Do Patti के लिए कृति सेनन ने लिया था शहीर शेख का ऑडिशन, ट्रोल होने से पहले ही एक्ट्रेस ने बताई इसकी वजह
फिल्म हीरोपंती से बॉलीवुड में कदम रखने वालीं कृति सेनन ने कम समय में एक बड़ी सफलता हासिल की है। 10 साल के बाद अब वह फिल्म दो पत्ती से बतौर निर्माता अपनी नई पारी खेलने जा रही हैं। हाल ही में कृति सेनन ने बताया कि उन्होंने टीवी अभिनेता शहीर शेख का फिल्म के लिए ऑडिशन क्यों लिया था।
स्मिता श्रीवास्तव, मुंबई। फिल्म ‘मिमी’ के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार जीतने वाली अभिनेत्री कृति सेनन अब फिल्म ‘दो पत्ती’ से निर्माता भी बन गई हैं। खास बात यह है कि फिल्म में वह पहली बार डबल रोल में नजर आएंगी। इस फिल्म की लेखिका व सहनिर्माता कनिका ढिल्लन भी दोहरी भूमिका में हैं। कृति और कनिका ने अपनी फिल्म पर दैनिक जागरण से की खास बातचीत।
सिनेमा में महिला सशक्तीकरण से होने वाले बदलावों को लेकर आपकी क्या राय है?
कृति : ईमानदारी से कहें तो समान अवसरों को क्रिएट करना तथा ऐसी कहानियां दिखाना, जिनमें कुछ बात कही जाए। सिर्फ अपने लिए नहीं, जिस क्रू के साथ आप काम कर रहे हैं, वहां पर भी एक तरह का संतुलन लाया जा सकता है। हम वही करने की कोशिश कर रहे हैं। हालांकि संतुलन लाने में थोड़ा समय लगेगा क्योंकि यह काफी बिगड़ा हुआ है। मुझे लगता है कि इसके लिए सामूहिक रूप से काम करना होगा।
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कनिका : मेरा मानना है कि हम सही दिशा में जा रहे हैं। लड़कियां लेखन कर रही हैं। कैमरे के पीछे भी उनकी संख्या बढ़ रही है। कैमरे के सामने भी सिर्फ रोमांटिक त्रिकोणीय संबंध नहीं रहा। एक लड़की का किरदार बहुत कुछ कह जाता है। सिनेमा में यह बहुत जरूरी है क्योंकि कहानियों की पहुंच इतनी ज्यादा है कि वो आपके समाज और मानसिकता पर बहुत गहरा असर छोड़ जाती हैं। यह बहुत अच्छी बात है कि औरतों के इतने सशक्त किरदार आ रहे हैं कि छोटे शहरों में भी लड़कियां, परिवार समझ पाएं कि लड़कियां बहुत कुछ कर सकती हैं।
दो पत्ती पिक्चर- Imdb
कृति : एक वो आदर्श लड़की, परफेक्ट गर्ल वाला विचार धीरे-धीरे टूट रहा है।कनिका : एक बात और कहना चाहूंगी कि यह जो आदर्श नारी है वो भी हमने सिनेमा से ही सीखी है। आम तौर पर पुरुष के नजरिए से सिनेमा में आदर्श मां, आदर्श पत्नी, बहन को त्याग की मूर्ति की तरह दिखाया गया है। अब उस त्याग को त्याग दो, उन्हें बराबरी का हक दो। वो कहानियां सुनाओ, जिनमें त्याग नहीं है, जिसमें उम्मीद हो, साहस हो, समानता है।
निर्माता बनने का अनुभव कैसा रहा?
कृति : मेरा अनुभव बहुत अच्छा रहा। मेरी हमेशा से इच्छा थी कि मैं कलाकार के आगे भी रचानात्मक चीजों का हिस्सा बनूं। कुछ-कुछ फिल्में ऐसी होती हैं जो आपके दिल को बहुत ज्यादा छू जाती हैं। आप उनके हर पहलू से जुड़ना चाहते हैं। इस फिल्म से मैं रचनात्मक रूप से बहुत संतुष्ट महसूस करती हूं। यह वो बच्चा है जिसे मैंने उसके जन्म के पहले दिन से बड़े होते हुए देखा। मेरा मतलब है कि कैसे सिर्फ एक आइडिया था, फिर यह स्क्रिप्ट बनी, कैसे हमने शूटिंग चालू की। इन सबसे जुड़ना बहुत संतुष्टकारी था।दो पत्ती पिक्चर- Imdb
कनिका (पहले सहनिर्माता रह चुकी हैं) : सहनिर्माता रहने से पहले मेरे पास अपनी भावनाओं, पसंद और नापसंद को जाहिर करने की ज्यादा स्वतंत्रता थी। फिल्म आपके पास पहले आती है तो उसकी बेहतरी के लिए आप थोड़ा भावुक हो जाते हैं। जब आप खुद ही निर्माता हैं तो आपको खुद को थोड़ा नियंत्रित करना सीखना पड़ता है। जो आपके मन में आए, वो आप नहीं कह सकते। तो मेरी सबसे बड़ी सीख यही रही है कि थोड़ा शांत बनो।