20 वर्ष से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय मानव विज के पापा की तमन्ना हुई अब पूरी
20 वर्ष से फिल्म इंडस्ट्री में सक्रिय हैं मानव विज। अब उन्हें एक बहुर्चित इजरायली शो के भारतीय संस्करण ‘तनाव’ में केंद्रीय भूमिका निभाने का बड़ा मौका मिला है। अपने फिल्मी सफर व अन्य मुद्दों पर मानव ने साझा किए अपने जज्बात
प्रियंका सिंह।
केंद्रीय भूमिका की चाह हर कलाकार की होती है। वह मौका कब किसी फिल्म या वेब सीरीज में मिलेगा, कहा नहीं जा सकता है। अभिनेता मानव विज को वह मौका इजरायली शो ‘फौदा’ के भारतीय संस्करण ‘तनाव’ वेब सीरीज में मिला है। वह कहते हैं, ‘मैं मुख्य भूमिकाओं की प्रतीक्षा में कभी था भी नहीं। मां हमेशा कहती रहीं कि आपके पास जितना है, उसे साथ रखना सीखो, वही बहुत है। हम कहते हैं कि किस्मत में इतना ही लिखा था। मैं तो कई बार खुद से सवाल पूछता हूं कि शायद मेरी किस्मत में इससे कम लिखा हो, लेकिन मुझे ज्यादा मिला। मेरे लिए लीड रोल जितना अहम है, उतना ही कोई चरित्र किरदार भी जरूरी है। जब किसी चीज को शिद्दत से प्यार करते हैं, तो छोटी चीज भी बड़ी बन जाती है। मैं पोस्टर पर आऊं, इसकी तमन्ना मेरे पापा को रही है। अब उन्होंने ‘तनाव’ का पोस्टर प्रिंट करवाकर कमरे में लगवा दिया है। उन्होंने मेहनत की है मुझे असली मानव बनाने की।’
भरोसे से बढ़ती है हिम्मत
शो को लेकर अपने अनुभव साझा करते हुए मानव कहते हैं, ‘मैं ‘फौदा’ शो देख चुका हूं। लेकिन जब मुझे यह शो आफर किया गया था, ईमानदारी से कहूं तो मुझे खुद पर इतना भरोसा नहीं था कि मैं ‘फौदा’ के चरित्र डोरोन की भूमिका निभा सकता हूं। उसके कई कारण हैं, मैं इतने सालों से फिल्म इंडस्ट्री में काम कर रहा हूं, लेकिन मुझे किसी ने मुख्य भूमिका कभी नहीं दी, न ही उसके बारे में सोचा। फिर ऐसा होता है कि आप भी मानने लग जाते हैं कि शायद मैं केंद्रीय भूमिकाओं के लिए नहीं बना हूं। फिर आप यह प्रयास करने लग जाते हैं कि छोटा रोल करके मैं शायद खुद को साबित कर पाऊं। अच्छी बात यह थी कि इस सीरीज के मेकर्स का भरोसा मुझ पर था। मैं खाना खा रहा था और हंसते हुए मैंने पूछा कि क्या आप वाकई चाहते हैं कि मैं ही यह रोल निभाऊं। वह सब मुझे देख रहे थे कि हम इसको सीरीज में लेने के लिए यहां बैठे हैं, खाना खिला रहे हैं और यह पूछ रहा है कि मुझे क्यों ले रहे हो? वह सही निकले और मैं गलत। वह सही थे कि मैं इस रोल को निभा सकता हूं। ’
कमियां बनाती हैं वास्तविक
अपने चरित्र की तैयारियों को लेकर मानव आगे कहते हैं, ‘मैं मूल शो से अलग कुछ नहीं करना चाहता था। अलग करने के चक्कर में दिमाग में वह इंसान रह जाता है, जिससे अलग आप कुछ करना चाहते थे। अनजाने में फिर आप उसकी नकल भी कर सकते हैं। सबसे पहला काम तो यही किया कि सोचना बंद कर दिया। दूसरा खुद को मेकर्स के हवाले कर दिया। जितने अच्छे से आप अपने निर्माता-निर्देशक की सुनेंगे, काम उतना बेहतर होगा। मेरी तैयारी बस यही थी कि मैंने उनसे एक ही निवेदन किया था कि मेरा किरदार परफेक्ट न दिखे। 99 प्रतिशत लोग खामियों से भरे होते हैं। खामियों के साथ चरित्र ज्यादा वास्तविक लगता है।’