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Throwback: ‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में…’, गाने का किस्सा है रोचक, इस शायर से उधार ली गई थीं लाइनें

फिल्म चिराग के मशहूर गाने ‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है’ को गढ़ने का किस्सा काफी रोचक है। इस गाने की प्रेरणा फैज अहमद फैज की नज्म से ली गई थी। जब जाने-माने गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी इसके इर्द-गिर्द लाइनें लिखने में सफल नहीं हो पाए तो उन्होंने फैज साहब से इसके लिए मदद मांगी थी। आइए इस दिलचस्प किस्से के बारे में जान लेते हैं।

By Sahil Ohlyan Edited By: Sahil Ohlyan Updated: Tue, 19 Nov 2024 05:50 PM (IST)
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फहज अहमद फैज और गीतकार मजरूह सुल्तानपुरी (Photo Credit- Jagran)
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। इश्क-मोहब्बत की बात के लिए सबसे पहले जहन में फैज अहमद फैज का नाम आता है। सोशल मीडिया के जमाने में भी उनके नगमे गुनगुनाए जाते हैं। दिल की बात, जुबां तक लाने के सफर को सहज बनाने वाले को ही नगमा निगार फैज अहमद फैज साहब के नाम से जाना जाता है। 20 नवंबर 1984 को उन्होंने दुनिया को अलविदा जरूर कह दिया, लेकिन उनकी शायरी, गीत और नगमे लोगों के बीच अमर हैं। जब फैज साहब की होती है, तो उनसे जुड़े अनगिनत किस्से ध्यान में आते हैं। आज बात उस किस्से की कर रहे हैं, जब गीतकार और उर्दू के मशहूर शायर मजरूह सुल्तानपुरी के सामने फैज साहब ने अपनी दरियादिली दिखाई थी।

किस्सा फैज अहमद फैज की उस नजम से जुड़ा है, जिसकी पहली लाइन है- ‘पहली सी मोहब्बत मेरे महबूब न मांग।’ साल 1969 की बात है, जब जाने-माने डायरेक्टर राज खोसला चिराग फिल्म बना रहे थे। इस दौरान उन्होंने फैज अहमद फैज की इस नज्म को सुन लिया। इसके बाद उनकी जुबां पर फैज साहब की नजम चढ़ गई। इसकी एक लाइन वह अक्सर गुनगुनाते रहते थे, जो है ‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में क्या रखा।’ मशहूर निर्देशक ने संगीतकार मजरूह सुल्तानपुरी से इस लाइन पर एक गाना लिखने के लिए कहा।

Photo Credit- Jagran

लाइन के आसपास गाना लिखने में मजरूह नाकाम रहे

हिंदी सिनेमा में मजरूह सुल्तानपुरी का नाम अदब से लिया जाता है। संगीत की दुनिया में उन्होंने एक से बढ़कर एक गाने लिखे हैं। हालांकि, फैज साहब की लाइन के आसपास लिखने की तमाम कोशिशों के बाद भी मजरूह सफल नहीं हो पाए। राज खोसला को उनकी लिखी हुई लाइन पसंद नहीं आईं।

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मजरूह नहीं चाहते थे कि फिल्म इंडस्ट्री में कहा जाए कि उन्होंने गाने की लाइन किसी दूसरे शायर से उधार ली है। दरअसल, वह खुद एक बड़े शायर थे। यही कारण रहा कि उन्होंने उस लाइन के इर्द-गिर्द काफी कुछ लिखने की कोशिश की।

Photo Credit- Jagran

फैज साहब ने दी नगमे से लाइन लेने की इजाजत दी

मजरूह ने तमाम कोशिश करने के बाद फैज साहब से लाइन लेने की इजाजत मांगने का मन बनाया। फैज साहब ने उन्हें नगमे से लाइन लेने की परमिशन दे दी। इसके बाद मजरूह ने संगीत जगत के उस मशहूर गाने को बनाया। जिसकी लाइन है, ‘तेरी आंखों के सिवा दुनिया में रखा क्या है, ये उठे सुबह चले, ये झुकें शाम ढले। मेरा मरना, मेरा जीना, इन्हीं पलकों के तले।’ बाद में यह गाना सफल हुआ और आज भी सुना जाता है।

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