आम तौर पर मैं जन्मदिन भव्य स्तर पर नहीं मनाती हूं, क्योंकि मैं काम में बहुत व्यस्त रहती हूं। कभी शूटिंग कर रहे, तो सेट पर मना लिया। अगर बाहरगांव (कहीं बाहर) गए हैं, तो वहां मना लिया। अब तो मेरे नाती-नातिनी भी हैं, तो सबके साथ घर में मनाती हूं। इस बार का जन्मदिन खास है, क्योंकि मैं 75 साल की हो रही हूं, तो सबने कहा कि आपको फिल्म इंडस्ट्री में सबको बुलाना चाहिए। मुझे फिल्मों से ही पहचान मिली। आज जो भी हूं अपनी फिल्मों की वजह से। उसके बाद मैं राजेनता बनीं। मेरी जिंदगी में तीन अलग-अलग श्रेणियां एक्टर, डांसर और पॉलिटिशियन हैं। तो (बड़ी सी मुस्कान के साथ) तीनों मिलकर अभी मैं हेमा मालिनी बन गई हूं। तो जरूरी है कि इंडस्ट्री के सभी लोगों को आमंत्रित किया जाए। मैं 16 अक्टूबर को अपना जन्मदिन मनाने के लिए उन्हें आमंत्रित कर रही हूं।
75 साल की उम्र होने पर आपकी सोच क्या हैं?
मुझे यकीन नहीं हो रहा कि मैं 75 साल की हो गई। ऐसा कभी लगता ही नहीं। सब कहते हैं कि अब 75 की हो रही हो। मैं लगातार काम में व्यस्त हूं। मुझे नहीं लगता कि मैं बुजुर्ग हो गई हूं। मैं डांस परफॉर्मेंस करती हूं तो उसके लिए नियमित रुप से डांस प्रैक्टिस करती हूं। उसके अलावा मेरे क्षेत्र (निर्वाचन क्षेत्र मथुरा) की जिम्मेदारियां हैं। हर समय दिमाग में यही रहता है कि फलां काम करना है। यह चीजें मुझे लगता है कि मुझे फिट रखती हैं। मेरे पास कुछ भी फालतू चीजें सोचने के लिए समय नहीं है।
फिल्मों की व्यस्तता के दौरान फिल्ममेकर गुलजार से कहा था कि अभिनय में कितना भी व्यस्त हो साल में एक-दो डांस परफॉर्मेंस जरूर करेंगी। यह फैसला उस समय कैसे लिया?
(गर्दन को मटकाते हुए) मेरी मां का इस बात पर बहुत जोर था कि डांस कभी नहीं छोड़ना है। मैंने भी उनसे कहा था कि डांस को नहीं छोड़ूगी। मैं अगर मुंबई में कहीं शूटिंग कर रही होती थी और शाम छह बजे का शो होता था, तो दिन में तीन बजे तक अपनी शूटिंग पूरी कर लेती थी। उसके बाद थिएटर में जाकर डांस शो के लिए तैयार होती थी। वह काफी मुश्किल भी होता था। मैं भरतनाट्यम करती हूं। मैं दो-दो घंटे डांस करती थी, जब परफॉर्म करती थी। अभी भी डांस चल रहा है। अभी मैं बैले डांस करती हूं।
अभी हाल ही में पुणे में गणेश उत्सव करके आई हूं। दो दिन का शो था। एक दिन गणेश शो था। दूसरे दिन गंगा नदी पर आधारित बैले डांस किया। मूल रूप से, यह गंगा नदी की स्वच्छता के बारे में जागरूकता फैलाने के लिए मेरे द्वारा गंगा नदी पर बैले नृत्य है। हर महीने में मैं एक शो तो निश्चित रुप से करती हूं। यह मुझे फिट रखता है। इससे आपकी याददाश्त भी सही रहती है। स्टेज पर डांस करना कोई मजाक नहीं है। आपको कितनी सारी चीजें याद रखनी पड़ती हैं। हम करते हैं।
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कृष्ण भगवान की आप भक्त हैं...
