Kader Khan Birth Anniversary: ''किनारे से कभी अंदाज-ए-तूफान नहीं होता'', खूब फेमस हुए कादर खान के ये डायलॉग्स
Kader Khan Birth Anniversary 2023 हिंदी सिनेमा में अभिनय और फिल्म लेखन की परिभाषा बदलने वाले कादर खान हर किसी की फेवरेट माने जाते थे। एक्टिंग से पहले कादर ने फिल्मों की स्क्रिप्ट और शानदार डायलॉग्स लेखन की वजह से अपनी खास पहचान बनाई। ऐसे में आज हम इस लेख में कादर खान के फेमस डायलॉग्स के बारे में चर्चा करने जा रहे हैं।
By Ashish RajendraEdited By: Ashish RajendraUpdated: Sat, 21 Oct 2023 03:32 PM (IST)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Kader Khan 86th Birth Anniversary: कादर खान हिंदी सिनेमा को वो नायाब हीरे रहे, जिन्होंने अभिनय और फिल्म लेखन का एक अनोखा अध्याय लिखा। दमदार अदाकरी से अलावा कादर सवांद लेखन में महारथी थे। सिर्फ इतना ही नहीं कादर खान ने अपनी फिल्मी करियर की शुरुआत बतौर कलाकार नहीं बल्कि फिल्मों के लेखन से शुरू की थी।
22 अक्टूबर को कादर खान की बर्थ एनिवर्सिरी मनाई जाती है। इस खास मौके पर कादर खान के कुछ फेमस डायलॉग्स पर एक नजर जरूर डालनी चाहिए।
इस फिल्म से कादर खान ने शुरू किया डायलॉग्स लेखन का काम
बहुत कम लोगों को इस बात का जानकारी की है कि कादर खान ने एक लेखक के तौर पर फिल्मी दुनिया में आगाज किया था। साल 1972 में आई डायरेक्टर नरेंद्र बेदी फिल्म 'जवानी दिवानी' से कादर ने पहली बार संवाद लेखन का कार्य शुरू किया।
इस फिल्म में रणधीर कपूर और जया भादुड़ी (जया बच्चन) जैसे कलाकार लीड रोल में मौजूद थे। बताया जाता है कि इस फिल्म के लिए कादर खान के डायलॉग्स से निर्देशक नरेंद्र बेदी काफी ज्यादा प्रभावित हुए और इसके लिए उनकी काफी सराहना भी की।
कादर खान के ये डायलॉग्स फैंस को आए काफी पसंद
अपने फिल्मी करियर के दौरान कादर खान 250 से ज्यादा फिल्मों के लिए संवाद लिखे। 'रोटी, हिम्मतवाला, खून भरी मांग, मैं खिलाड़ी तू अनाड़ी, अग्निपथ 1990, कर्मा, सरफरोश, धर्मवीर, मेरी आवाज सुनो और अंगार'' जैसी कई शानदार फिल्मों के डायलॉग्स लिखे। कादर खान के फेमस डायलॉग्स पर एक नजर डाली जाए तो उसमें कई दमदार डायलॉग्स मौजूद हैं।
''जिंदगी का सही लुत्फ उठाना है, तो मौत से खेलो''- (मुकद्दर का सिकंदर-1978)''इंसान को दिल, दिमाग दे, जिस्म दे पर कम्बख्त पेट मत दे'' -(रोटी-1974)''दुनिया की कोई जगह इतनी दूर नहीं, जहां जुर्म के पांव में कानून अपनी फौलादी जंजीरें पहना न सके''- (शहंशाह-1988)
''हम जहां खड़े होते हैं, लाइन वहीं से शुरू होती है'' (कालिया-1981)''औरों के लिए गुनाह नहीं, हम पिए को शबाब बनती है, अरे सौ गमों के निचोड़ने के बाद शराब बनती है''-(नसीब- 1997)''दुख जब हमारी कहानी सुनता है, तो खुद दुख को दुख होता है''- (बाप नंबरी बेटा दस नंबरी-1990)
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