Friendship Day 2024: बॉलीवुड में मशहूर है 'यारों की यारी', बुरे वक्त में कभी नहीं छोड़ा एक-दूसरे का साथ
आम इंसान हो या बॉलीवुड स्टार हर किसी की लाइफ में एक न एक दोस्त ऐसा होता ही है जो बहुत खास होता है। कल यानी 4 अगस्त को दुनिया भर में फ्रेंडशिप डे सेलिब्रेट किया जाएगा। ऐसे में अब हम आपको उन स्टार्स के बारे में बताते हैं जिनकी दोस्ती के किस्से फिल्मी दुनिया में काफी ज्यादा मशहूर हैं।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। दोस्त वही जो जरूरत के समय काम आए। हिंदी सिनेमा में भी कई कलाकारों के बीच की दोस्ती मशहूर रही है, जिन्होंने आड़े वक्त में भी अपने दोस्त का साथ नहीं छोड़ा। आज फ्रेंडशिप डे पर पढ़ें, फिल्मी दुनिया में मशहूर हुए यारों और उनकी यारियों के ऐसे ही दो किस्से...
फिल्म की फीस मात्र एक रुपया
करियर की शुरुआत में खलनायक की भूमिका में लोकप्रिय हुए अभिनेता प्राण सिकंद का 'शो मैन' राज कपूर के साथ करीबी जुड़ाव रहा। 24 साल की उम्र में फिल्म 'आग' से निर्देशन में कदम रखने वाले राज कपूर ने जब फिल्म 'आह' का निर्माण किया, तो उसमें उस समय ज्यादातर खलनायक की भूमिका निभा रहे प्राण को सकारात्मक डॉक्टर की भूमिका दी, लेकिन फिल्म नहीं चली।
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हालांकि, राज कपूर ने उनके साथ काम करना जारी रखा। प्राण ने उनकी फिल्म 'जिस देश में गंगा बहती है' में डकैत राका की अहम भूमिका निभाई। फिल्म 'मेरा नाम जोकर' की असफलता से राज कपूर के समक्ष आर्थिक संकट पैदा हो गया था। उन्होंने कर्ज से उबरने के लिए अपने छोटे बेटे ऋषि कपूर के साथ फिल्म 'बाबी' बनाने का फैसला लिया। राज कपूर चाहते थे कि इसमें प्राण नायक के पिता की भूमिका निभाएं। तब प्राण करियर के शिखर पर थे।
वह दो से ढाई लाख रुपये फीस लेते थे। तब राज कपूर ने प्राण से कहा था कि मैं अभी तुम्हें कुछ भी धनराशि देने की स्थिति में नहीं हूं। तब प्राण ने चेहरे पर कोई भाव दिए बिना राज कपूर से पूछा कि आपकी जेब में एक रुपये का सिक्का होगा? राज कपूर थोड़ा चौंके। वह कुछ कहते, इससे पहले ही प्राण ने कहा कि आप मुझे एक रुपये दीजिए, मैं यह फिल्म कर रहा हूं। यही मेरी फीस होगी।
आप जब चाहेंगे मैं फिल्म की शूटिंग करूंगा। प्राण की यह प्रतिक्रिया सुनकर राज कपूर भी हैरान रह गए। खास बात यह रही कि प्राण ने न तो फिल्म की कहानी सुनी, न ही अपनी भूमिका के बारे में पूछा। दरअसल, वह आश्वस्त थे कि राज कपूर की फिल्म में कोई भी पात्र असंगत नहीं होगा। हर कलाकार को भूमिका के अनुरूप ही चुना गया होगा। बाद में फिल्म सुपरहिट रही।
यारों के यार संजीव कुमार
अभिनेता संजीव कुमार भी यारों के यार माने जाते थे। सफलता के शिखर पर पहुंचने के बावजूद उन लोगों को नहीं भूले जो उनके करियर में मददगार रहे। उनके दोस्त चंद्रवर्धन भट्ट (जिन्होंने उनका गुजराती थिएटर से परिचय कराया था) ने उनसे दो नाटकों में अभिनय करने का आग्रह किया ताकि गुजरात रंगमंच पर उनकी सिल्वर जुबली मनाई जा सके।
संजीव ने तुरंत अपनी सहमति दे दी। उस शो को देखने अमिताभ बच्चन, जया भादुड़ी, शत्रुघ्न सिन्हा समेत कई फिल्मी सितारे पहुंचे। यहां तक कि राजेश खन्ना भी उस शो को देखने आए थे। उस दो शो के टिकट चार गुणा महंगे थे, लेकिन संजीव कुमार ने उसके लिए मुफ्त में परफार्म किया। इसी तरह फिल्म ‘हम पांच’ को पूरा करने के लिए निर्माता बोनी कपूर को पैसों की जरूरत थी।
उन्होंने कई जगह से ऋण लेने का प्रयास कर रहे थे। जब संजीव कुमार को इसके बारे में पता चला तो खुद मदद को आगे आए और उनकी जरूरत के मुताबिक राशि दी। यह राशि लाखों में थी। इस बात की जानकारी संजीव के स्वजनों को भी नहीं थी। संजीव के निधन के बाद जब बोनी परिजनों को पैसे लौटाने गए, तब उन्हें इस उधारी के बारे में पता चला।
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