जातिवाद पर सवाल खड़े करती फिल्म 'लछमिनिया' का फिल्म फेस्टिवल में होगा प्रदर्शन, भेदभाव करने वालों को दिखाएगी आईना
फिल्म इंडस्ट्री से कई फिल्में दर्शकों के सामने रखी गई हैं जिसने उनका मनोरंजन भी किया हो और कुछ सीख भी दो हो। यह फिल्में फिक्शनल और नॉन फिक्शनल कई तरह की हो सकती हैं। न सिर्फ साउथ या हिंदी फिल्म इंडस्ट्री से बल्कि भोजपुरी सिनेमा में भी कुछ ऐसी फिल्में रिलीज होती आई हैं। इन्हीं में से एक मूवी है लिछमिनिया जो जातिवाद पर सवाल खड़े करती है।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। सिनेमा की दुनिया में कई ऐसी फिल्में बनती और रिलीज होती हैं, जो दर्शकों को सोचने पर मजबूर कर दें। बॉलीवुड में 'द कश्मीर फाइल्स', 'तारे जमीन पर' सहित कुछ ऐसी फिल्में रही हैं, जिनका दर्शकों पर गहरा प्रभाव पड़ा है। हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की तरह ही भोजपुरी सिनेमा में भी ग्लैमर से हटकर कुछ ऐसी फिल्में रिलीज होती हैं, जो लोगों को सवाल करने पर मजबूर कर दे।
'हमारी जाति हमें शर्मिंदा करती है'
ऐसी ही एक फिल्म है 'लछमिनिया', जो जातिवाद पर कई सवाल खड़े करती है। भोजपुरी और हिंदी भाषा में बनी ये फिल्म रिलीज से ज्यादा दूर नहीं है। ऐसे में मेकर्स ने इसका एक तरह से प्रमोशन भी शुरू कर दिया है। फिल्म के डायरेक्टर रितेश एस कुमार ने कहा, "कभी-कभी हमारी जाति हमें शर्मिंदा कर देती है। यह फिल्म जातिवाद आधारित मानसिकता पर सवाल उठाते हुए समाज की गंदी व्यवस्थाओं की आलोचना करती है।''
समाज की कुरीतियों को सामने लाती है फिल्म
रितेश कुमार ने कहा, "ये फिल्म जातिवाद की गहरी जड़ों को उजागर करती है, जो हमारे समाज में आज भी मौजूद हैं। यह फिल्म न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि हमारे समाज की उन कुरीतियों को सामने लाने का प्रयास है, जिन्हें आमतौर पर नजरअंदाज कर दिया जाता है।"
सकारात्मक बदलाव लेकर आएगी ये फिल्म
इस फिल्म में सिंटू सिंह सागर लीड रोल में हैं। उन्होंने इस मूवी को करने का असल कारण इसका कंटेंट बताया। सिंटू सिंह ने कहा, "हमारी फिल्म यह दिखाती है कि कैसे जातिवाद का घुन समाज के हर स्तर पर काम करता है और कैसे इसका प्रभाव निचली जातियों के लोगों की जिंदगी पर पड़ता है। इस फिल्म के जरिये हम यह संदेश देना चाहते हैं कि हमें इन सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उठ खड़ा होना होगा। हमे उम्मीद है कि ये फिल्म सकारात्मक बदलाव लेकर आएगी।''
यह है फिल्म का प्लॉट
फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे उच्च जाति के लोग निची जातियों की बहू-बेटियों पर बुरी नजर रखते हैं और मौके पर उनका नाजायज फायदा उठाते हैं। विरोध करने पर उसकी आवाज को दबा दिया जाता है। फिल्म की शूटिंग बिहार के लखीसराय जिले में हुई है।