Women’s Day Special: महिला सशक्तिकरण पर बनी ये 7 डॉक्युमेंट्री फिल्में जो हर औरत को जरूर देखनी चाहिए
Women’s Day Special महिला सशक्तिकरण पर कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बनी है। जो देश के लोगों के लिए एक संदेश का काम करती हैं जिसके चलते कहीं न कहीं समाज में महिलाओं को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आया है। हालांकि आज भी औरते अपने संघर्ष की लड़ाई कर रही हैं। ऐसे में इस विमेंस डे पर हम आपके लिए कुछ डॉक्यूमेंट्री फिल्म लेकर आए हैं।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। हर साल 8 मार्च को इंटरनेशनल विमेंस डे (International Women's Day) मनाया जाता है। इस दिन को मनाने का कारण है कि महिलाओं को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक कराए और उन्हें बराबरी का हक दें। कहीं न कहीं समाज में महिलाओं को लेकर लोगों की सोच में बदलाव आया है और कहीं न कहीं इस बदलाव के लिए आए दिन महिलाएं अपने संघर्ष की लड़ाई भी कर रही हैं।
समय के साथ समाज बदला है और इस बदलाव के साथ सिनेमा भी बदला है। एक वक्त था जब फिल्मों में महिलाएं केवल शो पीस हुआ करती थीं, लेकिन अब पर्दे पर भी महिला सशक्तिकरण पर कई फिल्में और डॉक्यूमेंट्री बनी है। जो देश के लोगों के लिए एक संदेश का काम करती हैं। आइए एक नजर डालते हैं इन डॉक्यूमेंट्री फिल्मों पर और इस विमेंस डे पर आप इन्हें देख भी सकते हैं।
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गुलाब गैंग
साल 2014 में रिलीज हुई फिल्म गुलाब गैंग उत्तर प्रदेश के बांदा में बना महिलाओं का ऐसा ग्रुप था, जिसने घरेलू हिंसा और खासकर महिलाओं के खिलाफ होने वाले किसी भी तरह के अपराध से निपटने के लिए कमर कसी थी। इस गैंग में 18 से 60 साल तक की महिलाएं शामिल थीं।
द फॉरगॉटन वुमन
साल 2008 में रिलीज हुई द फॉरगॉटन वुमन डॉक्यूमेंट्री फिल्म जिसे दिलीप मेहता ने बनाया और इसे दीपा मेहता ने लिखा है। यह फिल्म भारत में विधवाओं महिलाओं पर आधारित है।
डॉटर्स ऑफ मदर इंडिया
'डॉटर्स ऑफ मदर इंडिया' 16 दिसंबर 2012 को दिल्ली में हुए मेडिकल छात्रा के भयानक दुष्कर्म और हत्या की कहानी को दर्शाती है। यह फिल्म इस लड़ाई के खिलाफ भारत के संकल्प, आशा और साहस की कहानी है। इस डॉक्यूमेंट्री की निर्देशक और फिल्म निर्माता विभा बख्शी है।
राइटिंग विद फायर
राइटिंग विद फायर' एक डॉक्यूमेंट्री फिल्म है। जो खबर लहरिया नाम के अखबार चलाने की कहानी को दिखाती है। ये भारत का इकलौता न्यूज़पेपर है, जिसे दलित महिलाओं ने साल 2002 में शुरू किया था। इसमें महिलाओं द्वारा और महिलाओं से जुड़े विषय पर बात करने वाला अखबार माना जाता था, लेकिन वक्त के साथ-साथ यह अखबार सभी खबरों को कवर करने लगा। बता दें, इसे ऑस्कर में बेस्ट 'डॉक्यूमेंट्री फीचर' कैटेगरी में नॉमिनेशन मिला था।
ड्राइविंग विद सेल्वी
ड्राइविंग विद सेल्वी साल 2015 में आई थी। यह एक कनाडाई डॉक्यूमेंट्री फिल्म है जो भारत की पहली महिला टैक्सी ड्राइवर पर आधारित है। सेल्वी नाम की एक युवा महिला जो पहले बाल विवाह से बच गई थी। फिल्म का निर्देशन एलिसा पालोस्की ने किया।
पीरियड एंड ऑफ सेंटेंस
ये पीरियड्स को लेकर अवेयर करती है फिल्म है। जो उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के काठी खेड़ा गांव की रहने वाली लड़की स्नेहा पर बनी है। जो पीरियड्स से जुड़ी रूढ़ियों के खिलाफ आवाज उठाती है।
ओशन ऑफ टीयर्स
ओशन ऑफ टीयर्स डॉक्यूमेंट्री फिल्म साल 2012 में आई थी। इसे बिलाल ए जान द्वारा निर्देशित किया गया है। यह फिल्म कश्मीर के लोगों खासकर महिलाओं पर लगाए गए अपराधों और मानवाधिकारों के उल्लंघन की एक डॉक्यूमेंट्री है।
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