Jagjit Singh Birth Anniversary: चित्रा को पसंद नहीं आई थी जगजीत सिंह की आवाज, साथ गाने से कर दिया था इनकार
Jagjit Singh Birth Anniversary सुरों के सरताज जगजीत सिंह की आवाज जितनी गहरी और सुकून देने वाली है उनकी निजी जिंदगी में भी उतने ही उतार-चढ़ाव हैं। संगीत की दुनिया में आना जगजीत सिंह की च्वाइस थी। उसी तरह चित्रा के साथ उनकी शादी भी किस्मत का खेल थी। वह गजल क्वीन चित्रा सिंह से कैसे मिले और उनकी प्रेम कहानी कैसे शुरू हुई जानिए इस बारे में।
शुरू से ही संगीत से था प्रेम
8 फरवरी 1941 को बिकानेर में जन्मे जगजीत सिंह पंजाब के जालंधर में पले-बढ़े। बचपन से ही उनमें संगीत का कीड़ा था। उन्होंने उस्ताद जमाल खान और पंडित चगन लाल शर्मा से संगीत की तालीम ली। भले ही पिता ने जगजीत को संगीत के गुण सिखाने के लिए प्रोत्साहित किया, लेकिन वह चाहते थे कि उनका बेटा इंजीनियर बने। मगर जगजीत को तो पहले से ही संगीज से इश्क हो गया था।संगीत के साथ मिली मोहब्बत
जगजीत सिंह बॉम्बे संगीत के लिए आए थे, लेकिन यहां उन्हें जिंदगी भर की मोहब्बत मिल गई। जब 60 के दशक में वह बॉम्बे आए तो कुछ समय तक उन्होंने संघर्ष किया। तब किस्मत ने उनकी मुलाकात गजल की क्वीन चित्रा दत्ता (Chitra Dutta) से करवाई, जो आगे चलकर उनकी जीवनसंगिनी बनीं। हालांकि, जब दोनों की मुलाकात हुई, तब चित्रा पहले से ही शादीशुदा और एक बेटी की मां थीं।पहली नजर का प्यार नहीं, थी नफरत
आपने कई पहली नजर का प्यार वाली कहानियां सुनी होंगी, लेकिन जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता के साथ ऐसा बिल्कुल नहीं था। उनकी मोहब्बत की दास्तां नोक-झोंक से हुई थी। यहां तक कि फर्स्ट टाइम जगजीत की आवाज सुनकर चित्रा ने तो तौबा कर लिया था। एक बार चैट शो 'जीना इसी का नाम है' पर चित्रा दत्ता ने जगजीत संग अपनी पहली मुलाकात का किस्सा सुनाया था। चित्रा ने बताया था कि उन्होंने जगजीत को पहली बार कहां देखा था और उनकी आवाज सुन क्यों तौबा कर लिया था। बकौल गायिका,मैंने उन्हें पहली बार पड़ोसी के घर की बालकनी में देखा था, जहां वह गाना गाने के लिए आए थे। उन्हें नहीं पता था कि मैं उन्हें निहार रही हूं। गाने के बीच उन्होंने थोड़ा ब्रेक लिया था और बालकनी में आए थे। मैं अपनी बालकनी में खड़ी थी और उनकी आवाज सुन रही थी। जब वह बाहर आए तो मैंने उन्हें व्हाइट कलर टाइट पैंट और शर्ट में देखा। वह आए, टहले और चले गए।
चित्रा को नहीं पसंद आई थी जगजीत सिंह की आवाज
चित्रा ने इसी चैट शो में खुलासा किया था कि जब वह जगजीत उनके पड़ोस में गाना गा रहे थे, तब हर कोई उनकी आवाज का कायल हो गया था। मगर एक वही थीं, जिन्हें उनकी आवाज जरा भी रास नहीं आई। उन्होंने अपना माथा पकड़कर तौबा ही कर लिया था। चित्रा ने कहा था-अगली सुबह मुझे किसी ने कहा कि एक नया लड़का है, जो बहुत अच्छा गाता है। मैंने पिछली रात में गाए हुए गाना का टेप सुना। हर किसी ने कहा, 'क्या आवाज है।' मैं सुना और कहा, 'तौबा, ये कोई आवाज है।'
पहली मुलाकात में हो गई थी लड़ाई
जगजीत सिंह और चित्रा दत्ता की पहली मुलाकात साल 1967 में एक प्रोजेक्ट के सिलसिले में हुई थी। कहा जाता है कि उस वक्त चित्रा, जगजीत के साथ काम करने के लिए राजी नहीं थीं, क्योंकि उनकी आवाज पतली थी और जगजीत की आवाज भारी थी। फिल्मफेयर के साथ बातचीत में चित्रा जी ने बताया था-मैं उनसे एक संगीत निर्देशक की रिकॉर्डिंग के दौरान मिली थी। जगजीत जी के बारे में मेरी पहली याद यह है कि जब मैंने दरवाजा खोला तो उनका हाथ उस पर था, वे लगभग सोए हुए थे। फिर वह अंदर आए, कमरे के कोने में चले गए और सो गए।
कहा जाता है कि चित्रा के साथ गाने से मना करने पर जगजीत सिंह भी काफी नाराज हो गए थे। हालांकि, बाद में चित्रा ने जगजीत के साथ गाने के लिए राजी हो गई थीं।मैंने म्यूजिक डायरेक्टर से कहा कि उनकी आवाज बहुत भारी है और मैं उनके साथ ड्यूट गीत नहीं गा पाऊंगी।