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Diljit Dosanjh: छह महीनों से सेंसर बोर्ड में अटकी दिलजीत दोसांझ की फिल्म, निर्माता पहुंचे हाई कोर्ट

दिलजीत दोसांझ पिछले कुछ दिनों से जसवंत सिंह खालरा की बायोपिक को लेकर भी चर्चा में है। अब इस फिल्म को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। फिल्म मेकर्स ने बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

By Aditi YadavEdited By: Aditi YadavUpdated: Thu, 15 Jun 2023 08:23 PM (IST)
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jaswant singh khalra biopic Photo Credit Instagram
 नई दिल्ली, जेएनएन।  मशहूर सिंगर और एक्टर दिलजीत दोसांझ इन दिनों अपनी आने वाली बायोपिक फिल्म  'अमर सिंह चमकीला' के चलते सुर्खियों में है। इस बायोपिक से पहले एक्टर का नाम मानवाधिकार कार्यकर्ता 'जसवंत सिंह खालरा' की बायोपिक को लेकर भी चर्चा में है।

अब इस फिल्म को लेकर एक बड़ा अपडेट सामने आया है। दरअसल, मेकर्स पिछले 6 महीनों से फिल्म की रिलीज के लिए सेंसर की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन कोई जवाब न आने पर बॉम्बे हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।

हाई कोर्ट पहुंचे फिल्म निर्माता

इंडस्ट्री के एक सूत्र ने बताया कि मेकर्स पिछले 6 महीनों से फिल्म की रिलीज के लिए सेंसर की मंजूरी का इंतजार कर रहे हैं। उसके मुताबिक, “आरएसवीपी ने दिसंबर 2022 में सेंसर सर्टिफिकेट के लिए अप्लाई किया था और इसे रिव्यू कमेटी के पास भेजा गया था।

टीम ने अनुरोध किए गए सभी जरूरी पेपर वर्क को साझा किया और पूरी लगन के साथ प्रक्रिया के बारे में जाना, लेकिन सीबीएफसी से कोई समाधान नहीं मिलने पर, उन्होंने आखिरकार बुधवार (14 जून) को बॉम्बे हाई कोर्ट का रुख किया।"

सीबीएफसी नहीं दे रहा फिल्म को सर्टिफिकेट

जसवंत सिंह खालरा पंजाब में उग्रवाद काल के दौरान अमृतसर में एक बैंक के डायरेक्टर थे, जिन्होंने पुलिस द्वारा हजारों अज्ञात शवों के अपहरण, एलिमिनेशन और क्रिमेशन के सबूत पाए थे। उन्होंने कथित तौर पर अपने खुद के 2000 अधिकारियों को भी मार डाला, जिन्होंने इन अतिरिक्त न्यायिक कार्यों में सहयोग करने से इनकार कर दिया था। जसवंत सिंह खालरा की जांच से दुनिया भर में विरोध शुरू हो गया और सेंट्रल ब्यूरो ऑफ इन्वेस्टिगेशन (सीबीआई) ने निष्कर्ष निकाला कि पंजाब पुलिस ने अकेले पंजाब के तरनतारन जिले में 2097 लोगों का अवैध रूप से अंतिम संस्कार किया था।

सिंगर दिलजीत निभा रहे है मुख्य किरदार

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया और नेशनल ह्यूमन राइट्स कमिशन ने उसके डेटा की वैधता को प्रमाणित किया है। 6 सितंबर 1995 को जसवंत सिंह खालरा खुद गायब हो गए थे। उनकी पत्नी परमजीत कौर की शिकायत में हत्या, अपहरण और आपराधिक साजिश का मामला दर्ज किया गया था। तरनतारन और अमृतसर जिलों में न्यायेतर हत्याओं को रोशनी में लाने में सक्रिय मानवाधिकार कार्यकर्ता जसवंत सिंह खालरा को "खत्म" करने में चार पुलिस अधिकारियों द्वारा किए गए।  

"जघन्य अपराध" का कड़ा संज्ञान लेते हुए, पंजाब और हरियाणा की अदालत ने 16 अक्टूबर 2007 को चारों आरोपियों, पूर्व हेड कांस्टेबल पृथ्वीपाल सिंह और पूर्व उप-निरीक्षक सतनाम सिंह, सुरिंदर पाल सिंह और जसबीर सिंह की सजा को सात साल से बढ़ाकर आजीवन कारावास कर दिया।

सूत्र ने आगे बताया, “जसवंत सिंह खालरा केस अब वापस अदालत में है, लेकिन इस बार सेंसर सर्टिफिकेट के लिए। इस पर 4 जुलाई को सुनवाई होगी और अमित नाइक, वो खालरा बायोपिक लीगल टीम को भी लीड कर रहे हैं'''। संयोग से 2016 की क्राइम ड्रामा अभिषेक चौबे द्वारा लिखित और निर्देशित थी। सेंसर बोर्ड की रिवाइजिंग कमेटी ने 89 कट की डिमांड की थी और पंजाब के सभी रेफरेंस हटा दिए थे। बाद में इसे बॉम्बे हाई कोर्ट ने केवल एक सीन को एडिट करके और 'ए' सर्टिफिकेट के साथ मंजूरी दे दी थी।