जब जीनत अमान को प्रपोज करना चाहते थे देव आनंद, पर एक्ट्रेस को राज कपूर के साथ देख टूटा था दिल
रोमांस गुरु देव आनंद साहब ने रॉयटर्स से कहा था रोमांस खूबसूरत है। मैं हमेशा प्यार में हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर समय महिलाओं के साथ सो रहे हैं। यहां तक कि एक खूबसूरत लड़की के बारे में सोचना कविता पढ़ना भी रोमांटिक है।
By Ruchi VajpayeeEdited By: Updated: Thu, 02 Dec 2021 07:28 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। बॉलीवुड के सदाबहार एक्टर, फिल्म मेकर देव आनंद इंडस्ट्री के सबसे रोमांटिक हीरोज में से एक थे। उन्होंने एक बार एक इंटरव्यू में कहा था कि, 'वो हमेशा प्यार में रहते' थे। 3 दिसंबर 2011 को इस दुनिया से कूच किए देव साहब को 10 साल हो जाएंगे। हम आपको उनकी बायोग्राफी से रोमांस के कुछ ऐसे ही किस्से बताने जा रहे हैं।
हमेशा प्यार में रहे देव आनंददरअसल, हिंदी फिल्मों के रोमांस गुरु देव आनंद साहब ने 2008 में रॉयटर्स से कहा था, 'रोमांस खूबसूरत है। मैं हमेशा प्यार में हूं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप हर समय महिलाओं के साथ सो रहे हैं। यहां तक कि एक खूबसूरत लड़की के बारे में सोचना या कविता पढ़ना भी रोमांटिक है।
सुरैया से हुई थी पहली मोहब्बतअपने करियार के शुरुआत में ही देव साबह को उस जमाने की टॉप एक्ट्रेस सुरैया से मोहब्बत हो गई थी। सुरैया देव आनंद का पहला प्यार थीं। 1948 का वो साल जब सुरैया और देव साहब मिले। पहली नजर का ये प्यार जल्द ही बेचैनी में बदल गया। दोनों मिल नहीं पाते तो फोन पर घंटों बातें होती थी। उन दिनों सुरैया बड़ी स्टार थीं। उनकी शोहरत आसमान की बुलंदियां छू रही थी और देव आपने लिए कामयाबी की जमनी तलाश रहे थे।
देव आनंद का टूटा दिलइन दोनों का प्यार सुरैया की नानी को सख्त नापसंद था। देव ने अपना सारा प्यार समेट कर एक अंगूठी खरीदी। नानी की पाबंदियों से तंग आ चुकी सुरैया ने देव के सामने उसे समुंदर में फेंक दिया। वो आखिरी दिन था जब दोनों की आंखों में मोहब्बत, जुदाई और दर्द, आंसू बन एक साथ निकले। फिर कभी देव ने सुरैया को पलट कर नहीं देखा। सुरैया ने अपना पूरा जीवन देव की याद में गुज़ारा और देव ने प्यार की तलाश में।
जीनत अमान पर आया दिलदेव को फिर प्यार हुआ... देव आनंद ने अपनी आत्मकथा 'रोमांसिंग विद लाइफ' में जीनत अमान के प्रति अपने आकर्षण के बारे में भी बात की। उन्होंन बताया, 'जीनत अमान से मेरा गहरा जुड़ाव हो गया था। वो जब भी बात करती, मुझे बहुत अच्छा लगता। अवचेतन में, हम भावनात्मक रूप से एक-दूसरे से जुड़ गए थे। अचानक, एक दिन मुझे लगा कि मैं जीनत से बेहद प्यार करता हूं'।
करना चाहते थे प्रपोजदेवा साहब ने किताब में आगे लिखा, मैं उसे अपनी भवानाएं बताना चाहता था, मुझे उसे प्रपोज करने के लिए एक बेहद खास जगह की जरूरत थी जो रोमांटिक हो। मैंने शहर के शीर्ष पर, ताज में रेंडीज़वस को चुना, जहां हमने पहले एक बार साथ में डिनर किया था।'बीच में आए राज कपूरहालांकि, देव आनंद ने जीनत को राज कपूर के साथ उसी जगह पर देखने के बाद कभी भी उन्हें प्रपोज नहीं किया। अपनी किताब के सामने आने के बाद, जीनत ने कहा कि उन्हें देव आनंद की इन भावनाओं के बारे में पता नहीं था।
आपातकाल में सरकार के हुए थे विरुद्धपंजाब के गुरदासपुर जिले में जन्मे इस कलाकार का छह दशक लंबा करियर रहा। उन्होंने गाइड, टैक्सी ड्राइवर, ज्वेल थीफ और सीआईडी जैसी फिल्मों में काम किया। देव आनंद को 2002 में दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। 1975 के कुख्यात राष्ट्रीय आपातकाल के दौरान, उन्होंने तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल के खिलाफ फिल्मी हस्तियों के एक समूह का नेतृत्व किया था।
लंदन में ली थी आखिरी सांसइस एक्टर-डायरेक्टर-निर्माता ने अंतिम समय तक काम किया। उनकी आखिरी फिल्म चार्जशीट 2011 में उनके निधन से कुछ महीने पहले रिलीज हुई थी। देव आनंद अपनी हिट फिल्म, हरे राम हरे कृष्णा के विस्तार की भी योजना बना रहे थे। दिसंबर 2011 में 88 वर्ष की आयु में कार्डियक अरेस्ट के बाद लंदन में उनका निधन हो गया।