कृष्ण भगवान से जुड़ाव इसलिए है, क्योंकि हम वैष्णव हैं। हम अयंगर परिवार से आते हैं। हम तिरुपति बालाजी को पूजते हैं। जब मैं छोटी थी, तो दिल्ली में थे। मेरे डैडी हर महीने घर में सत्संग रखा करते थे। तो कृष्ण भगवान पर बड़े-बड़े संत आकर प्रवचन दिया करते थे। बहुत अच्छा कार्यक्रम होता था। उस समय सुना करती थी कृष्ण कौन हैं। मेरी मां कृष्ण भगवान की बहुत खूबसूरत पेंटिंग बनाया करती थीं। उसमें खूबसूरत गार्डन होते थे। (हंसते हुए) मैं तब विजुलाइज किया करती थी कि मैं उसके आसपास डांस करती हूं।
यह ईश्वर के साथ बहुत मीठा संबंध है। उसके बाद जैसे-जैसे बड़े हुए मुंबई के जुहू स्थित इस्कॉन मंदिर से जुड़ी। वे मुझे वृंदावन में कृष्ण भगवान के कई सारे मंदिरों में ले गए। सब दिखाया। उसमें मेरी दिलचस्पी बढ़ी। उसके बाद जब राजनीति में आई, तो मुझे चुनाव लड़ने का अवसर मिला। मुझसे पूछा गया कि चुनाव कहां से लड़ेंगी, तो मैंने कहा कि मथुरा देंगे तो करेंगे। पार्टी ने मथुरा दे दिया, तो वह मेरा निर्वाचन क्षेत्र बना। यह ईश्वर की कृपा रही।
पर आप तो राजनीति में आना नहीं चाहती थीं...
यह सब
विनोद खन्ना (अभिनेता) की वजह से हुआ। वो मुझे राजनीति में लेकर आए। वो गुरदासपुर से चुनाव लड़ रहे थे। फिल्मों में हमने साथ में काम किया है। उन्होंने कहा कि आप हमारे लिए चुनाव प्रचार करो। मैंने कहा कि मुझे चुनाव प्रचार नहीं आता है। उन्होंने कहा कि हम बताएंगे कि कैसे करना है। जब वहां पर पहुंचे तो देखा कि लाखों लोग वहां पर मौजूद हैं। उनके सामने मैं क्या बोलू मैं घबरा गई थी। फिर उन्होंने कुछ शब्द कहें। फिर मैंने चंद शब्द कहे। उसके बाद बीजेपी नेताओं ने देखा कि मुझे देखने बड़ी संख्या में लोग आ रहे हैं, तो उन्होंने भाजपा से जुड़ने को कहा।
अब लगता है कि राजनीति में आना कितना अच्छा फैसला रहा। पहले राज्यसभा से सदस्य बनाया। फिर मथुरा से चुनाव लड़ा। हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में काम करने का मौका मिल रहा है, जब देश इतनी प्रगति कर रहा है। नए भारत का निर्माण हो रहा है। इन पलों में मैं उनके साथ हूं, यह मेरे लिए सम्मान की बात है। मैं तो कलाकार बनते हुए यहां तक पहुंची हूं। यहां पर कैसे काम करना है, उसका मार्गदर्शन मोदी जी देते रहते हैं।
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सिनेमा की चुनौतियां और राजनीति की चुनौतियां कितनी अलग लगी?
फिल्मों का क्षेत्र अलग होता है। यह ज्यादातर एंटरटेनिंग होता है। इधर बहुत सतर्क रहना पड़ता है। पता नहीं कौन क्या करेगा कुछ समझ नहीं आता। मैं बहुत ज्यादा किसी चीज में दखल नहीं देती हूं। आपने देखा होगा कि ज्यादा अपना बयान नहीं देती। मैं आर्टिस्ट हूं, लेकिन ब्रज की सेवा कर रही हूं। अभी बतौर सांसद दो कार्यकाल हो गए हैं। अगर तीसरा मौका मिला, तो मैं आगे भी सेवा करती रहूंगी।
फिल्म किनारा में आप कथक डांसर बनी थीं। फिल्मों में अपना क्लासिकल डांस और संस्कृति को बढ़ावा देना कितना जरूरी मानती हैं?
