जिस आवाज ने Sharad Kelkar को दिया तगड़ा स्टारडम, उसी से नहीं है एक्टर को प्यार, खुद को बताया अपना सबसे बड़ा आलोचक
बाहुबली में प्रभास की आवाज बने एक्टर शरद केलकर की पॉपुलैरिटी इस फिल्म के बाद दोगुनी तेजी से बढ़ गई। मूवी की हिंदी डबिंग में प्रभास के किरदार के लिए शरद केलकर की आवाज काफी पसंद की गई। इसी के साथ उनकी डिमांड भी बढ़ गई। हालांकि जो आवाज आज शरद केलकर की पहचान बन गई है उससे प्यार न करने की नसीहत एक्टर ने दी है।
प्रियंका सिंह, मुंबई। एक ओर जहां हिंदी सिनेमा से कलाकार हॉलीवुड की ओर अपने कदम बढ़ा रहे हैं, वहीं ‘लक्ष्मी’ फिल्म के अभिनेता शरद केलकर का नाता हॉलीवुड के साथ तब से बना है, जब से उन्होंने वहां की कई फिल्मों की हिंदी डबिंग की है। हालांकि, वहां की फिल्मों में अभिनय करने को लेकर बात अब तक नहीं बनी है।
शरद कहते हैं, ''मेरा मन है कि मैं हॉलीवुड में काम करूं। वहां दो-तीन आडिशन दिए हैं, लेकिन मैं चुना नहीं गया। हो सकता है कि किसी ने मुझसे बेहतर किया हो। हालांकि, इसमें भी 25 प्रतिशत मेरा मानना है कि किसी ने बेहतर किया होगा, चुने जाने का 75 प्रतिशत कुछ और ही कारण होता है। यह नहीं कहूंगा कि ऐसा इसलिए हैं, क्योंकि मैं आइटसाइडर हूं।''
शरद ने आगे कहा, ''इस इंडस्ट्री में काम करते हुए मुझे भी 10-12 साल हो गए हैं, लेकिन यह बात सच है कि हर किसी की यहां काम करने को लेकर प्राथमिकताएं और पसंद तय हैं। कुछ लोगों की कुछ लोगों से करीबियां हैं, जिसके चलते मेकर्स बार-बार उन्हीं के साथ काम करना पसंद करते है। खैर, मैं अपना काम करता रहता हूं। मैं ऑडिशन देकर अपनी छोटी-छोटी कोशिश करता रहता हूं। वहां काम मिले न मिले, लेकिन मेरी अंग्रेजी इससे जरूर बेहतर हो जाती है। मैं हिंदी मीडियम से पढ़ा हूं, वहां से आकर इतनी अच्छी अंग्रेजी बोल पाना मेरे लिए उपलब्धि ही है।''
खुद की आवाज से नहीं होना चाहिए प्यार
भले ही विदेशी फिल्म में शरद अभिनय की चाह रखते हों, लेकिन उनकी आवाज कई कलाकारों की पहचान बनी हुई है। फिर चाहे वह हॉलीवुड कलाकार हो या बॉलीवुड। शरद कहते हैं, ''मुझे किसी ने काफी पहले एक बात कही थी, जिसे मैंने गांठ बांधकर अपने पास रखा ली थी कि एक कलाकार को खुद की आवाज से प्यार नहीं होना चाहिए। ऐसा करने पर उसका सारा ध्यान केवल अपनी आवाज पर चला जाता है और सारी कलाकारी धरी की धरी रह जाती है।'''मैं अपना सबसे बड़ा आलोचक'
उन्होंने कहा, ''मैंने कई ऐसे कलाकार देखे हैं, जिनकी आवाज बहुत अच्छी थी, लेकिन फिर वह अपनी आवाज के प्यार में ही पागल हो गए और परफार्मेंस पर ध्यान नहीं रहा। हिंदी सिनेमा में ही नहीं, विदेश में भी ऐसे कई कलाकार हैं। मैंने काफी पहले समझ लिया था कि आपको अपनी आवाज से प्यार नहीं करना है, बल्कि लोगों को प्यार करने देना है। लोगों की तारीफ अच्छी लगती है। चाहे आवाज हो या कलाकारी, खुद अपनी प्रशंसा न करें। वरना आपको पता नहीं चलेगा कि आप तो और भी अच्छा कर सकते थे। आपका विकास वहीं रुक जाएगा। मैं तो अपना सबसे बड़ा आलोचक हूं। अपनी हर फिल्म में अपना अभिनय देखता हूं, फिर खुद को ही बुरा-भला कहता हूं कि ऐसा भी तो कर सकता था। मैं अकेला नहीं हूं, ज्यादातर कलाकार ऐसा करते हैं।''
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