कंगना रनोट ने 'भीख में आजादी' वाले बयान पर बवाल के बाद वरुण गांधी और ट्रोल्स को दिया जवाब, कही यह बड़ी बात!
कंगना के बयान पर बीजेपी नेता वरुण गांधी ने ट्वीट किया था- कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान कभी उनके हत्यारे का सम्मान और अब शहीद मंगल पांडेय लेकर रानी लक्ष्मीबाई भगत सिंह चंद्रशेखर आजाद नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार।
By Manoj VashisthEdited By: Updated: Fri, 12 Nov 2021 07:15 AM (IST)
नई दिल्ली, जेएनएन। कुछ दिनों की शांति के बाद कंगना रनोट एक बार फिर सोशल मीडिया के निशाने पर हैं। हाल ही में देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मानों में से एक पद्मश्री से सम्मानित हुईं कंगना आजादी की लड़ाई को लेकर दिये गये अपने एक विवादित बयान के चलते लोगों के निशाने पर आ गयी हैं। कंगना ने एक कार्यक्रम में कहा था कि 1947 में जो आजादी मिली वो भीख थी, असली आजादी 2014 में मिली। गौरतलब है कि 2014 में ही नरेंद्र मोदी सरकार सत्ता में आयी थी। इसको लेकर कंगना को सोशल मीडिया में बुरी तरह ट्रोल किया जा रहा है। कंगना ट्विटर पर नहीं हैं, मगर इंस्टाग्राम के जरिए जवाब दे रही हैं।
कंगना के बयान पर बीजेपी नेता वरुण गांधी ने ट्वीट किया था- कभी महात्मा गांधी के त्याग और तपस्या का अपमान, कभी उनके हत्यारे का सम्मान, और अब शहीद मंगल पांडेय लेकर रानी लक्ष्मीबाई, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद, नेताजी सुभाष चंद्र बोस और लाखों स्वतंत्रता सेनानियों की कुर्बानियों का तिरस्कार। इस सोच को मैं पागलपन कहूं या फिर देशद्रोह? वरुण के इस ट्वीट को इंस्टाग्राम स्टोरी में शामिल करके कंगना ने जवाब लिखा- हालांकि, मैंने साफ-साफ यह बताया था कि 1857 में आजादी की पहली लड़ाई हुई, जिसे दबा दिया गया। इसके बाद ब्रिटिश हुकूमत का अत्याचार और क्रूरता बढ़ गयी। लगभग एक सदी बाद गांधी के भीख के कटोरे में हमें आजादी दे दी गयी... जा और रो अब।
कंगना के बयान पर स्वरा भास्कर समेत कई लोगों ने रिएक्ट किया है।
Who are the idiots who are clapping is what I want to know.. https://t.co/LRhbGjHsxF
— Swara Bhasker (@ReallySwara) November 10, 2021
क्या कहा था कंगना रनोट ने...टाइम्स नाऊ चैनल के कार्यक्रम में कंगना ने कहा था- वो आजादी नहीं थी। वो भीख थी और जो आजादी मिली है, वो 2014 में मिली है। एक्ट्रेस ने इस पर आगे कहा- यह बहुत बड़ा विषय है। मैंने बहुत पढ़ा है और एक फिल्म भी बनायी है।
यह बहुत स्पष्ट है कि ब्रिटिश ने प्रजातांत्रिक ढंग से भारत पर कब्जा नहीं किया था। कुछ लड़ाइयां हुई थीं, लेकिन 1857 में हुई लड़ाई आजादी के लिए निर्णायक थी। इसके बाद जो कुछ हुआ, वो हमारे इतिहास का सबसे दुर्भाग्यपूर्ण हिस्सा है। यहूदियों के साथ जो हुआ, उससे भी अधिक दुर्भाग्यशाली। इसे मीडिया में नहीं लिखा गया। जलियांवाला बाग हो या बंगाल का अकाल। वो भारतीयों के पीछे पड़ गये थे, क्योंकि वो इस लड़ाई को काबू में कर सकते थे। उन्होंने हमें वाकई में भूखा मरने के लिए छोड़ दिया था। बता दें, कुछ दिनों पहले कंगना ने अंडमान में उस जेल का दौरा भी किया था, जिसमें सावरकर को बंदी बनाकर रखा गया था।