'गांधी-अंबेडकर डिबेट' पर बयान देकर घबरा गई थीं Janhvi Kapoor, कहा- 'यह थोड़ा जोखिम भरा है'
Janhvi Kapoor ने मिस्टर एंड मिसेज माही के प्रमोशन के दौरान महात्मा गांधी और भीमराव रामजी अंबेडकर के डिबेट पर एक बयान दिया था। इन दिनों उलझ का प्रमोशन कर रहीं अभिनेत्री ने खुलासा किया है कि गांधी-अंबेडकर डिबेट पर बयान देने के बाद वह डर गई थीं। उन्होंने कहा कि वह इंटरव्यू से इस पार्ट को हटवाना भी चाहती थीं।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। बी-टाउन में बहुत कम स्टार्स हैं, जो राजनीति से जुड़े मुद्दे पर अपनी राय रखते हैं। इसी साल मई में जब जाह्नवी कपूर (Janhvi Kapoor) ने गांधी-अंबेडकर डिबेट (Gandhi Ambedkar Debate) पर बात की तो लोग हैरान रह गये। जाह्नवी ने एक इंटरव्यू में कहा कि गांधी-अंबेडकर का डिबेट देखना दिलचस्प होगा।
जाह्नवी कपूर के इस बयान ने खूब सुर्खियां बटोरीं। राजनीति से जुड़ी इतनी गहरी बात उनके मुंह से सुनकर लोग हैरान रह गये। लोगों ने कहा कि जाह्नवी को इस मुद्दे पर बोलने के लिए उनकी पीआर टीम ने ट्रेन्ड किया है। हालांकि, ऐसा नहीं था। अभिनेत्री ने बताया कि उनकी टीम को पता भी नहीं था कि वह इस बारे में कुछ बोलेंगी। बयान देने के बाद वह खुद भी पैनिक हो गई थीं। उन्हें डर था कि कहीं उनके बयान से बवाल न मच जाये।
गांधी-अंबेडकर डिबेट पर बोलकर पछताईं जाह्नवी
मशेबल इंडिया के साथ बातचीत में जाह्नवी कपूर ने कहा, "उस इंटरव्यू के खत्म होने के बाद, मैंने अपने पीआर को देखा कि क्या मैंने कुछ गलत कहा है और उन्होंने कहा कि यह एक बात उठाई जा सकती है लेकिन देखते हैं। फिर अगले दिन, मैं बस घबरा गई।" उन्हें डर था कि बयान की वजह से कहीं फिल्म 'मिस्टर एंड मिसेज' माही की रिलीज को लेकर दिक्कत न हो जाये।यह भी पढ़ें- Janhvi Kapoor की फिल्म उलझ के पहले गाने Shaukan का टीजर आया सामने, इस दिन रिलीज होगा
हाइपर होने लगी थीं जाह्नवी कपूर
'उलझ' एक्ट्रेस ने आगे कहा, "मुझे नहीं पता कि यह सही बात है या नहीं। मेरे पीआर लोग भी हाइपर होने लगे और उन्होंने पूछा कि क्या हम उस हिस्से को हटा सकते हैं? हम फालतू का अटेंशन नहीं चाहते हैं। यह थोड़ा जोखिम भरा है और उन्होंने (पब्लिकेशन) कहा 'नहीं, हम इसे नहीं काटना चाहते हैं'।" उन्होंने कहा कि वह परेशान हो गई थीं, क्योंकि पीआर टीम इसे हटाना चाहती थी।
जाह्नवी कपूर ने बताया कि फिल्म निर्माता नीरज घायवान के साथ समय बिताने के बाद उन्होंने जाति भेदभाव के बारे में पढ़ने का प्रोत्साहन मिला। वह अंबेडकर के बारे में और जानने के लिए बेताब हुईं और उन्होंने अंबेडकर की किताब एनीहिलेशन ऑफ कास्ट भी पढ़ी है। उन्होंने कहा कि इस किताब को पढ़ने के बाद उनके अंदर काफी बदलाव आया।
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