आजकल की फिल्मों में क्लासिकल डांस तो होता ही नहीं है। नाम लेते भी नहीं हैं। मुझसे पहले वैजयंती माला और बाकी ने काफी डांस किया है। उसके बाद मेरे समय पर थोड़ा कम हो गया था, लेकिन फिर भी मुझे डांस करने का मौका मिला। क्लासिकल डांस का अलग ही महत्व है, जो भी यह डांस सीखेगा उसके व्यक्तित्व में फर्क दिखेगा।
बतौर कलाकार आपने कभी अपनी कमजोरियों और स्ट्रेंथ का आकलन किया?
हां हां मालूम है मुझे वो सब, लेकिन अपनी जो खामियां है, उसे मैनेज करना ही आर्टिस्ट है न। ‘मैं यह नहीं कर सकती’ जैसा रोना नहीं, मैं नहीं रो सकती। जो मुझे आता नहीं है उसे मैं कैसे अच्छे तरीके से कर सकूं वही मेरी स्ट्रेंथ है।
स्टारडम तो आपका कायम है। आपकी प्रशंसक तो नई पीढ़ी भी है?
वो सब हो चुका है। अब मैं जिंदगी के दूसरे छोर की तरफ हूं। मैंने जो फिल्में की नई पीढ़ी उसकी प्रशंसक है। मैंने कुछ नया काम नहीं किया है। नया मैं शायद करुंगी, तो बहुत अच्छी तरह करुंगी, लेकिन आजकल ओटीटी पर बहुत अलग तरीके की फिल्में बन रही हैं। अगर अच्छी भूमिका मिलेगी तो करुंगी, लेकिन फोटोग्राफी अच्छी होनी चाहिए। लोगों ने मुझे आकर्षक देखा है, तो फोटोग्राफी भी वैसी ही होनी चाहिए। हम इस दौर के नहीं हैं। (हंसती हैं)
ओटीटी पर सेंसरशिप की आवश्यकता महसूस की जा रही है?
बिल्कुल सेंसरशिप करना है। बहुत गाली देता है। अच्छा नहीं लगता। बहुत अभद्र भाषा का प्रयोग करता है। महिला किरदार भी बेबाक गाली दे रहे हैं। अच्छा नहीं लगता है। हमारे संस्कार क्या हैं? हम भारतीयों की पहचान क्या है? वो सब गायब है। पूछने पर बोलते हैं कि रियलिटिस्क फिल्म है। मुझे नहीं पता कि उसका कैसे क्या करने वाले हैं।
आप और तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री जयललिता दोनों एकसाथ लॉन्च हुई थीं। संयोग से दोनों ही बाद में राजनीति में आई...
(सवाल को बीच में काटते हुए) वह विशुद्ध राजनेता बन गई थीं। उनकी जिंदगी में कई ऐसी चीजें हुई कि उन्हें राजनीति में आना पड़ा। वहां पर एमजीआर (तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री और अभिनेता एम जी रामचंद्रन) थे, जिन्होंने उनकी काफी मदद की। मुझे राजनीति में शुरुआत में दिलचस्पी नहीं थी, लेकिन राजनीति में आने के बाद मेरी उसमें दिलचस्पी बढ़ी।
आपने कई महिला प्रधान फिल्में की हैं कभी लगा कि आप अलग तरह की फिल्में कर रही हैं
उस समय बहुत सारी फिल्में बनती थीं। मेरी बहुत सारी फिल्मों की सफलता की वजह से मुझे महिला प्रधान फिल्में काफी मिलने लगीं। (इस दौरान उनकी बेटी एशा की कमरे में एंट्री होती है वह उनसे परिचय कराती हैं। इस साल एशा को नेशनल अवॉर्ड मिला है। हेमा बताती हैं कि 17 अक्टूबर को उन्हें अवॉर्ड मिलेगा। एशा कहती हैं कि वह बिना म्यूजिक ही रिहर्सल करेंगी तभी हेमा तमिल में उनसे कुछ कहती हैं।) आगे हेमा कहती हैं मैंने देवानंद, राजेश खन्ना, अमिताभ बच्चन, शत्रुघ्न सिन्हा, विनोद खन्ना जैसे सभी दिग्गज अभिनेताओं के साथ काम किया। ऐसा मौका कम लोगों को मिला है।
आप एक्शन कितना एन्जॉय करती थीं?
