Move to Jagran APP

Gulzar Birthday: सदाबहार हैं गुलजार के लिखे ये गीत, कहीं रिश्तों की चुभन तो कहीं खूबसूरती का एहसास

Gulzar Birthday आज उस महान कलकार का जन्मदिन है जिसने अपने शब्दों से मोहब्बत के नए मायने बताये। गुलजार साहब ने अपने गीतों से हर किसी के दिल में एक खूबसूरत जगह बनाई। उन्होंने बॉलीवुड में बतौर गीतकार शुरुआत की बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी से की थी। आगे उन्होंने कई शानदार गाने लिखे। आज उनके जन्मदिन पर पढ़िए उनके कुछ दिल छू लेने वाले गानों के बारे में।

By Jagran NewsEdited By: Jagran News NetworkUpdated: Fri, 18 Aug 2023 12:01 PM (IST)
Hero Image
Gulzar Shayari and Songs From His Hit Movies.
नई दिल्ली, जेएनएन। Gulzar Birthday: 'गुलजार' हिंदी सिनेमा की उस धारा के लेखक माने जाते हैं, जिन्होंने अपनी फिल्मों से इतर भी अपने लेखन से पहचान बनायी। गुलजार के गीतों की तरह ही उनकी शायरी भी काफी लोकप्रिय है। उनकी साधारण बात का गहरा मतलब होता है। दिल को छू लेने वाले उनके नगमे हर जेनेरशन को अपनी ओर खींचते हैं।

गानों के बोल में एक ठहराव साफ नजर आता है। उनकी फिल्मों की लोकप्रियता में उनके गीतों की भी भूमिका अहम रही है। सम्पूरन सिंह कालरा के नाम से सिख परिवार में जन्मे गुलजार गीतकार शैलेंद्र और फिल्ममेकर बिमल रॉय की प्रेरणा से फिल्मों में आये थे। 1963 में बिमल रॉय की फिल्म बंदिनी से उन्होंने बतौर गीतकार करियर शुरू किया था। 1971 में उन्होंने मेरे अपने से बतौर निर्देशक पारी शुरू की थी।

मुसाफिर हूं यारों

आरडी बर्मन द्वारा कंपोज और किशोर कुमार द्वारा गाया गया, यह गाना 1972 की फिल्म 'परिचय' का सबसे लोकप्रिय गीत बन गया। आप अगर ध्यान से सुनेंगे तो आपको इसमें हमारे जिंदगी की झलक साफ दिखाई देगी।देखा जाए तो हर कोई इस दुनिया में एक मुसाफिर की तरह ही तो है, बिना रुके अपने जीवन में आगे ही चलते जाना है।

क्योंकि जिंदगी किसी के भी नहीं रूकती है, ये हम हैं जिन्हें इस तेज रफ्तार जीवन के साथ तालमेल बिठाकर चलते जाना है। वहीं, इतने वर्षों के बाद भी, यह बेस्ट जर्नी गानों में से एक है।

थोड़ा है थोड़े की जरूरत है

जीवन का सम्मान करने वाले इस खट्टे-मीठे गीत में, गुलज़ार ने इस बात पर फोकस किया है कि लोगों को चाहे जितना मिल जाए लोग हमेशा और ज्यादा की तलाश में ही रहता है, चाहे कुछ भी हो जाए। किशोर कुमार और लता मंगेशकर की आवाज में इस गाने की सुंदरता और बढ़ जाती है। वहीं, अशोक कुमार, पर्ल पदमसी, राकेश रोशन, डेविड अब्राहम चेउलकर, रंजीत चौधरी मुख्य भूमिका में थे। यह मशहूर गाना फिल्म खट्टा मीठा (1981) का है।

मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने

राजेश खन्ना पर फिल्माया गया 'आनंद' फिल्म का यह गाना प्यार का प्रतीक है। अपने प्यार के लिए जो खूबसूरत उम्मीदें और सपनों का यह गाना कई साड़ी यादों को भी तरोताजा करने के लिए काफी है। प्यार का एक प्योर फॉर्म इस गाने में झलकता है।

तेरे बिना जिंदगी से कोई

गुलज़ार द्वारा लिखित तेरे बिना जिंदगी से कोई, 1975 की फिल्म 'आंधी' फिल्म का गाना है। इस फिल्म में संजीव कुमार, सुचित्रा सेन और ओम शिवपुरी ने अभिनय किया था। यह खूबसूरत गीत आरडी बर्मन द्वारा बनाया गया था और इसमें लता मंगेशकर और किशोर कुमार की जोड़ी ने अपनी आवाज दी थी। गाने के बोल बहुत ही खूबसूरती से एकतरफा प्यार की भावना और दर्द को व्यक्त करते हैं। अजा भी गुलजार का यह गीत मन को कहीं न कहीं सुकून दे जाता है।

आने वाला पल

अमोल पालेकर पर फिल्माया गया 'गोलमाल' (1979) का यह गाना हमें जिंदगी को खुलकर जीना सिखाता है। वक्त और जिंदगी किसी के लिए नहीं रूकती, आज जो पास है हो सकता है कल न हो। इसलिए बेहतर है हर पल को खुलकर जी लेना चाहिए। इस गाने में जिंदगी की ये झलकियां साफ तौर पर आप समझ सकेंगे।

तुझसे नाराज नहीं जिंदगी

मासूम के इस लोकप्रिय गीत में, गीतकार गुलज़ार इस बात पर जोर देते हैं कि किसी को जीवन की सभी कठिनाइयों और उतार-चढ़ाव का सामना एक खूबसूरत मुस्कान के साथ कैसे करना चाहिए। लता मंगेशकर ने गाने का फीमेल वर्जन गाया है, जबकि अनूप घोषाल ने मेल वर्जन गाया है।

इस फिल्म में नसीरुद्दीन शाह, उर्मिला मातोंडकर और शबाना आजमी मुख्य भूमिका में नजर आए थे। आज भी अगर दिल और मन को भागदौड़ भरी जिंदगी से सुकून चाहिए तो थोड़ी देर इस गाने को लगाकर बैठ जाएं।

मेरा कुछ सामान तुम्हारे पास पड़ा है

फिल्म 'इजाज़त' का यह गाना कहीं न कहीं गुलजार के उनके अपनी निजी जिंदगी की कुछ झलकियां जाहिर करते हैं। टूटे हुए रिश्ते के बारे में बेतरतीब विचार हैं जो फर्श पर कांच के टुकड़ों की तरह आत्मा को छेदते हैं। वो घाव वो चोट जो कभी नहीं भरते, कहीं किसी कोने में चुभते रहते हैं। वो रिश्ते जो खत्म हो जाने के बाद भी आपकी जिंदगी के किसी कोने में रह जाते हैं।