फिल्म लाल सिंह चड्ढा हमारे खूबसूरत देश की पारिवारिक कहानी है : अभिनेता अतुल कुलकर्णी
Film Laal Singh Chaddha जब आमिर ने दो साल बाद स्क्रिप्ट सुनी तो उन्होंने कहा कि मेरी अगली फिल्म यही होगी। हालांकि उन्हें यह कहे हुए 12 साल हो गए थे। हमें राइट्स नहीं मिले थे। 10 साल तक राइट्स के लिए बातचीत होती रही।
By Sanjay PokhriyalEdited By: Updated: Thu, 04 Aug 2022 09:55 PM (IST)
प्रियंका सिंह। Film Laal Singh Chaddha रंग दे बसंती फिल्म से अभिनेता अतुल कुलकर्णी और आमिर खान की दोस्ती शुरू हुई थी। दोस्त के लिए अतुल ने लाल सिंह चड्ढा फिल्म लिख दी। हॉलीवुड अभिनेता टॉम हैंक्स अभिनीत फिल्म फॉरेस्ट गम्प की आधिकारिक हिंदी रीमेक इस फिल्म को अतुल ने कई साल पहले लिखा था। 11 अगस्त को फिल्म सिनेमाघरों में रिलीज होगी। अतुल से बातचीत के अंश।
इस फिल्म में ऐसी कौन सी बात लगी, जिसने आपको अभिनेता से लेखक बना दिया?
पूरी फिल्म, यह 14 साल पहले की बात है, जब मेरी और आमिर खान की बात हुई थी। जाने तू या जाने ना फिल्म रिलीज होने वाली थी। उस फिल्म का प्रीमियर था। उस प्रीमियर के बाद हम उनके घर पर गए थे, खाना खा रहे थे, बातें चल रही थी। तब जिक्र हुआ कि कौन-कौन सी फिल्में अच्छी लगती हैं, कौन सी देखनी चाहिए। उस वक्त फॉरेस्ट गम्प फिल्म का जिक्र हुआ था। मैंने फिल्म देखी थी, मुझे पसंद थी। मेरा एक आउटडोर शूट कैंसिल हो गया था। मेरे पास 12-15 दिन थे। फॉरेस्ट गम्प की डीवीडी सामने रखी थी। मैंने सोचा की कई दिन हो गए हैं, फिल्म को दोबारा देखते हैं।
फिल्म देखते वक्त मेरे सामने कुछ फ्लैशेस आ गए कि अगर यह किरदार हिंदुस्तान में होता और यहां पर अपनी जिंदगी जी रहा होता तो क्या-क्या होता। मैंने नोट्स लिखने शुरू कर दिए। एक-दो घंटे बाद मुझे लगा कि क्यों न मैं इस स्क्रिप्ट को लिखना शुरू कर दूं। देखते हैं कहां तक जाता हूं। मैंने लिखना शुरू कर दिया। 10 दिन में स्क्रिप्ट तैयार हो गई। दो-तीन में फाइनल ड्राफ्ट तैयार किया। बातों-बातों में बात शुरू हुई थी, तब कोई इरादा नहीं था कि ऐसी कोई फिल्म लिखूंगा। स्क्रिप्ट पूरी होने तक मुझे भी अंदाजा नहीं था कि मैंने स्क्रिप्ट लिख पाऊंगा।
स्क्रिप्ट को 12 साल तक आमिर खान के लिए रोके रखना क्या मुश्किल नहीं था? लगा नहीं कि किसी और कलाकार के साथ इस फिल्म को बनाया जाए?
