताओं में से एक माने जाते थे। स्क्रीन पर उनकी प्रेजेंस ने हमेशा लोगों को प्रभावित किया है। आज उनकी 100वीं बर्थ एनिवर्सरी है जिसके मौके पर जानेंगे उनकी जिंदगी और करियर से जुड़े कुछ रोचक किस्सों के बारे में।
नई दिल्ली, जेएनएन। Dev Anand Birth Anniversary 2023: अपने जमाने में बॉलीवुड के सबसे हैंडसम एक्टर कहे जाने वाले देव आनंद ने फिल्मों के जरिये लंबे समय तक लोगों का एंटरटेनमेंट किया। वह दिखनें में जितने हैंडसम नौजवान थे, बोलने के उतने ही शालीन और सौम्य। हालांकि, वह लोगों के सामने एक तरीके से अपनी बात रखना भी जानते थे। रिस्क लेने से भी वह पीछे नहीं हटते थे।
आज इस सदाबहार एक्टर की 100वीं जयंती है। उनके जन्मदिन के मौके पर जानेंगे उनकी जिंदगी और करियर से जुड़े कुछ किस्से, जिसका कम ही बार जिक्र किया गया हो।
देव आनंद की 100वीं जयंती
तमाम मुश्किलों के बाद भी उन्होंने जिंदगी को हमेशा आनंद की तरह जीया और अपने अंदर की जिंदादिली को कभी खत्म नहीं होने दिया। यह दिग्गज कलाकार अब भले ही हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन फैंस और उनके चाहने वालों ने उन्हें उनकी फिल्मों के जरिये अपनी यादों में बसाए रखा है।26 सितंबर को देव आनंद की 100वीं जयंती है। इस मौके पर हम जानेंगे उनकी लाइफ और करियर से जुड़ी कुछ खास बातों के बारे में।
देव आनंद को यूं तो सबसे ज्यादा एक्टर के तौर पर जाना और याद किया जाता है, मगर उन्होंने लेखन, निर्देशन और प्रोडक्शन में भी अपनी कला दिखाई थी। उनकी अदा इतनी आकर्षक थी कि लोग उनकी एक झलक पाने को बेताब रहते थे।
(Photo Credit: Mid Day)देव आनंद का जन्म अविभाजित भारत के पंजाब प्रांत के उस हिस्से में हुआ था, जो अब पाकिस्तान में है। जन्म के समय उनका धर्मदेव पिशोरीमल आनंद रखा गया था।
बैंक में क्लर्क बनकर की नौकरी
देव आनंद के घर की माली ठीक न होने के कारण उनके पिता उन्हें पढ़ाई के लिए बाहर नहीं भेज सके। देव आनंद ने इंडियन नेवी के लिए अप्लाई किया था, लेकिन यहां से रिजेक्शन के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगा। उन्होंने बैंक में क्लर्क की नौकरी भी की, लेकिन उनका सपना तो कुछ और ही था।चंद रुपये लेकर मुंबई आए थे देव आनंद
कहा जाता है कि जेब में चंद रुपये लेकर देव आनंद एक्टर बनने का सपना लेकर मायानगरी मुंबई चले आए। भरी दोपहरी फिल्म स्टूडियो के चक्कर लगाने में बीत जाया करते थे। तब अपना गुजारा करने के लिए उन्होंने स्टाम्प कलेक्शन के एल्बम को भी बेचने का काम किया। एल्बम से मिलने वाले रुपयों से वह अपना गुजारा किया करते थे। कम ही लोगों को इस बात की जानकारी होगी कि फिल्मों में आने से पहले देव आनंद ब्रिटिश सरकार के मुलाजिम हुआ करते थे। जी हां, देव आनंद ने ब्रिटिश आर्मी के सेंसर ऑफिस में भी काम किया था। वह अंग्रेजों के खत पढ़ा करते थे। मगर उनका सपना सरकारी बाबू न बने रहना था। वह अपना सपना एक खत की वजह से पूरा कर पाए। उनके हाथ एक ऑफिसर का खत लगा, जिसमें किसी ने अपनी पत्नी को लिखा था, 'काश मैं ये नौकरी छोड़ सकता तो सीधे तुम्हारे पास आता।' इस खत को पढ़ते ही उनमें नई ऊर्जा का संचार हुआ और उन्होंने नौकरी छोड़ दी।पहली फिल्म मिलने का किस्सा है रोचक
देव आनंद को पहला मौका 1946 में प्रभात स्टूडियो की फिल्म 'हम एक हैं' में मिला। यह फिल्म कैसे उनके हाथ लगी, इसका किस्सा रोचक है। दरअसल, देव आनंद लोकल ट्रेन में सफर कर रहे थे। तभी उन्हें 'प्रभात फिल्म कंपनी' के बारे में पता लगा, जो एक फिल्म के लिए हीरो की तलाश में थी। अगले दिन देव आनंद उस कंपनी में मुलाकात के लिए पहुंच गए और कंपनी के मालिक बाबूराव पाई से मिले। बाबूराव उनकी बातों और पर्सनैलिटी से इम्प्रेस हुए।इसके बाद देव आनंद की मुलाकात पीएल संतोषी से हुई, जिन्हें देव आनंद के बात करने का अंदाज काफी पसंद आया। इस तरह देव आनंद को पहली फिल्म 'हम एक हैं' मिली। यहां से देव आनंद का फिल्मी करियर तो शुरू हो गया, लेकिन साथ ही संघर्ष भी शुरू हुआ। उनकी डेब्यू फिल्म बुरी तरह पिट गई थी।Dev Anand got some of the best songs in Hindi cinema.
