पुजारी बनने ऋषिकेश गये थे Kailash Kher, रेलवे स्टेशन पर गुजारे दिन... बिजनेसमैन से ऐसे बने सिंगर
म्यूजिक इंडस्ट्री के द मिस्टिकल नोमेड कहे जाने वाले दिग्गज सिंगर कैलाश खेर को किसी पहचान की जरूरत नहीं है। 2 दशक तक रोमांटिक से लेकर भक्ति भरे गीत गाने वाले कैलाश ने अपनी सुरीली आवाज से हर किसी का दिल जीत लिया था। मगर शायद ही आपको पता हो कि उनका सिंगर बनने तक का सफर आसान नहीं रहा। मुश्किलें इतनी आईं कि बात सुसाइड तक पहुंच गई थी।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Kailash Kher Birthday: 'मेरे निशान', 'तेरी दीवानी', 'चांद सिफारिश' जैसे रोमांटिक गाने हों, या फिर 'बम लहरी' और 'शंकरा जी का डमरू बाजे' जैसे भक्ति वाले गाने हों... कैलाश खेर ने संगीत जगत को एक से बढ़कर एक सदाबहार गाने दिये हैं। उनकी मधुर आवाज सुनने वालों के दिल में सुकून भरने के लिए काफी है।
7 जुलाई 1973 को दिल्ली में जन्मे कैलाश खेर (Kailash Kher) ने एक बार खुलासा किया था कि जब वह चार या पांच साल के थे, तब एक पंडित ने कहा था कि वह कुछ बड़ा करेंगे। मगर क्या, यह नहीं बताया था। पिता लोक गायक थे और घर में लोक संगीत बजा करता था। कैलाश ऐसे ही गाने सुनकर बड़े हुए थे। हालांकि, उन्हें कभी नहीं लगा था कि वह म्यूजिक इंडस्ट्री में इतना नाम कमाएंगे।
पुजारी बनने ऋषिकेश चले गये थे गायक
कैलाश खेर 14 साल के थे, जब वह घर से भाग गये थे। गुस्से में घर छोड़ने का फैसला उन्हें कहां ले जाएगा, ये उन्हें भी नहीं मालूम था। उन्होंने पेट पालने के लिए छोटे-मोटे काम किये, फिर दिल्ली में एक्सपोर्ट का बिजनेस किया। वह जर्मनी में हैंडीक्राफ्ट्स भेजा करते थे। उस वक्त वह सिर्फ 20 या 21 साल के थे। जब बिजनेस डूबने लगा तो वह हताश हो गये और सब कुछ छोड़कर पुजारी बनने ऋषिकेश चले गये।
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फोटो क्रेडिट- फेसबुक (कैलाश खेर)
कैलाश खेर ने लगाई थी गंगा में छलांग
वह पुजारी बनने की शिक्षा लेने परमार्थ निकेतन आश्रम गये। मगर वहां भी उन्हें सुकून नहीं मिला। हिंदुस्तान टाइम्स को दिए इंटरव्यू में गायक ने कहा था-
बिजनेस में प्रॉब्लम्स आने के बाद मैं पुजारी बनने के लिए ऋषिकेश चला गया था। हालांकि, मुझे लगा था कि मैं वहां फिट नहीं बैठूंगा क्योंकि मेरे साथी मुझसे उम्र में छोटे थे और मेरे विचार उनसे कभी मेल नहीं खाते थे। मैं निराश था क्योंकि मैं हर चीज में असफल हो रहा था। इसलिए एक दिन मैंने गंगा नदी में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश की।
किस्मत की बात थी कि घाट पर मौजूद एक शख्स ने सही समय पर नदी में छलांग लगाई और कैलाश खेर को बचा लिया। जब गायक ने उन्हें बताया कि वह सुसाइड करने जा रहे हैं, तब उस शख्स ने उनके सिर पर टपली भी बजाई थी। इस घटना के बाद कैलाश ने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया था और वो भी बिना खाये-पिये।
फोटो क्रेडिट- फेसबुक (कैलाश खेर)
रेलवे स्टेशन पर गुजारे दिन
ऋषिकेश में तो पुजारी नहीं बन पाये तो कैलाश खेर मुंबई नगरी आ गये, संगीत जगत में किस्मत आजमाने। गायक ने मुंबई के अंधेरी रेलवे स्टेशन में कई दिन गुजारे। उन्होंने बताया था कि स्टेशन पर एक चायवाला उनका दोस्त भी बन गया था। रेडिफ के मुताबिक, कैलाश खेर ने कहा था-
मेरे कुछ दोस्त थे, जिनमें से कुछ किसी न किसी तरह से कुछ फिल्मों में शामिल थे। मेरा नाम संगीतकार राम संपत को सुझाया गया, जो उस समय नक्षत्र डायमंड्स के लिए एक गीत के लिए एक अलग आवाज की तलाश में थे।
भले ही इस जिंगल से उन्हें खास पहचान न मिली हो, लेकिन 5 हजार की रकम पाकर वह गदगद हो गये थे क्योंकि गुजारा करने के लिए उन्हें पैसे की जरूरत थी।
फोटो क्रेडिट- फेसबुक (कैलाश खेर)
इस गाने से बने थे सेंसेशन
कैलाश खेर की जिंदगी एक गाने से हमेशा के लिए बदल गई। वह गाना था अल्लाह के बंदे। कम बजट की फिल्म वैसा भी होता है मूवी का ये गाना इतना पॉपुलर हुआ कि कैलाश रातोंरात सेंसेशन बन गये थे। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा।
ये रहे कैलाश खेर के बेस्ट सॉन्ग्स...
- यूं ही चला चल (स्वदेस)
- करले जुगाड़ करले (फुकरे)
- अर्जियां (दिल्ली 6)
- जय जयकारा (बाहुबली 2)
- चांद सिफारिश (फना)
- तेरी मर्जी ऐ खुदा (पाठशाला)
- फेक इश्क (हाउसफुल 3)
इसके अलावा कैलाश खेर ने अपने बैंड के तहत बने 'कैलासा' एल्बम के जरिए भी कई गाने बनाये हैं, जिसमें तौबा तौबा, तेरी दीवानी, अल्बेला साजन, कैसे मैं कहूं जैसे गाने शामिल हैं। वह अपनी सुरीली आवाज के लिए पद्म श्री समेत कई अवॉर्ड से सम्मानित किये गये हैं।
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