इस तरह का सवाल न कभी दिमाग में था, न हो सकता था। यह फिल्म अगर आमिर नहीं करते, तो यह फिल्म नहीं बनती। मैंने यह स्क्रिप्ट अपने दोस्त आमिर के लिए ही लिखी थी। अगर आमिर मेरे दोस्त न भी होते, तो भी इस तरह की फिल्म में वही काम कर सकते थे। सही इंसान के हाथों में स्क्रिप्ट आई।
लाल सिंह चड्ढा नाम कैसे सूझा? क्यों लगा कि किरदार सिख होना चाहिए?वह बताना उचित नहीं होगा, क्योंकि कहानी उसी से जुड़ी है। यह कहानी कहीं की भी कहानी हो सकती थी। हमारे देश की कहानी है, जिसमें हर तरह के लोग बसते हैं। इस अनोखे देश से कोई भी किरदार कहीं से भी हो सकता था। फिल्म देखने पर पता चलेगा कि नाम लाल सिंह चड्ढा क्यों है।फॉरेस्ट गम्प फिल्म लेखक विंस्टन ग्रूम की किताब पर आधारित थी। आपने सिर्फ फिल्म का ही रूपांतरण किया है या किताब में से भी कुछ शामिल किया है?
नहीं, जब मैंने फिल्म को बनाने के बारे में सोचा था, तब मैंने वह उपन्यास नहीं पढ़ा था। लेकिन मैंने जो स्क्रिप्ट लिखी है, वह पूरा फॉरेस्ट गम्प फिल्म के स्क्रीनप्ले के आधार पर लिखा है। लेकिन तरीका नया है लिखने का, भारतीय दर्शकों के मुताबिक लिखा गया है, जिसे पांच साल के बच्चे से लेकर बुजुर्ग तक देख सकते हैं। हमारे खूबसूरत देश की कहानी है, पारिवारिक फिल्म है। इसका भाषांतरण नहीं हो सकता था, रुपांतरण ही हुआ है। वह उपन्यास मैंने पढ़ा जरूर था, लेकिन स्क्रिप्ट लिखने के बाद। ओरिजनल स्क्रीनप्ले जो था, वही परफेक्ट था।
आमिर खान के साथ स्क्रिप्ट को लेकर किस तरह की चर्चाएं हुई थीं? उन्होंने कहा था कि कुछ वक्त तक उन्होंने इस स्क्रिप्ट को टाला था?उन्होंने स्क्रिप्ट सुनने में दो साल का वक्त लिया था। उसका कारण यह था कि मैंने किसी फिल्म की स्क्रिप्ट पहली बार लिखी थी। यह फॉरेस्ट गम्प का अडैप्टेशन था, उनको भरोसा नहीं था कि मैंने क्या ही लिखा होगा। उनको लगा था कि यह मेरा इतना करीबी दोस्त है, मैं उसको नाराज नहीं कर सकता हूं। हमारी दोस्ती रंग दे बंसती फिल्म के दौर से है। उन्होंने स्क्रिप्ट पढ़ी नहीं थी। लेकिन जिस क्षण मैंने स्क्रिप्ट उनको सुनाई, उन्होंने कह दिया कि मेरी अगली फिल्म यही होगी। मैं इस फिल्म में अभिनय और इसका निर्माण करूंगा। उनके मन में कोई आशंका नहीं थी कि फिल्म करनी चाहिए या नहीं। उनके दिमाग में यह फिल्म इतनी बैठ गई थी कि वह 10 साल तक फॉरेस्ट गम्प के राइट्स के लिए कोशिशें करते रहे।
इंटरनेट मीडिया पर आमिर खान के इस किरदार की तुलना पीके और धूम 3 फिल्मों के किरदारों से की जा रही थी। यह ट्रोल्स परेशान करते हैं?सच कहूं, तो नहीं, मुझे कोई बेचैनी नहीं होती है, क्योंकि मैं ट्रोल्स को देखता ही नहीं हूं। जब देखता ही नहीं हूं, तो परेशान कैसे होऊंगा।कोई और कहानी अच्छी लग रही है, जिसे लिख रहे हैं?नहीं, फिलहाल तो ऐसा कुछ नहीं है। पता नहीं कोई कहानी दिमाग में आ जाए, तो लिख दूंगा।