Mission Raniganj देख फैंस की आंखों में आए आंसू, अक्षय कुमार को कही ऐसी बात, भावुक हुए एक्टर, देखें वीडियो
Mission Raniganj टीपू सुरेश देसाई की डायरेक्ट की गई फिल्म मिशन रानीगंज रियल लाइफ इंसीडेंट पर आधारित फिल्म है। मूवी ने ओपनिंग डे पर भले ही अच्छा बॉक्स ऑफिस कलेक्शन न किया हो लेकिन इसकी कहानी लोगों के दिलों को छू गई है। हाल ही में अक्षय ने एक इवेंट के दौरान फैंस से इंटरएक्ट किया जहां लोगों ने उन्हें लेकर कुछ ऐसा कहा जिसे सुन वह भावुक हो गए।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। अक्षय कुमार के लिए ये साल अब तक कुछ खास कमाल नहीं कर पाया। सबसे पहले रिलीज हुई 'सेल्फी' बॉक्स ऑफिस पर औंधे मुंह गिरी थी। इसके बाद आई 'ओएमजी 2' ने 100 करोड़ का आंकड़ा तो पार किया, लेकिन 'गदर 2' की आंधी में उस तरह से आगे नहीं बढ़ पा रही थी, जैसी मेकर्स को उम्मीद थी। अब वह 'मिशन रानीगंज: द ग्रेट भारत रेस्क्यू' के जरिये फैंस के दिलों को जीतने में लगे हैं।
फैन ने जताया अक्षय का आभार
अक्षय कुमार ने हमेशा फैंस के साथ स्पेशल बॉन्डिंग बनाए रखने का प्रयास किया है। चाहे सोशल मीडिया हो या फिर फिल्म रिलीज के टाइम सिनेमाहॉल में जाकर फैंस का लाइव रिएक्शन जानना, अक्षय के हर मूव ने उनके फैंस को इम्प्रेस किया है। फैंस ने उन्हें हमेशा प्यार दिया है।
'मिशन रानीगंज' के साथ भी कुछ ऐसा ही है। हाल ही में अक्षय ने फिल्म की स्पेशल स्क्रीनिंग के दौरान एक सिनेमा हॉल में एंट्री की, जहां फैंस ने फिल्म में उनके काम की तारीफ करने के साथ ही बताया कि सिनेमा में उनका कॉन्ट्रिब्यूशन कितना अहम रहा है।
'अहम है सिनेमा में आपका कॉन्ट्रिब्यूशन'
खिलाड़ी कुमार के नाम से फेमस अक्षय ने एक सिनेमाहॉल में एंट्री की। उन्हें अपने बीच देख लोगों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
इस बीच एक फैन ने कहा, ''आपने इंडिया को जो भी दिया है, हम खुशनसीब हैं कि हमारा जन्म उस जमाने में हुआ जहां हम आपकी फिल्में देख सकते हैं। मैंने आपको मिस्टर बॉन्ड के टाइम से देखा है और मुझे समझ नहीं आता कि किस तरह का अफेक्शन है आपके लिए, लेकिन आपको देखकर हमेशा मेरी आंखों में खुशी के आंसू आ जाते हैं। सिनेमा में आपका कॉन्ट्रिब्यूशन बाकी किसी से भी महत्वपूर्ण रहा है क्योंकि आपने हमें डिसिप्लिन सिखाया है।"
'मिशन रानीगंज' सच्ची घटना पर आधारित फिल्म है। ये कहानी 1989 में वेस्ट बंगाल में हुए कोयला हादसे को दिखाती है, जब खदान में कई मजदूर फंस गए थे। कुछ अपनी जान बचाकर सकुशल बाहर निकल पाने में कामयाब रहे, लेकिन बाकी के 65 मजदूर खदान में ही फंसे रह गए। तब उन सबको जसवंत सिंह गिल ने बचाया था। उन्होंने कई बोर खोदे और एक-एक कर मजदूरों को बाहर निकाला।
इस रेस्क्यू ऑपरेशन में करीब 6-7 घंटे लग गए थे। इस हादसे के वक्त जसवंत सिंह गिल बतौर एडीशनल चीफ माइनिंग डायरेक्टर वहां पोस्टेड थे। जसवंत सिंह को इस बहादुरी के लिए 1991 में इंडियन गवर्मेंट की तरफ से प्रेसिंडेट रामास्वामी वेंकटरमन के हाथों सिविलियन गेलेन्ट्री अवार्ड 'सर्वोंत्तम जीवन रक्षक पदक' दिया गया।