Krishna Vamsi Interview: सींग, चमड़ा, हथियार… देखकर तैयार किया Tiger Nageswara Rao की स्टोरी का धांसू प्लॉट
Krishna Vamsi Interview हिंदी सिनेमा में पीरियड फिल्में बनाने वाले संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारिकर जैसे फिल्मकार अपने विशाल सेट के लिए प्रख्यात हैं। इस फिल्म के बारे में निर्देशक वम्सी कृष्णा नायडू दैनिक जागरण से बातचीत में बताते हैं ‘इस फिल्म के लिए मैंने दो साल रिसर्च किया उसके बाद कोरोना महामारी आ गई। उनके घर में सींग चमड़े हथियार आदि देखे जा सकते हैं।
जागरण न्यूज नेटवर्क, मुंबई। पीरियड फिल्मों के निर्माण के दौरान उसे वास्तविकता के करीब दर्शाने में सेट की अहम भूमिका होती है। हिंदी सिनेमा में पीरियड फिल्में बनाने वाले संजय लीला भंसाली और आशुतोष गोवारिकर जैसे फिल्मकार अपने विशाल सेट के लिए प्रख्यात हैं।
ऐसे ही विशाल सेट का प्रयोग हुआ है तेलुगु अभिनेता रवि तेजा की पहली अखिल भारतीय (पैन इंडिया) फिल्म टाइगर नागेश्वर राव में। 20 अक्टूबर को प्रदर्शित हो रही यह फिल्म पिछली सदी के आठवें दशक के एक चोर की कहानी पर आधारित हैं, जिसकी छवि लोगों के बीच राबिनहुड जैसी थी। इस फिल्म के बारे में निर्देशक वम्सी कृष्णा नायडू दैनिक जागरण से बातचीत में बताते हैं, ‘इस फिल्म के लिए मैंने दो साल रिसर्च किया, उसके बाद कोरोना महामारी आ गई।
फिल्म को बनाने में पांच से छह साल लगे
उसके बाद करीब एक साल फिल्म की तैयारी में लगे, एक-डेढ़ साल शूटिंग में लगे। इस तरह से इस फिल्म को बनाने में कुल पांच-छह साल लगे। फिल्म में दिखाया गया स्टूअर्टपुरम गांव कोई किसानों के रहने वाला सामान्य गांव नहीं है। इस गांव के लोग सौ साल पहले शिकारी थे, तो गांव में शिकारियों की पहचान दिखती है। उनके घर में सींग, चमड़े, हथियार आदि देखे जा सकते हैं।
हमने इस पूरे गांव का एक बड़ा सेट बनाया था। इस सेट की लागत सात-आठ करोड़ रुपये थी। यह सेट फिल्म के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। इसके अलावा फिल्म में ट्रेन के ऊपर एक एक्शन सीक्वेंस है, उसके लिए हमने 60 फीट ऊंचा एक पुल का सेट स्थापित किया और उसके ऊपर ट्रेन का सेट लगाकर एक्शन सीन शूट किया है।’ फिल्म में रवि तेजा के साथ नूपुर सैनन और अनुपम खेर भी अहम भूमिकाओं में हैं।
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