Sunil Dutt Birthday: 5 साल की उम्र में शुरू हुई संघर्ष की कहानी, मदर इंडिया की अपार सफलता के बाद बस फिर मुड़कर नहीं देखा
Sunil Dutt Birthday हिंदी सिनेमा जगत पर राज करने वाले सुनील दत्त ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता नहीं बल्कि रेडियो जॉकी से की थी। स्वतंत्र भारत के 8 साल बाद 1955 में पहली फिल्म मिली। उनकी पहली फिल्म का नाम था रेलवे प्लेटफॉर्म।
By Babita KashyapEdited By: Updated: Mon, 06 Jun 2022 09:01 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। 6 जून 1929 को जन्में सुनील दत्त ने हिंदी सिनेमा जगत पर राज किया। फिल्म हो या राजनीति इस शख्स का नाम हमेशा ही रोशन रहा। हालांकि सुनील दत्त की जीवन कहानी संघर्षों और उतार-चढ़ावों से भरी रही, लेकिन अपनी मेहनत और लगन से उन्होंने हर संभव कोशिश की क्षेत्र में सफलता के झंडे लहराए गए। इस लेख में हम सुनील दत्त की जयंती के अवसर पर उनके जीवन से जुड़े हर पहलू पर प्रकाश डालेंगे। आज हम सुनील दत्त की जयंती के अवसर पर उनके जीवन से जुड़े हर पहलू की चर्चा करेंगे।
संघर्ष की कहानीविभाजन से पहले पंजाब राज्य के झेलम जिले के खुरदी गांव के एक गरीब परिवार में जन्मे सुनील दत्त के संघर्ष की कहानी बचपन से ही शुरू हो गई थी। 5 साल की उम्र में सुनील दत्त के सिर से पिता का साया उठ गया था। ऐसे में सुनील दत्त ने आजाद भारत से पहले जीवन जीने के लिए काफी कष्ट देखे। बेटे सुनील दत्त का लालन-पालन किसी तरह मां कुलवंती देवी ने किया। इस दौरान सुनील ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और उच्च स्तरीय शिक्षा के लिए मुंबई आ गए। मुंबई आने के बाद सुनील दत्त ने जय हिंद कॉलेज से एडमिशन लिया।
बस कंडक्टर की नाैकरीसुनील दत्त जब कॉलेज में पढ़ रहे थे। उस समय उनकी आर्थिक स्थिति काफी खराब थी। ऐसे में सुनील दत्त सितारों के शहर मुंबई में अपना पेट भरने के लिए नौकरी की तलाश में इधर-उधर भटकने लगे। कड़ी मेहनत के बाद सुनील दत्त को मुंबई बेस्ट की बसों में कंडक्टर की नौकरी मिल गई। जिससे सुनील दत्त का दैनिक खर्चा चलने लगा।
रेडियो जॉकी से करियर की शुरुआतबस कंडक्टर के तौर पर काम करते हुए सुनील दत्त के मन में हमेशा एक सवाल रहता था कि मुझे कुछ बड़ा करना है। कॉलेज के बाद सुनील दत्त ने अपने करियर की शुरुआत बतौर अभिनेता नहीं बल्कि रेडियो जॉकी से की थी। सुनील दत्त उस समय रेडियो सेयलॉन में हिंदी के सबसे प्रसिद्ध उद्घोषक के रूप में तैनात थे। हालांकि अभिनेता बनने का सपना उनमें हमेशा फलता-फूलता रहा।
ऐसे मिला पहला ब्रेकसालों तक एक रेडियो जॉकी के रूप में काम करने के बाद, सुनील दत्त की किस्मत चमक गई जब उन्हें स्वतंत्र भारत के 8 साल बाद 1955 में पहली फिल्म मिली। उनकी पहली फिल्म का नाम था रेलवे प्लेटफॉर्म। हालांकि सुनील की ये फिल्म कुछ खास कमाल नहीं दिखा पाई, लेकिन इसके बाद सुनील दत्त को बॉलीवुड की दिग्गज अभिनेत्री नरगिस के साथ फिल्म मदर इंडिया में अहम रोल मिला। फिर क्या था, इसके बाद सुनील दत्त ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और मदर इंडिया सुपरहिट रही। इतना ही नहीं नरगिस और सुनील दत्त की मदर इंडिया ऑस्कर के लिए नॉमिनेट होने वाली भारत की पहली फिल्म बनी।
फिल्म में सुनील दत्त की मां बनी थी नरगिससुनील दत्त और नरगिस की प्रेम कहानी बॉलीवुड में सुनहरे पन्नों में लिखी गई है। सुनील दत्त ने फिल्म मदर इंडिया में नरगिस के बेटे की भूमिका निभाई थी। बता दें कि इस फिल्म की शूटिंग के दौरान एक बार सेट पर आग लग गई, जिसमें नरगिस फंस गई। ऐसे में सुनील दत्त ने अपनी जान की परवाह किए बगैर नरगितस को आग की लपटों से बचा लिया। इस दौरान सुनील को काफी चोटें भी आईं। यहीं से सुनील ने नरगिस के दिल में जगह बना ली और दोनों को एक दूसरे से प्यार हो गया। 11 मार्च 1958 को नरगिस और सुनील एक दूसरे के हो गए। इसके बाद दोनों के तीन बच्चे भी हैं, जिनके नाम प्रिया दत्त, नम्रता दत्त और सुपरस्टार अभिनेता संजय दत्त हैं।
राजनीति में भी बनाई जगहअपने जीवन काल में सुनील दत्त ने राजनीति में अपना दमखम दिखाया। सुनील दत्त उस समय देश में मनमोहन सिंह सरकार के दौरान राज्यसभा सांसद भी थे। इसके अलावा उन्हें इस सरकार के तहत युवा और खेल विभाग के मंत्री का प्रभार दिया गया था। इस दौरान सुनील दत्त ने राजनीति में रहकर जरूरतमंदों की काफी मदद की थी।सबके दिलों में अमर हो गए सुनील दत्त
फिल्म संजू में हम सभी ने देखा है कि अभिनेता संजय दत्त के करियर को संभालने के लिए उनके पिता सुनील दत्त ने सबसे बड़ी भूमिका निभाई थी। संजय दत्त के करियर की सबसे बड़ी सुपरहिट फिल्म मुन्ना भाई एमबीबीएस में मुरली प्रसाद के पिता के रोल में सुनील दत्त ने सबका दिल जीत लिया था। यह फिल्म साल 2003 में आई थी। इसके बाद 25 मई 2005 को सुनील दत्त का दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया और एक बड़ा कलाकार और काबिल राजनेता ने दुनिया को अलविदा कह दिया।