Double Role Debut Movies: कब हुई शुरुआत, कैसे होती है शूटिंग, जानिए बॉलीवुड में 'डबल रोल' की फुल डिटेल्स?
Double Role In Bollywood चेहरा एक किरदार डबल फिल्मों में कुछ इसी तरह डबल रोल की परिभाषा दी जाती है। हिंदी सिनेमा में डबल रोल का चलन काफी पुराना है। इसको लेकर कई दिलचस्प तथ्य मौजूद हैं। ऐसे में आज इस लेख में इंडस्ट्री में डबल रोल के इतिहास और शूटिंग से लेकर अन्य सारी डिटेल्स के बारे में विस्तार से जानते हैं।
By Ashish RajendraEdited By: Ashish RajendraUpdated: Thu, 01 Feb 2024 08:32 PM (IST)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Bollywood Movies in Double Roles: एक टिकट में डबल मजा वाला कथन सिनेमा जगत में डबल रोल के उदाहरण के लिए एक दम फिट बैठता है। देवानंद की हम दोनों, नरगिस की अनहोनी और दिलीप कुमार साहब की राम और श्माम जैसी कई फिल्मों में डबल रोल के माध्यम से दर्शकों का लंबे अरसे से भरपूर मनोरंजन होता आ रहा है। एक अभिनेता को मूवी में दोहरी भूमिका निभाते हुए देखना भी फैंस के लिए किसी स्पेशल ट्रीट से कम नहीं होता है।
जब भी बात डबल रोल की जाती है कि कई सारे सवाल जहन में उमड़ने लगते हैं कि इसकी शुरुआत कब हुई, कैसे फिल्मों में डबल रोल सीन शूट किए जाते हैं और कौन सा वो कलाकार है, जिसने अपने फिल्मी करियर में सबसे ज्यादा बार मूवीज में डबल रोल प्ले किया। इन तमाम सवालों के जवाब आज हम आपको इस लेख के जरिए देने जा रहे हैं। ऐसे आइए जानते हैं कि बॉलीवुड में डबल रोल कॉन्सेप्ट का इतिहास कितना पुरान है।
इंडस्ट्री में कब हुई डबल रोल की शुरुआत
फिल्मों में दोहरी भूमिका के किरदार को बड़े पर्दे पर उतारने का जनक अगर किसी को कहा जाता है तो दिग्गज फिल्ममेकर दादा साहेब फाल्के थे। आजाद भारत से पहले सन 1917 में उन्होंने एक मूक फिल्म बनाई, जिसका नाम लंका दहन था। इस मूवी में पहली बार डबल रोल देखने को मिला।
खास बात ये थी इस फिल्म के अभिनेता अन्ना सांलुके ने भगवान राम और मां सीता की दोहरी भूमिका को निभाया था। इस तरह से लंका दहन वो पहली फिल्म है, जिसमें अभिनेता का डबल रोल मौजूद रहा और अन्ना सांलुके वो पहले कलाकार बने जिन्होंने इसे अदा किया।
पहले कैसे होती थी डबल रोल सीन्स की शूटिंग
फिल्मों में डबल रोल की शूटिंग एक दिलचस्प सवाल माना जाता है। इसके पीछे की कहानी भी काफी रोचक है। पुराने दौर में दोहरी भूमिका वाले सीन को शूट करने के लिए किरदार को सिंगल फ्रेम वाइज शूट किया जाता है। इसके बाद उसी फ्रेम के साथ दूसरे एंगल से फिल्माया जाता है।
इसके बाद असली काम एडिटिंग का होता है। फ्रेम के बाद फ्रेम को सेट कर के एडिटिंग के जरिए डबल रोल सीन को सेट किया जाता है। इतना ही नहीं सेट पर इसके लिए स्पेशल मार्किंग भी जाती है ताकि सीन की कंटिन्यूटी में कोई अंतर न देखने को मिले। ध्यान देने वाली बात ये है कि इस तरह के दृश्य के लिए लिमिटेड फ्रेमिंग और एंगल रखे जाते थे।
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