मां करती थी यतीमखाने में काम, पढ़ाई छोड़ टीन-पतंग बनाने लगे थे एक्टर, पहली फिल्म मिली थी सड़क पर
Jagdeep हिंदी सिनेमा के बेहतरीन कलाकारों में से एक थे। बड़े पर्दे पर कॉमेडी से दर्शकों के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले अभिनेता ने असल जिंदगी में काफी तकलीफें झेलीं। कभी वह अमीर घराने से ताल्लुक रखा करते थे लेकिन फिर किस्मत ने ऐसी पलटी मारी कि गुजारा करने के लिए उन्हें छोटे-मोटे काम करने पड़े। जानिए वह फिल्मों में कैसे आये...
अमीर घराने से थे जगदीप
मध्य प्रदेश में 29 मार्च 1939 को जन्मे जगदीप एक अमीर घराने से ताल्लुक रखते थे। मगर भारत-पाकिस्तान के विभाजन के बाद उनका सब कुछ उजड़ गया। अपना शहर छोड़ वह मां के साथ बॉम्बे आ गये और मां यतीमखाने में खाना पकाकर उनका पालन-पोषण करती थीं।मेरे पिता लॉ में थे, फिर हिंदुस्तान-पाकिस्तान बना। सब तितर-बितर हुआ। बहुत ज्यादा लोग परेशान हुए। मेरे एक भाई बॉम्बे में रहते थे तो मेरी मां मुझे ले आईं जब मैं 6-7 साल का था। इसलिए मैं बॉम्बे आ गया। सब बर्बादी हो गई थी। कोठी, मकान, पैसा, बंगला सब खत्म हो गया था। मां ने यतीमखाने में खाना पकाकर मुझे पाला, जबकि उनके पास चार नौकरियां थीं और मुझे स्कूल में दाखिल किया।
टीन बनाते थे जगदीप
शोले एक्टर ने बताया था कि उन्हें अपनी मां को काम करता देख अच्छा नहीं लगता था। इसीलिए उन्होंने अपनी पढ़ाई छोड़ काम करने का फैसला लिया। जगदीप ने कहा था-मुझे ऐसा लगा कि इतने सारे बच्चे सड़कों पर काम कर रहे हैं और मेरी मां इतनी मेहनत कर रही है। मुझे पढ़ाने के लिए यतीमखाने में खाना बना रही है। फिर यह पढ़ाई किस काम की। उससे बेहतर यह है कि मैं भी इन बच्चों की तरह कुछ काम करूं तो कुछ आगे जिंदगी बढ़ेगी।
जगदीप ने जब अपनी मां से कहा कि वह काम करना चाहते हैं तो वह रोने लगीं। बाद में उन्होंने बेटे को काम करने की इजाजत दे दी। फिर अभिनेता ने कारखाने में टीन बनाने का काम किया और पतंगे बनाकर पैसे कमाये।मैंने अपनी मां से कहा कि मुझे भी काम करना है तो उन्होंने कहा कि आपको पढ़ना चाहिए। फिर मैंने कहा कि पढ़ाई में ऐसा क्या है, जबकि मैं आपको कोई सुख नहीं दे पा रहा हूं और ना हम दोनों सुखी हैं।