'शोले' में सिर्फ 3 शब्द बोलकर छा गया था 'सांभा', 'गब्बर सिंह' की वजह से लिखा गया ये किरदार
रमेश सिप्पी की फिल्म शोले (Sholay) हिंदी फिल्म इंडस्ट्री की आइकोनिक फिल्मों की लिस्ट में शामिल है। दौर कोई भी हो ये फिल्म अपनी छाप हर बार छोड़ देती है। शोले में शामिल हर एक किरदार एक अलग कहानी एक अलग अंदाज लिए हुए है। सिर्फ हीरो जय- वीरू ही नहीं बल्कि विलेन गब्बर सिंह (Gabbar Singh) भी कम नहीं था।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बॉलीवुड की आइकोनिक फिल्म 'शोले' के किस्से खूब मशहूर हुए। जय- वीरू की दोस्ती से लेकर बसंती के नखरों, तक फिल्म का हर किरदार अमर बन गया। 15 अगस्त 1975 को रिलीज हुई इस फिल्म ने प्रोड्यूसर की जेब भर दी। वहीं, 'शोले' में शामिल सभी अभिनेताओं को दिन दोगुनी रात चौगुनी तरक्की दी।
'शोले' में जितना मजबूत इसका हीरो था, उतना ही दमदार फिल्म का विलेन भी था। 'गब्बर सिंह' ने जय- वीरू को घूम धूल चटाई।
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सिर्फ एक डायलॉग से खींचा ध्यान
'शोले' में जितना शानदार 'गब्बर सिंह' का किरदार था, उतनी ही छाप 'गब्बर सिंह' के साथी डाकुओं ने भी छोड़ी। 'शोले' का ऐसा ही एक किरदार था 'सांभा' का। हाथ में दो नली लिए पहाड़ी पर बैठे इस किरदार ने हर किसी का ध्यान खींचा। फिल्म में 'सांभा' को सिर्फ एक डायलॉग दिया गया, लेकिन लोकप्रियता बाकियों जितनी ही मिली।
जब 'शोले' की जरूरत बना 'सांभा'
'शोले' को लेकर कई किस्से मशहूर है, लेकिन ये बात कम लोग जानते हैं कि फिल्म में 'सांभा' का कोई किरदार था ही नहीं। फिल्म के लेखक ने बाद में इस किरदार को फिल्म के लिए अलग से लिखा गया था, क्योंकि ये जरूरत बन गया था।