(अपनी हिरण जैसी बड़ी-बड़ी आंखों को घूमाती हुए कहती हैं) मैंने बहुत सारी फिल्में की। एक फिल्म हिट होती थी, तो सब मुझे हीरो का रोल देने लगे थे। हीरो चुप बैठे मैं हंटर चला रही, डंडा लेकर मार रही। यह ट्रेंड होता है एक फिल्म चल गई, तो वैसी ही और बनने लगती हैं। वैसे उस समय भी एक्शन करते हुए सुरक्षा का काफी ध्यान रखा जाता था। आज भी लोग पूछते हैं कि फिल्म सीता और गीता में पंखे पर कैसे चढ़ गई? पर वह सब सीन की मांग के अनुसार सुरक्षा को ध्यान रखते हुए किया गया था।
किस फिल्म ने आपके करियर को आकार दिया?
लाल पत्थर, खुशबू, किनारा यह फिल्में काफी अलग थीं। मैंने अपने करियर में अलग-अलग तरह की कई फिल्में की हैं। कभी रजिया सुल्तान कभी मीरा। कभी पत्थर और पायल तो कभी पाकेटमार। बहुत सारी फिल्में की हैं। फिल्म शोले का किरदार पसंद आया तो कर ली तब पता नहीं था कि इतनी हिट हो जाएगी।फिल्मों के लिए हमें सब कुछ सीखना पड़ता था। हवा के साथ-साथ गाने (सीता और गीता) के लिए स्कैटिंग थोड़ी आती थी थोड़ी सीखनी पड़ी थी। सीखने के दौरान दो-तीन बार गिर गई थी। मेरी मां ने तब कहा था कि निर्माता को बोल दो कि तुम डांसर हो यह सब नहीं कर सकती। तब फिल्म निर्देशक रमेश सिप्पी डर गए थे। (जोर से ठहाका मारती हैं)। उन्होंने कहा कि डरो नहीं।
मीरा फिल्म के दौरान मिली फीस के चेक को आपने फ्रेम करा लिया था...
फ्रेम नहीं किया। निर्माताओं के पास फिल्म बनाने के लिए पैसा नहीं था। मैं और गुलजार साहब उस फिल्म को किसी तरह पूरा करना चाहते थे। हममें एक समर्पण था कि किसी भी तरह फिल्म को बनाना है। फिल्म की शूटिंग मुंबई में हुई थी। राजस्थान का लुक देने के लिए काफी खर्च होता था। अगर घोड़े को लाए शूटिंग के लिए तो घोड़ेवाला भी पैंसा मांगेगा न। तो बहुत समझौता किया। मेरा एक-एक शेड्यूल के बाद एक छोटा सा लिफाफा मिलता था जिसमें दो-तीन हजार रुपये होते थे।मैं उसे भिक्षा की तरह ग्रहण कर लेती थी जैसे मीरा करती थी। मैं निर्माता से कहती थी कि अगर आपके पास पैसे नहीं है तो मत दो, लेकिन अगर हैं तो दे दो। अगर काम करते हैं, तो दस रुपये देना जरूरी है। एक कलाकार को लगता है कि कुछ मिला। भले ही यह दस लाख रुपये न हो पर दस रुपये भी उसके बराबर हैं, यह सोचकर मैं करती थी। बस उस फिल्म के लिए हर फिल्म के लिए नहीं। (जोर से ठहाका मारती हैं)।
आपने एशा और अहाना की जिस तरह से परवरिश की वो आपकी परवरिश से कितना अलग थी...