Today on his birth anniversary, here are 16 songs featuring him.https://t.co/aLPALJNAIA
— Film History Pics (@FilmHistoryPic) September 26, 2022
'जिद्दी' ने दिलाई पहचान
'हम एक' तो नहीं चली, लेकिन देव आनंद को इसकी मेकिंग के दौरान गुरु दत्त के रूप में दोस्त जरूर मिल गया। कहा जाता है कि दोनों में तय हुआ था कि जो भी पहले फिल्म डायरेक्शन में हाथ आजमाएगा, वह दूसरे को अपनी मूवी में मौका देगा। 1948 में 'जिद्दी' आई, जो देव आनंद के करियर की पहली हिट मूवी साबित हुई। फिल्म की कामयाबी के बाद देव आनंद ने प्रोडक्शन में हाथ आजमाया और 'नवकेतन बैनर' की स्थापना की। इस बैनर तले उन्होंने 1950 में पहली फिल्म 'अफसर' बनाई। फिल्म बुरी तरह पिटी। इसके बाद देव आनंद को गुरु दत्त की याद आई। उन्होंने 'बाजी' फिल्म बनाई, जो बॉक्स ऑफिस पर हिट साबित हुई। इस फिल्म के बाद देव आनंद भरोसेमंद एक्टर के तौर पर पहचाने जाने लगे।कई अभिनेत्रियों संग जुड़ा नाम
देव आनंद और सुरैया की लव स्टोरी काफी फेमस थी। वह रील लाइफ में जितने सक्सेसफुल रोमांटिक हीरो थे, असल जिंदगी में उनकी कहानी इसके उलट थी। देव आनंद को 'विद्या' के दौरान सुरैया से प्यार हो गया था, जो उस वक्त टॉप स्टार और बेहद खूबसूरत एक्ट्रेस थीं। (Photo Credit: Mid Day)कहा जाता है कि धर्म अलग होने के चलते सुरैया के परिवार ने इस रिश्ते के लिए मना कर दिया। बाद में देव आनंद ने एक फिल्म के सेट पर ही कल्पना कार्तिक से शादी कर ली और सुरैया आजीवन कुंवारी रहीं। देव आनंद के कल्पना से भी रिश्ते लंबे समय तक अच्छे नहीं चले और बाद में दोनों अलग हो गए। देव आनंद का नाम जीनत अमान के साथ भी जोड़ा गया, जिन्हें उन्होंने ही लॉन्च किया।इंदिरा गांधी के खिलाफ बनाई थी पार्टी
देव आनंद भारतीय राजनीति से भी अछूते नहीं थे। उन्होंने इंदिरा गांधी द्वारा 1975 में लगाई गई इमरजेंसी का विरोध किया था। उन्होंने 1980 में खुद की पार्टी 'नेशनल पार्टी ऑफ इंडिया' बनाई थी। हालांकि, राजनीति में देव आनंद लंबे वक्त तक नहीं टिक सके और कुछ ही वर्षों में इस पार्टी का अस्तित्व ही खत्म हो गया।अवॉर्ड्स और अचीवमेंट्स
- देव आनंद को अभिनय के लिए दो बार फिल्म पुरस्कार से नवाजा गया था। पहला फिल्मफेयर अवॉर्ड फिल्म 'काला पानी' के लिए और दूसरा 'गाइड' के लिए सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के तौर पर दिया गया था।
- 2001 में भारत सरकार ने पद्मविभूषण से सम्मानित किया।
- हिंदी सिनेमा में महत्वपूर्ण योगदान के लिए 2002 में देव आनंद को दादा साहेब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था।