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जावेद अख्तर ने की 'एनिमल' की आलोचना, बोले- हमारी फिल्मों में महिला किरदार Dumb नहीं होता

जावेद अख्तर ने एक इंटरव्यू में बॉलीवुड में बदल रहे एंग्री यंग मैन कैरेक्टर पर बात की। इस दौरान उन्होंने एक बार फिर रणबीर कपूर की फिल्म एनिमल का जिक्र किया। जावेद ने बताया कि फिल्मों में अब एंग्री यंग मैन को एक कैरिकेचर की तरह दिखाया जाता है। पहले की फिल्मों में ऐसा नहीं होता था हमने भी जंजीर जैसी फिल्में बनाई हैं।

By Surabhi Shukla Edited By: Surabhi Shukla Updated: Thu, 25 Jul 2024 04:21 PM (IST)
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जावेद अख्तर ने की एनिमल की आलोचना

 एंटरटेनमेंट डेस्क,नई दिल्ली। जावेद अख्तर शब्दों के साथ कोई समझौता नहीं करते। अगर उन्हें किसी चीज को लेकर कुछ बोलना होता है तो वो सीधे और साफ शब्दों सटीक बात बोलते हैं। इससे पहले उन्होंने संदीप रेड्डी वांगा की फिल्म एनिमल को लेकर कई बाते बोली थीं। फिल्म में रणबीर कपूर ने लीड किरदार निभाया था।

बदल गया है एंग्री यंग मैन कैरेक्टर

वी आर युवा को दिए इंटरव्यू में जावेद अख्तर ने कहा कि आजकल फिल्मों में एंग्री यंग मैन को एक कैरिकेचर की तरह दिखाया जाता है जो चाहता है कि औरत उसके जूते चाटे। जावेद अख्तर ने बतााय कि उन्होंने सलीम खान के साथ मिलकर साल 1970 में लीड हीरोज को एंग्री यंग मैन के कैरेक्टर में दिखाना शुरू किया था। जंजीर वो पहली फिल्म थी जिसमें इस तरह के किरदार को दिखाया गया था।

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मैंने फिल्म नहीं देखी

अख्तर रणबीर कपूर की फिल्म 'एनिमल' के उस सीन की बात कर रहे थे जिसमें रणबीर कपूर का कैरक्टर रणविजय तृप्ति डिमरी यानी जोया से अपने जूते चाटने के लिए कहता है। जब उनसे इस बारे में सवाल किया गया कि क्या उन्होंने ये फिल्म देखी? इस पर गीतकार ने कहा, 'नहीं, थैंक गॉड।' अख्तर ने कहा कि उन्होंने फिल्म नहीं देखी है लेकिन न्यूज में पढ़ा है और लोगों ने भी उन्हें इस बारे में बताया है।

बता दें कि इससे पहले 9वें अजंता-एलोरा अंतरराष्ट्रीय फिल्म महोत्सव के दौरान जावेद ने एनिमल जैसी फिल्मों की सफलता को खतरनाक बताया था। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए फिल्म के डायरेक्ट संदीप वांगा ने एक इंटरव्यू में मिर्जापुर का जिक्र किया था जिसे जावेद अख्तर के बेटे फरहान अख्तर ने प्रोड्यूस किया है। वांगा ने कहा था कि जावेद को अपने बेटे के काम की जांच करनी चाहिए।

महिला को उसके अधिकार के साथ दिखाया

गीतकार ने कहा कि भले ही उन्होंने कोई महिला केंद्रित फिल्म नहीं लिखी है। लेकिन उनकी फिल्मों में महिला कैरेक्टर इतने डंब नहीं होते थे। आपने अगर सलीम जावेद की फिल्मों को देखा होगा तो नोटिस किया होगा कि अगर पांच सीन में महिला को दिखाया गया तो वो वहां अपने पूरे अधिकार के साथ थी। फिल्म में वो गूंगी महिला की तरह व्यवहार नहीं करती थी जिसे कुछ भी न पता हो। आप जंजीर और त्रिशूल जैसी फिल्मों में देख सकते हैं।

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