जब हम फिल्मों में आए तब नए थे। फिल्म इंडस्ट्री आउटसाइडर के लिए काफी नई होती है। मम्मी मेरे क्लासिकल डांस सीखने को लेकर काफी इच्छुक थीं। उन्होंने नहीं सोचा कि मैं फिल्मों में आऊंगी। जब फिल्मों के ऑफर आने लगे, तो उन्होंने कहा कि करना चाहिए। उन्होंने कहा कि वैजयंती माला भी तो हमारे समुदाय की हैं। वह भी दक्षिण भारतीय और अयंगर से हैं। उन्होंने फिल्मों में अभिनय किया। मम्मी ने कहा कि वो रोल मॉडल हैं, तो तुम्हें समस्या क्या है। उन्होंने मेरे पापा को मनाया कि बेटी को फिल्म करने दो, मैं हमेशा उसके साथ रहूंगी। किसी प्रकार की समस्या नहीं होगी। वो मेरे साथ काफी सख्त भी थीं।वो चाहती थीं मैं अपना कोई मुकाम बनाऊं यह उनके दिमाग में था। उन्होंने उसके लिए किसी और का डांस दिखाकर मुझे प्रेरित किया। अभी टीवी पर सब देखने को मिलता है। उस समय वैसा कुछ नहीं था। तो मुझे समझाने के लिए डांस दिखाती थी कि यह काफी ग्रेसफुल है तुम्हें करना चाहिए। जब एशा और अहाना का जन्म हुआ, तो मैं इंडस्ट्री में स्थापित थी। वो फिल्म इंडस्ट्री से वाकिफ थीं। उन्हें पता था कि यहां पर काम कैसे होता है। मुझे उन्हें बहुत गाइड नहीं करना पड़ा जैसी मेरी मां ने मुझे किया।
अगली पीढ़ी वैसे भी ज्यादा स्मार्ट होती है। आजकल के बच्चे तो बहुत स्मार्ट हैं। मेरी बेटियां स्मार्ट थीं। मैं उनसे कहती थी कि अगर आप डांस सीखेंगे तो अच्छा है, क्योंकि वो जहां कहीं मेरे साथ जाती हर कोई उनसे पूछता कि डांस करती है क्या? तो उन्हें शर्म आने लगी और कहा कि मुझे डांस सीखना है। तो मैंने कहा सीखो जाओ। आटोमेटिकली वह मेरे पास आईं। हमने साथ में कई परफॉर्मेंस दी हैं।
छोटी बेटी अहाना ने हमेशा फिल्मों से दूरी रखी?
वह बहुत खूबसूरत लड़की है, लेकिन उसे फिल्में नहीं करनी थी। मैंने उन पर कभी दबाव नहीं बनाया। दबाव बनाने से कोई काम नहीं होता है।
धर्मेंद्र के साथ आपकी शादी के 43 साल पूरे हो रहे हैं...
वह मेरे पाटर्नर हैं। (हंसती हैं) वह बहुत प्यारे इंसान हैं। हमें प्यार हुआ फिर हमने शादी कर ली। उसके बाद बच्चे हुए। यह मेरे लिए अलग जिंदगी थी। आप मेरी तुलना किसी और के साथ नहीं कर सकते हैं। यह मेरे साथ कुछ हटकर हुआ, जिसे मैंने गरिमा से निभाया। जिसे उन्होंने भी गरिमापूर्ण तरीके से निभाया। यह काफी खूबसूरत सफर रहा। अब जब हम पीछे देखते हैं, तो धर्मेंद्र कहते हैं कि हमने सोचा नहीं था कि देखो हमारा कितना अच्छा फुलवारी है। वो ग्रैंडचिल्ड्रेन (नाती-पोतों) को फुलवारी बुलाते हैं। उन्हें बच्चे बहुत पसंद हैं। उनके साथ उन्हें समय बिताना पसंद है।
धर्मेंद्र के साथ की कौन सी फिल्म आपकी पसंदीदा हैं?
मुझे हमेशा लगता है कि काश उनके साथ और फिल्में की होती। वह मिर्जा साहब फिल्म करने के बहुत इच्छुक थे। यश चोपड़ा जी उस फिल्म को बनाना चाहते थे, लेकिन बाद में वो फिल्म नहीं बन पाई। क्यों नहीं बनी इसकी मुझे जानकारी नहीं है। बहरहाल, धर्मेंद्र साथ की गई शोले, पत्थर और पायल, प्रतिज्ञा, चरस जैसी फिल्में मेरी पसंदीदा हैं। अगर उन्हें देखें तो बेहतरीन फिल्में हैं।
आपने करियर, परिवार और घर में संतुलन हमेशा रहा...
संतुलन इसलिए होता है, क्योंकि परिवार है मेरे साथ। मैं अकेली नहीं हूं। मेरे साथ मेरी मम्मी, डैडी, मेरे भाई, भाभी, मौसी समेत बहुत सारे लोग मेरे साथ हमेशा रहे। अकेले-अकेले रहेंगे तो जिंदगी में सूनापन रहेगा। अगर कोई दुख होगा तो अपने करीबी लोगों के साथ साझा कर सकूंगी। मुझे उनका सपोर्ट मिलेगा। परिवार का साथ बहुत जरूरी है।
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आपकी मम्मी ने कभी आप पर घर के कामों को करने का दबाव नहीं बनाया?
