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14 साल फिल्मों से दूर रहे फरदीन खान ने डिप्रेशन पर की बात, कहा- जिंदगी आसान नहीं, खुद को शांत रखने के लिए मैंने...

बॉलवुड में साल 2000 के शुरुआती वर्षों में अपनी एक्टिंग का जलवा दिखाकर फैन फॉलोइंग बनाने वाले फरदीन खान (Fardeen Khan) ने 14 साल बाद हीरामंडी से वापसी की। हाल ही में एक्टर ने अपने टफ दिनों और आदत का खुलासा किया। फरदीन ने बताया कि उन्हें ओवरथिंकिंग की आदत है। ऐसे समय में वह फिर खुद को कैसे संभाालते हैं इसके बारे में एक्टर ने बताया।

By Karishma Lalwani Edited By: Karishma Lalwani Updated: Sat, 15 Jun 2024 09:33 AM (IST)
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बॉलीवुड एक्टर फरदीन खान. फोटो क्रेडिट- इंस्टाग्राम

एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड एक्टर फरदीन खान (Fardeen Khan) ने 14 साल के गैप के बाद एक्टिंग लाइन में वापसी की। संजय लीला भंसाली (Sanjay Leela Bhansali) की 'हीरामंडी' में उनकी परफॉर्मेंस को काफी पसंद किया गया। फरदीन खान ने इतने लंबे टाइम के बाद वापसी करने और डिप्रेशन पर खुलकर बात की है।

'जिंदगी का चक्र है मौत'

पिंकविला को दिए इंटरव्यू में फरदीन खान ने अपने टफ दिनों पर बात की। एक्टर ने अपनी आदतों का खुलासा करते हुए कहा कि मौत और पुनरुत्थान जिंदगी का चक्र है। उन्होंने कहा कि कुछ भी आसान नहीं होता। जिस चीज को आप ढूंढना चाहते हैं, उसके लिए आपको लगना पड़ता है। आपको मार्केट में लोगों से बात करनी होती है।

एक्टर ने कहा कि आप जो कर रहे होते हैं, आप उसमें समय के साथ और अच्छे से समझ पाते हैं। आपको समझ आता है कि आप सही काम कर रहे हैं या आपको और सीखने की जरूरत है और अपनी स्किल्स को मास्टर करने की जरूरत है।

'मौत और पुनरुत्थान का चक्र' 

फरदीन ने कहा कि कभी-कभी ऐसा भी होता है कि आप डिप्रेशन में आ जाते हैं। आपको पॉजिटिव फीलिंग नहीं आती। चीजों के मायने नहीं समझ आते, लेकिन मेरी नजर में अपने बारे में जानने का एक तरीका होता है। जब आप उस किसी चीज के बारे में गहराई से सोचते हैं, तो मजा उसी में होता है। ये जिंदगी मौत और पुनरुत्थान का चक्र है।

डिप्रेशन पर कही ये बात

फरदीन ने बताया कि उनके लिए वो दिन मुश्किल भरे रहे, जब वह डिप्रेशन से जूझ रहे थे। उन्होंने कहा, ''मैं कभी-कभी खुद को एक दायरे में बंद कर लेता हूं। मुझे एक ही जगह बैठ चीजों के बारे में सोचना अच्छा लगता है। जो लोग मुझे जानते हैं, वो कहते हैं कि मैं ओवरथिंकिंग करता हूं, लेकिन मैं की बार अकेले में सोचता हूं कि मुझे आखिर क्यों नेगिटिव फीलिंग आ रही है। एक बार कारणों का पता लग जाए, उसके बाद नॉर्मल होने में कम दुविधा महसूस होती है।''

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