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Shankar Mahadevan: 'बेटों के साथ परफार्म करने में होता है गर्व' - शंकर महादेवन

शंकर महादेवन संगीत की दुनिया का जाना माना नाम हैं। उन्होंने बॉलीवुड को कई बेहतरीन गाने दिए हैं। अब उनके दोनों बेटे भी संगीत की दुनिया में नाम कमा रहे हैं। शंकर महादेवन ने अपने बेटों पर बात करते हुए उनसे जुड़े किस्से शेयर किए।

By Priyanka JoshiEdited By: Priyanka JoshiUpdated: Mon, 30 Jan 2023 05:00 PM (IST)
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Shankar Mahadevan: 'It takes pride in performing with sons' - Shankar Mahadevan
दीपेश पांडेय, मुंबई। Shankar Mahadevan: बीते करीब तीन दशक से हिंदी सिनेमा को शानदार संगीत देते आ रहे शंकर महादेवन के दोनों बेटे सिद्धार्थ महादेवन और शिवम महादेवन भी संगीत की दुनिया में सक्रिय हैं। सिद्धार्थ 2 स्टेट्स ,किल दिल और बार-बार देखो समेत कई फिल्मों में गाने गा चुके हैं। वहीं शिवम भी संगीत जगत में अपने लिए नए रास्ते तलाश कर रहे हैं। एक आम पिता की तरह शंकर को भी अपने बच्चों की कला और प्रतिभा पर बहुत गर्व होता है।

'बच्चों पर जितना दवाब डालेंगे वो उतना दूर भागेंगे' - शंकर महादेवन

इस बारे में वह कहते हैं, बतौर माता-पिता हमने बच्चों पर कभी दबाव नहीं डाला है। हम बच्चों पर जितना दबाव डालेंगे, वे उतना दूर भागते जाएंगे। बच्चों को अपने बल पर आगे बढ़ने दें। उन्हें जो करना होगा, वो करेंगे। ऐसा नहीं कि मैं संगीतकार था, तो बच्चों से संगीत के क्षेत्र में आने के लिए कहता था या उन्हें सात-आठ घंटे रियाज करने के लिए कहता था। मैंने एक और चीज पर बहुत ध्यान दिया कि रिश्तेदारों और दोस्तों को ये कहने का मौका ही नहीं दिया कि बड़े होकर तुम भी अपने पिता की तरह गाना गाने वाले हो। मेरे बच्चे खेल में रुचि रखते हैं और कला में भी। मेरे छोटे बेटे को इतिहास में काफी दिलचस्पी है। हालांकि, मेरी किस्मत अच्छी रही कि दोनों बच्चों की सबसे ज्यादा दिलचस्पी संगीत में ही है और दोनों प्रतिभाशाली भी हैं।

16 साल की उम्र में सिद्धार्थ को मिला फिल्मफेयर पुरस्कार

बच्चों पर गर्व करने के पलों को साझा करते हुए शंकर महादेवन कहते हैं, सिद्दार्थ तो सिर्फ साढ़े तीन साल की उम्र में मेरे ब्रेथलेस एल्बम में फीचर हुए थे। 16 साल की उम्र में उसे फिल्म भाग मिल्खा भाग के जिंदा है तो.. गीत के लिए फिल्मफेयर पुरस्कार भी मिल गया था। शिवम भी अब तक 12-13 मराठी फिल्मों और कई हिंदी फिल्मों के म्यूजिक बना चुके हैं। जब मैं दोनों बच्चों के साथ स्टेज पर खड़ा होता हूं, तो उससे ज्यादा खुशी के पल मेरे लिए और कुछ हो ही नहीं सकते हैं। जब कभी मैं किसी कंसर्ट में अकेले परफार्म करता हूं और जिंदा है तो.. गीत पर परफार्म करते समय जब भीड़ के बीच कहता हूं कि ये मेरे बेटे का गाया हुआ गीत है, तो मेरा सीना गर्व से चौड़ा हो जाता है।

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