Mahatma Gandhi की हत्या पर बनी पहली फ़िल्म में अंग्रेज ने निभाया Nathuram Godse का रोल
Nathuram Godse First Film भारतीय फ़िल्मकारों ने महात्मा गांधी के जीवन के कई पहलुओं को तो फ़िल्मों के ज़रिए दिखाया मगर उनकी हत्या की साजिश पर कैमरा घुमाने की कोशिश नहीं की।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Sat, 18 May 2019 09:02 AM (IST)
मुंबई। Nathuram Godse in British Film in 1963 नाथूराम गोडसे का नाम वैसे तो इतिहास का एक पन्ना भर है, मगर वक़्त और ज़रूरत के हिसाब से यह नाम सियासत का हिस्सा बनता रहा है। लोकसभा चुनाव के आख़िरी पड़ाव से ठीक पहले नाथूराम गोडसे एक बार फिर सियासत में ज़िंदा हो गया है।
भोपाल से बीजेपी उम्मीदवार साध्वी प्रज्ञा ठाकुर (Pragya Thakur) ने गोडसे को देशभक्त बताया तो सियासी रैलियों से लेकर सोशल मीडिया तक हंगामा मचा गया। हालांकि साध्वी ने इस बयान पर माफ़ी मांग ली और महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) के प्रति आदर-सम्मान होने की बात भी कही। वहीं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने प्रज्ञा के बयान पर नाराज़गी ज़ाहिर की है।बहरहाल, इतिहास और सियासत, दोनों ही ऐसे विषय हैं, जो फ़िल्मकारों को लुभाते रहे हैं और अगर इन दोनों को मिला दिया जाए तो कहानी का थ्रिल कुछ अलग ही हो जाता है। इसीलिए इतिहास के खलनयाक नाथूराम गोडसे को भी सिनेमा के पर्दे पर पेश किया जाता रहा है। महात्मा गांधी की हत्या का ज़िक्र जहां-जहां आया, उन दृश्यों में नाथूराम गोडसे का आना लाज़िमी था।
यह भी दिलचस्प संयोग है कि भारतीय फ़िल्मकारों ने महात्मा गांधी के जीवन के कई पहलुओं को तो फ़िल्मों के ज़रिए दिखाया, मगर उनकी हत्या की साजिश पर कैमरा घुमाने की कोशिश नहीं की। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि महात्मा गांधी की हत्या की साजिश पर पहली फ़िल्म ब्रिटिश फ़िल्मकारों ने बनायी थी, जिसमें ज़्यादातर कलाकार ब्रिटिश ही थे। भारतीयों के किरदार में भी ब्रिटिश एक्टर ही थे। नाथूराम गोडसे को लेकर हो रहे शोर-शराबे के बीच इस फ़िल्म की चर्चा भी सतह पर आ गयी है।
3 अप्रैल 1963 को रिलीज़ हुई फ़िल्म Nine Hours To Kill इसी नाम से 1962 में आये नॉवल से प्रेरित थी। इस नॉवल की कहानी महात्मा गांधी की हत्या से चंद घंटे पहले की थी। पुलिस को साजिश का पता चल जाता है और वो हत्या को रोकने की कोशिश करती है। नाइन आवर्स टू किल का निर्देशन मार्क रॉबसन ने किया था।
Horst Buchholz ने नाथूराम गोडसे की भूमिका निभायी थी, जबकि महात्मा गांधी के किरदार में J S Casshyap थे। उस दौर के जाने-माने एक्टर पी जयराज ने फ़िल्म में जीडी बिरला का किरदार निभाया था, जबकि डेविड अब्राहम च्यूलकर डिटेक्टिव मुंडा की भूमिका में थे। फ़िल्म की शूटिंग इंग्लैंड और भारत में हुई थी।
कुछ दिन पहले वेटरन एक्टर कमल हासन (Kamal Haasan) ने भी एक चुनावी सभा के दौरान नाथूराम गोडसे को पहला हिंदू आतंकी कहा था, जिसके जवाब में प्रज्ञा ने नाथूराम गोडसे को देशभक्त करार दिया। संयोग से कमल हासन की फ़िल्म हे राम में भी उन हालात को संक्षिप्त में दिखाया गया है, जिनकी वजह से गोडसे द्वारा महात्मा गांधी की हत्या की गयी थी। मराठी भाषा का नाटक मी नाथूराम गोडसे बोलतोय के ज़रिए गोडसे के दृष्टिकोण को दिखाया गया है।लोकसभा चुनाव और क्रिकेट से संबंधित अपडेट पाने के लिए डाउनलोड करें जागरण एप