कानून की पढ़ाई काम आई
जुर्म और अब तक छप्पन 2 फिल्मों की अभिनेत्री गुल पनाग 14 अक्टूबर से सोनी लिव पर रिलीज हो रही वेब सीरीज गुड बैड गर्ल में वकील की भूमिका में नजर आएंगी। गुल असल जिंदगी में भी एलएलबी की पढ़ाई कर चुकी हैं। उनसे दीपेश पांडेय की बातचीत के अंश...
By Keerti SinghEdited By: Updated: Thu, 06 Oct 2022 03:31 PM (IST)
क्या वजहें थी कि आपको लगा कि इस शो का हिस्सा बनना चाहिए?
इस शो का आफर मिलने से एक-डेढ़ महीने पहले ही मैंने अपनी एलएलबी की पढ़ाई पूरी की थी। पिछले सात साल में मैंने राजनीतिशास्त्र में मास्टर्स और फिर एलएलबी दो डिग्रियां प्राप्त की हैं। निर्माताओं की तरफ मुझसे यही कहा गया था कि यह एक वकील की भूमिका है, यह सुनते ही मैंने हां कह दिया, बाकी और कुछ नहीं पूछा। निर्माता-निर्देशक से अपनी पहली मीटिंग से दो घंटे पहले ही मैंने इस शो की पूरी स्क्रिप्ट पढ़ी, तब मुझे लगा कि स्क्रिप्ट में काफी कुछ है।
एलएलबी की पढ़ाई की जरूरत क्यों महसूस हुई?
सिर्फ जानकारी के लिए। (हंसते हुए) हुए मेरा कोर्ट में प्रैक्टिस करके वकालत शुरू करने का इरादा बिल्कुल भी नहीं है। हां, पढ़ाई करने के बाद आज मुझे आईपीसी, सीआरपीसी, अंतरराष्ट्रीय कानून और संविधान के बारे में काफी जानकारी है। अब मुझे कानून, न्याय और अधिकारों की अच्छी समझ हो गई है।इस शो में आपकी पढ़ाई काफी काम आई होगी..
यह कोई कोर्टरूम ड्रामा शो नहीं है। यह शो इस बारे में है कि एक ला फर्म में कैसा माहौल होता है, कैसे दबाव होते हैं, किस तरह की राजनीति होती और किन-किन नैतिकताओं का पालन किया जाता है। कोर्टरूम ड्रामा ला प्रैक्टिस का सिर्फ एक पहलू है। कानूनी मामलों से जुड़ी अधिकतर चीजें वकीलों के दफ्तर में होती हैं। हम जो कोर्टरूम में बहस देखते हैं, वह उनकी सभी चीजों का नतीजा होती है। हां, इसमें मेरी पढ़ाई से मदद जरूर मिली।
स्कूल कालेज के दिनों में अध्यापकों की नजर में आप गुड या बैड कैसी छात्रा रही हैं?इस शो की नायिका गुड या बैड नहीं है, ये एक गुड लड़की है जो कभी-कभी बैड हो जाती है। हर व्यक्ति के अलग-अलग पहलू होते हैं, कोई भी बिल्कुल अच्छा या बुरा नहीं होता है। आपके जिस पहलू से जिसका वास्ता पड़ता है, उसको आपका व्यक्तित्व वैसा ही लगता है। मैं कालेज में पढऩे-लिखने समेत हर चीज में हमेशा से अच्छी रही हूं, तो मैं हमेशा अध्यापकों के पसंदीदा छात्राओं में होती थी।
डिजिटल प्लेटफार्म आने के बाद आपकी फिल्मों की संख्या में कमी दिख रही है?फिल्म हो या वेब सीरीज इससे मुझे कोई फर्क नहीं पड़ता है, अंतत: कहानी पर जोर होना चाहिए। बतौर एक्टर मेरे लिए दोनों प्लेटफार्म बराबर हैं। कई फिल्में जो सिनेमाघरों के लिए बनी थी, वो भी तो डिजिटल प्लेटफार्म पर आ रही हैं। यह एक्टर्स के लिए अच्छा समय है, जहां हमें बहुत बढिय़ा मौके मिल रहे हैं। जमाना बदल रहा है, और जमाने के साथ बदलना जरूरी है।
आगे आप तमिल फिल्म द घोस्ट भी कर रही है...जी, जब मैंने यह फिल्म साइन की थी, तब वह सिर्फ एक तेलुगु फिल्म थी। मुझे हाल ही में पता चला कि उसे हिंदी में भी पैन इंडिया फिल्म की तरह रिलीज किया जाएगा। मैंने हाल ही में उसकी हिंदी डबिंग खत्म की है। शुरुआत में तो मैं काफी डरी हुई थी, क्योंकि मैं वैसी अभिनेत्री नहीं जो सहजता के साथ अलग अलग भाषाओं में एक्टिंग कर सके। मेरे लिए डायलाग का अर्थ और उसके पीछे की भावनाएं समझना जरूरी था।
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