कभी नहीं। खाना बनाओ, बर्तन मांजो कभी नहीं। वह खुद यह सब करती थीं। जब हम कुछ नहीं थे और दिल्ली में रहते थे, तो मम्मी और डैडी ही सारा काम खुद ही करते थे। तब हम बहुत छोटे थे। वो मुझे घर का काम नहीं करने देती थीं। वो कहती थीं कि तुम आर्टिस्ट हो डांस पर ध्यान दो। पहले से ही यह बताया। मेरा दिल करता भी तो समय नहीं देती थीं। वो कहती थीं कि प्रैक्टिस करो। अभी डांस शो हैं यहां जाना है वहां जाना है कहती थीं।
नारी शक्ति वंदन अधिनियम से महिलाओं की स्थिति में कितना बदलाव आएगा?
यह विधेयक बहुत पहले से जरूरी था। हमारे पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी ने भी बहुत कोशिश की, लेकिन हो नहीं पाया। कांग्रेस ने इसमें कुछ किया ही नहीं। अभी कह रहे कि हम लाए तो उन्हें लागू करना चाहिए था, लेकिन नहीं किया। अब मोदी जी ने कर दिया। उन्होंने नई संसद में पहला विधेयक यही पेश किया था। मैं भी वहां पर मौजूद थी। इस विधेयक को मंजूरी मिलने से देश में हर क्षेत्र में महिलाओं को बहुत महत्व मिलेगा। वह नए भारत के विकास का हिस्सा बनेंगीं।
आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की काफी चर्चा है। सिनेमा पर कैसा प्रभाव पाती हैं?
मुझे इसके बारे में ज्यादा नहीं पता। इसी दौरान वहीं पर प्रैक्टिस कर रही एशा डांस रोक कर आती हैं और तमिल में कुछ कहती हैं। फिर हेमा हंसते हुए कहती हैं कि ज्ञान मिल गया। मुझे पता नहीं था। आजकल हम जब शूटिंग करते हैं तो कुछ अच्छा नहीं दिखता, तो बोलते हैं कि फिक्र मत करिए पोस्ट प्रोडक्शन में सही हो जाएगा। उसमें आपको युवा बना देंगे। जैसे रजनीकांत, शाह रुख खान को काफी युवा दिखा देते हैं, जबकि वह अभी वैसे नहीं हैं। ऐसा सुनने में आ रहा है, ऐसी मदद होती है।
शाह रुख खान को आपने सबसे पहले मौका दिया था। अब उनकी सफलता देखकर कैसा लगता है?
मैं उनकी सफलता से खुश हूं। उन्होंने बहुत मेहनत से खुद को स्थापित किया है। बतौर पिता, फैमिली मैन के तौर पर हर भूमिका में उन्होंने बहुत अच्छा काम किया है। सब कुछ संतुलित करके चले। लोग कुछ भी बिना सोचे समझे टिप्पणी कर देते हैं, लेकिन जिस सहनशीलता से उन्होंने हर चीज का सामना किया, मैं उसकी प्रशंसा करती हूं।
महिलाओं के लिए कोई खास संदेश...
हमेशा कुछ न कुछ करते रहने का। अपने बल पर रहना चाहिए। आत्मनिर्भर बने रहने का। मैं मथुरा में भी देखती हूं कि महिलाएं काम करने के लिए तत्पर हैं। खुद का पैसे कमाना चाहती हैं। सेल्फ हेल्प ग्रुप बनाकर सब लोग काफी मेहनत कर रहे हैं। देश इतना आगे बढ़ रहा है। हमारे प्रधानमंत्री महिलाओं को इतना सपोर्ट कर रहे हैं, तो हम सब को हर क्षेत्र में आगे आना चाहिए। अपनी बेटियों को खास कर सीखना चाहिए कि आपको जीवन में कुछ करना है। खाली नहीं बैठने का अगर पढ़ाई नहीं करना है, तो आज आजकल बहुत सारी चीजें उपलब्ध हैं। अपने हुनर को आगे बढ़ाएं।