पद्मावत बवाल: विरोध जारी, याचिका खारिज़, भंसाली के पक्ष में आये निर्देशक
24 जनवरी को राजस्थान के चितौड़गढ़ में जौहर ज्वाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसके जरिये राजपूत महिलाओं ने सामूहिक जौहर दी धमकी दी है।
By Manoj KhadilkarEdited By: Updated: Fri, 19 Jan 2018 06:32 PM (IST)
मुंबई। संजय लीला भंसाली की फिल्म पद्मावत को पूरे देश में रिलीज़ किये जाने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद इस फिल्म का विरोध कर रहे संगठनों ने आंदोलन तेज़ कर दिया है। करणी सेना अलग अलग तरीकों से देश भर में इस फिल्म को रोकेगी और अदालत का भी दरवाज़ा खटखटाएगी।
इस बीच इंडियन फिल्म एंड टेलीविजन डायरेक्टर्स एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट के पूरे देश में पद्मावत को रिलीज़ किये जाने का स्वागत करते हुए विरोध करने वालों से अपील की हैं कि वो अपने इगो को परे रख कर इस फिल्म का विरोध छोड़ दें क्योंकि ये फिल्म रानी पद्मिनी और राजपूती सम्मान को और बढ़ाने वाली है। संगठन ने सिनेमाघर मालिकों से इस फिल्म को बिना किसी डर के अपने यहां प्रदर्शित करने और राज्यों को क़ानून व्यवस्था को बनाये रखने के लिए हर संभव प्रयास करने की गुजारिश की है।
इस बीच सुप्रीम कोर्ट ने पद्मावत को रोक लगाने के लिए दाखिल एक और याचिका को खारिज़ कर दिया। अदालत में तुरंत सुनवाई के तहत दाखिल इस पिटीशन में कहा था था कि सेंसर बोर्ड ने इस फिल्म को जो सर्टिफिकेट जारी किया है उसे रद्द कर दिया जाय। अदालत ने इसे खारिज़ करते हुए कहा कि इस फिल्म से किसी की लाइफ़, प्रॉपर्टी या लॉ एंड ऑर्डर को कोई ख़तरा नहीं हो सकता।
गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिए गए अपने फैसले में राजस्थान और गुजरात सरकार के उस आदेश और नोटिफिकेशन को रद्द कर दिया, जिसके तहत पद्मावत को इन राज्यों ने अपने यहां रिलीज़ करने पर रोक लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट में तीन सदस्यीय बेंच ने ये भी कहा कि अपने यहां कानून और व्यवस्था को बनाये रखना राज्यों का कर्तव्य है। सिर्फ राजस्थान और गुजरात ही नहीं बल्कि उन सभी राज्यों ने जिन्होंने पद्मावत की रिलीज़ को रोके जाने संबंधी आदेश दिया है, उसे खारिज़ किया जाता है। आदेश के बाद से ही करणी सेना ने अपना विरोध मुखर कर दिया था। संगठन ने कहा है कि उन्हें कोर्ट के ऑर्डर की कॉपी मिल गई है और वो सुप्रीम कोर्ट की डबल बेंच में इस आदेश के ख़िलाफ़ अपील करने जा रहे हैं।
करणी सेना ने कहा है कि उन्होंने राष्ट्रपति को इस मामले में पत्र लिखा है उनसे मुलाकात का समय मांगा है। करणी सेना के मुताबिक राजस्थान में सिनेमाहाल मालिकों ने लेटर के जरिये भरोसा दिलाया है कि वो इस फिल्म को करणी सेना से पूछे बिना रिलीज़ नहीं करेंगे। उधर महिला संगठनों का विरोध भी मुखर हो गया है। 24 जनवरी को राजस्थान के चितौड़गढ़ में जौहर ज्वाला कार्यक्रम का आयोजन किया गया है, जिसके जरिये राजपूत महिलाओं ने सामूहिक जौहर दी धमकी दी है। राजपूत करणी सेना के प्रमुख लोकेन्द्र सिंह कलवी ने कहा है कि उन्होंने विभिन्न संगठनों से अपील की है कि पद्मावत को रिलीज़ न हो ने दिया जाए। इसके लिए जगह जगह जनता कर्फ्यू लगा कर विरोध किया जाय।बिहार के मुजफ्फरपुर में करणी सेना से जुड़े लोगों ने एक सिनेमाघर के बाहर तोड़फोड़ की है। इस बीच महाराष्ट्र में मुंबई से सटे ठाणे में शुक्रवार को करणी सेना विरोध जुलूस निकाल रही है जो कोरम से विवियाना मॉल तक जाएगा।यह भी पढ़ें:पद्मावत फैसला: कोर्ट ने कहा पूरे देश में कहीं रोक नहीं, करणी सेना बोली हम तो रोकेंगे संजय लीला भंसाली ने आध्यात्मिक संत श्री श्री रविशंकर के लिए एक स्पेशल स्क्रीनिंग रखी थी और इस दौरान भंसाली की टीम के साथ आर्ट ऑफ़ लिविंग के लोग भी मौजूद थे। पद्मावत को ब्रिटिश सेंसर ने 12 A सर्टिफिकेट के साथ पास किया है और फिल्म की रनिंग टाइम दो घंटे 43 मिनट और 37 सेकेंड रखा गया है। इस विरोध के बीच सुप्रीम कोर्ट से हरी झंडी मिलते ही पद्मावती के निर्माताओं ने अपनी फिल्म की देश-दुनिया में रिलीज़ की तैयारी तेज़ कर दी है। पद्मावत, हिंदी के अलावा तेलुगु और तमिल में भी रिलीज़ की जा रही है और इसके पोस्टर भी जारी किये गए हैं। हालांकि विरोध के तेज़ होने के बाद गुजरात और राजस्थान के डिस्ट्रीब्यूटर्स में उहापोह की स्थिति है। वो फिल्म को तब तक अपने यहां सिनेमाघरों में लगाने की नहीं सोच सकते जब तक उन्हें पूरी सुरक्षा न दी जाय। उधर ट्रेड पंडित मान रहे कि चार राज्यों (राजस्थान, गुजरात, हरियाणा मध्य प्रदेश) सहित महाराष्ट्र (मुंबई) में फिल्म को लेकर उग्र विरोध होता है तो दर्शकों का थियेटर तक जाना मुश्किल है और इस कारण पद्मावत के निर्माता को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। ये नुकसान 50 करोड़ तक का हो सकता है। सेंसर बोर्ड ने दीपिका पादुकोण, रणवीर सिंह और शाहिद कपूर स्टारर इस फिल्म को 30 दिसंबर को यू/ए सर्टिफिकेट के साथ पास कर दिया था, लेकिन साथ में पांच शर्ते भी थीं, जिसमें फिल्म का नाम बदल कर पद्मावती से पद्मावत करना और डिस्क्लेमर लगाना शामिल था। दरअसल पद्मावती का विरोध, चित्तौड़ की महारानी रानी पद्मिनी के गलत चरित्र चित्रण को लेकर शुरू हुआ था और उसके बाद पूरे देश में फिल्म के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन हुए।