'हम तो नकली हीरो-हीरोइन,' Kangana Ranaut ने इंडस्ट्री के कई गंभीर मुद्दों पर की दो टूक बात
सांसद और एक्ट्रेस कंगना रनौत (Kangana Ranaut) आने वाले समय में फिल्म इमरजेंसी (Emergency) में नजर आने वाली हैं। राजनीति में आने के बाद उनका करियर एक नए मोड़ पर आ गया है। फिल्म की रिलीज से पहले कंगना ने इसके बारे में खुलकर बात की है और खुद नकली हीरोइन बताया है। आइए जानते हैं कि उन्होंने ऐसा क्यों कहा है।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई डेस्क। हिमाचल प्रदेश के मंडी से भाजपा सांसद बनीं अभिनेत्री कंगना रनौत (Kangana Ranaut) अपनी नई जिम्मेदारी को लेकर काफी उत्साहित हैं। उनकी फिल्म इमरजेंसी (Emergency) 6 सितंबर को सिनेमाघरों में रिलीज होगी।
फिल्म की कहानी के केंद्र में देश की पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी होंगी, जिन्होंने देश में इमरजेंसी की घोषणा की थी। अभिनय के अलावा कंगना ने फिल्म का लेखन और निर्देशन भी किया है। कई मुद्दों को लेकर कंगना ने जागरण से खास बातचीत की है।
संसद में पहले दिन का अनुभव कैसा रहा?
इसे विधि का विधान कहें या मेरी किस्मत कह लीजिए। चाहे जयललिता (तमिलनाडु की पूर्व मुख्यमंत्री) की भूमिका हो या श्रीमती इंदिरा गांधी की, पिछले कुछ वर्षों से संसद मेरी जिंदगी में काफी गूंज रही थी जबकि हमें दूर-दूर तक कोई ज्ञान नहीं था कि इस तरह की कोई संभावना बन सकती है।
जब नई संसद बनी थी तब महिला आरक्षण विधेयक बिल पास हुआ था तो उस दिन कई कलाकारों को वहां बुलाया गया था। इस अवसर पर मैं भी गई थी, लेकिन सांसद बनकर वहां जाना बहुत भावुक क्षण था। जब हम वहां पर गए तो लगा जैसे अपने ही घर में आए हैं।
लोगों की उम्मीदें आपसे ज्यादा बढ़ गई हैं?
देखिए, एक बात मैं आपको गंभीरतापूर्वक बता हूं, हम हैं नकली वाले हीरो-हीरोइन। असली वाले काम अभी करने हैं और उन्हें अब हम सीख रहे हैं। दरअसल जब आप नकली गोलाबारी या डॉयलागबाजी कर रहे होते हैं या फिर नकली खलनायक से लड़ रहे होते हैं तो भी आपके दिमाग में आदर्शवाद के मूल्य आ जाते हैं कि ऐसा होना चाहिए, लेकिन जब आप ग्राउंड पर जाते हैं और जमीनी हकीकत से वाकिफ होते हैं तो आपका सारा भूत उतर जाता है। एक बात सत्य है कि हां, हम वैसी भूमिका में भी हैं।
जैसे मैं मंडी निर्वाचन क्षेत्र से हूं और वहां जब बाढ़ आई तो मैंने देखा लोग कितने दुखी हैं। ऐसे में मन करता है कि मेरे बस में होता तो हम इस सीन को ही बदल दें। यह गलत हो रहा है। इतने दुख-दर्द के बारे में हम सोच भी नहीं सकते जितना कि वास्तव में देखने को मिलता है। हमारे सैनिक हों या डॉक्टर या फिर पुलिस वाले वे ही हमारे रियल हीरो हैं।
ये भी पढ़ें- हेमा कमेटी रिपोर्ट पर Kangana Ranaut ने तोड़ी चुप्पी, महिलाओं संग यौन उत्पीड़न पर क्या बोलीं एक्ट्रेस?हम तो नाम के हीरो-हीरोइन हैं। हालांकि उस लाइन के अपने दुख-दर्द हैं और उनके दुख-दर्द और अधिक हैं। हां, बतौर सांसद अगर किसी को सूचना और प्रसारण मंत्रालय से सवाल पूछना हो तो उनकी तरफ से मुझे सवाल पूछने में खुशी होगी। वैसे मेरे स्वयं के भी मुद्दे हैं फिल्मों में हिंसा दिखाए जाने और महिलाओं के चित्रण आदि को लेकर। उन मुद्दों को मैं उठाती भी रहती हूं।