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फिल्म 'ज्विगाटो' की शूटिंग के दौरान Kapil Sharma को याद आए संघर्ष के दिन, शेयर किया किस्सा

कपिल शर्मा अपनी आने वाली फिल्म Zwigato को लेकर चर्चा में है। यह 17 मार्च को रिलीज हो रही है। कपिल की यह तीसरी फिल्म है। नंदिता दास निर्देशित फिल्म को टोरंटो समेत कई प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया जा चुका है।

By Aditi YadavEdited By: Aditi YadavUpdated: Tue, 14 Mar 2023 04:14 PM (IST)
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स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। कॉमेडी से सबको गुदगुदाने वाले कपिल शर्मा ने फिल्म 'किस किस को प्यार करूं' से अभिनय में हाथ आजमाया था। अब वह नंदिता दास निर्देशित फिल्म 'ज्विगाटो' में नजर आएंगे। फिल्म को टोरंटो समेत कई प्रतिष्ठित फिल्म फेस्टिवल में प्रदर्शित किया जा चुका है। कपिल शर्मा से स्मिता श्रीवास्तव की  बातचीत के अंश...

आपने कहा था कि लोग आपको गंभीरता से नहीं लेते

मैं भले ही यह कहता हूं कि लोग सीरियसली नहीं लेते, लेकिन सच कहूं तो उन्होंने मुझे बहुत सीरियसली लिया है। 10 साल से लोग मेरे टीवी शो को इतना प्यार दे रहे हैं तो यह उनकी सीरियसनेस ही तो है, पर हां, जब लोग आपको लंबे समय से हंसते-हंसाते देख रहे हो और अचानक गंभीर चेहरे के साथ देखें तो एकदम से झटका लगता है। ईश्वर की कृपा से हमें ट्रेलर और जिन फेस्टिवल में गए, वहां की जो प्रतिक्रिया मिल रही है, उससे मनोबल बढ़ रहा है कि हमने दिल से मेहनत की और लोग उसकी तारीफ कर रहे हैं।

फिल्मों में अभिनय में करियर बनाने को लेकर आपने सोचा नहीं?

सच कहूं तो मैंने फिल्मों को इतनी प्राथमिकता कभी दी भी नहीं है, क्योंकि टीवी में हम वीकली शो करते हैं। हफ्ते में दो शो बनाना, वो भी नॉन-फिक्शन तो वह बहुत मुश्किल होता है। ऐसे में मैंने आज तक दो ही फिल्में की हैं, तीसरी अब यह नंदिता दास के साथ है। अच्छा काम हमेशा प्राथमिकता में रहा है। नेटफ्लिक्स पर जब 'आईएम नॉट डन येट' शो करने का मौका मिला तो उसे दिल से बनाया कि पर्सनल टच देकर निजी जिंदगी लोगों से शेयर करते हैं। अपना शो तो अच्छा चल ही रहा है। आगे भी अगर ऐसा ही कुछ अच्छा मिलेगा तो जरूर करूंगा।

पहली बार आपने फिल्म फेस्टिवल में शिरकत की। कैसा अनुभव रहा?

यह एकदम नया अनुभव था। (हंसते हुए) ऊपर से इंग्लिश में इंटरव्यू देकर आना, वो तो मतलब मेरे लिए आउट आफ दिस वर्ल्ड अनुभव था। इस फिल्म को लेकर एक-दो लोगों ने लिखा था, 'सीरियसली कपिल, सीरियस रोल!' उनमें से एक व्यक्ति टोरंटो में भी हैं। वह फिल्मों के बहुत शौकीन हैं। उन्होंने फिल्म देखी और तारीफ करके गए। फिर हम साउथ कोरिया गए। वहां भी मैं पहली बार गया। हमारे शो अमेरिका, कनाडा, इंग्लैंड, आस्ट्रेलिया में होते रहते हैं, लेकिन कभी सोचा नहीं था कि साउथ कोरिया भी जाऊंगा। बुसान में हमारी स्क्रीनिंग थी तो सियोल से करीब नौ घंटे की यात्रा करके कई इंडियन वहां आए थे। इतनी लंबी यात्रा करके लोग मिलने आएं तो ये सब चीजें आपका मनोबल बढ़ाती हैं वरना मैं कहां साउथ कोरिया जाने वाला था।

इस फिल्म ने आपके संघर्ष के दिनों की किन यादों को ताजा किया?

बिल्कुल, कई दिन याद आए। जब आप आम जिंदगी जी रहे होते हैं तो आसपास के घर में क्या पक रहा है, उसकी खुशबू भी पता चलती है। कहीं कुकर की सीटी बजती है तो पता चल जाता है कि दाल बन रही है या बिरयानी। जब हम शूट कर रहे थे तो वहां आसपास छोटे-छोटे घरों में रियल लोकेशन पर शूटिंग थी। तब मुझे वही पुराना टाइम याद आया, जब हम सरकारी क्वार्टर में रहते थे। बाइक चलाए हुए पता नहीं कितने साल हो गए थे तो पूरा एक महीना मैंने बाइक चलाई। बड़ा मजा आया।

'फिरंगी' की असफलता ने आपको क्या सिखाया?

यही कि जो काम नहीं आता, उसे नहीं करना चाहिए। प्रोड्यूसर नहीं बनना चाहिए (हंसते हैं), क्योंकि फिल्म की मार्केटिंग और अन्य सारी चीजों पर बहुत सारे डिपार्टमेंट होते हैं। सिर्फ पैसा ही जरूरी नहीं है। हम सब जिंदगी में कुछ न कुछ गलतियां करके सीखते ही हैं तो ठीक है वो भी अच्छा एक्सपीरियंस था।

कोरोना काल की कौन सी सीख का आज भी ध्यान रखते हैं?

बहुत सारी ऐसी छोटी-छोटी चीजें हैं। कई बार दिमाग में आता है कि एक दोस्त है अमृतसर में, बहुत दिन हो गए उससे बात नहीं हुई तो कल करूंगा। लॉकडाउन के वक्त जो याद आ रहा था, उसे फोन कर रहे थे। अभी अमेरिका में मेरे एक दोस्त का निधन हो गया, जबकि नए साल पर वह भी अमृतसर आए थे, मगर हम मिल नहीं पाए तो वह गिल्ट रह गया कि काश हम मिल पाते। ऐसा ही गिल्ट इरफान भाई के जाने का भी हुआ, क्योंकि हम एक ही बिल्डिंग में रहने के बावजूद मिल नहीं पाए। कई बार ऐसी चीजें हो जाती हैं। कोरोना ने सिखाया कि जो मन में आए कर लेना चाहिए। ज्यादा देरी मत करो!

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