Director Siblings: अपने भाइयों से कम टैलेंटेड नहीं ये दिग्गज निर्देशक, इन आइकॉनिक फिल्मों का किया डायरेक्शन
अब्बास-मस्तान का नाम हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के मशहूर निर्देशकों में शुमार है। दोनों भाईयों की इस जोड़ी ने एक से बढ़कर एक फिल्में दी हैं। अगर आप इन फिल्मों को देखेंगे तो आपको फिल्म की कहानी में एक पैटर्न सा नजर आएगा। इसके अलावा संजय लीला भंसाली और बेला सहगल फरहान अख्तर- जोया अख्तर भी ऐसे भाई-बहन की जोड़ी हैं जिन्होंने बॉलीवुड को दिशा दी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अगर हम आपसे पूछे कि अगर कोई फिल्म सक्सेफुल होती है तो आप इसका क्रेडिट किसको देंगे। इस पर शायद आपका जवाब हो फिल्म की कास्ट, कहानी या फिर किसी बड़े स्टार का नाम। लेकिन आपको बता दें कि फिल्म की सक्सेस में सबसे बड़ा हाथ होता है इसके डायरेक्टर का। ये पूरी तरह से डायरेक्ट की जिम्मेदारी होती है कि फिल्म इस तरह से बनाई जाए कि लोग इसके टिकट खरीदने को मजबूर हो जाएं। अगर फिल्म का डायरेक्शन अच्छा होगा तो कोई भी फिल्म को 200 या 300 करोड़ का आंकड़ा पार करने से नहीं रोक पाएगा।
आज आपको बॉलीवुड के कुछ ऐसे डायरेक्टर्स के बारे में बताएंगे जिन्होंने सिनेमा को कई आइकॉनिक फिल्में दी हैं। इन डायरेक्टर भाई-बहनों की जोड़ी ने हमें कुछ ऐसी फिल्में दी हैं जो काफी अच्छी हैं और इन्हें भुलाया नहीं जा सकता। वहीं कुछ फिल्में ऐसी भी हैं जिनको देखकर लगता है कि क्या इनका बनना जरूरी था? खैर इनकी फिल्मों के बारे में जानकर आपके मन में एक सवाल तो जररू उठेगा कि क्या परिवारों के बीच फिल्म की कहानी को लेकर कोई जॉनर तय है जिससे ये एक ही तरह की कहानी बार-बार लेकर आते हैं। खैर हमें तो ऐसा ही लगता है बाकि आप देखिए।
अब्बास और मस्तान बर्मावाला
बॉलीवुड के फेमस फिल्ममेकर के तौर पर अब्बास मस्तान की जोड़ी फेमस है। हालांकि अगर आप इस जोड़ी की फिल्मोग्राफी को फॉलो करते होंगे तो आपने देखा होगा कि ये ज्यादातर स्टोरीटेलिंग और एक्शन फिल्म्स को लेकर फिल्में बनाते हैं। इनकी कुछ फिल्मों में रेस ट्रायलॉजी, खिलाड़ी और बाजीगर जैसी फिल्में आती हैं।जोया अख्तर और फरहान अख्तर
जोया अख्तर की फिल्ममेकिंग एक अलग ही लेवल की है। जोया अख्तर उन प्रतिभाशाली निर्देशकों में से एक हैं जिन्होंने हमें दिल धड़कने दो, गली बॉय और दिल धड़कने दो जैसी कई बेहतरीन फिल्में दी हैं। जहां तक बात फरहान अख्तर की आती है तो उनकी फिल्में दिल चाहता है और लक्ष्य ने बॉलीवुड फिल्मों की दिशा ही बदल दी।
अनुराग और अभिनव कश्यप
राजनीतिक झुकाव को एक तरफ रखते हुए, इस तथ्य पर बहस करने का वास्तव में कोई मतलब नहीं है कि एक समय में अनुराग कश्यप भारत में पैरलल सिनेमा का चेहरा थे। गैंग्स ऑफ वासेपुर,पांच,ब्लैक फ्राइडे,गुलाल,रमन राघव 2.0 इसका उदाहरण हैं।दूसरी ओर,अभिनव कश्यप ने दबंग के साथ 'कॉप फिल्म' को एक जॉनर के रूप में दिखाने की हिम्मत दिखाई। हालांकि उनकी अगली फिल्म बेशरम बहुत ही बकवास थी।