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Manna Dey ने 'एक चतुर नार' गाने से कर दिया था इनकार, बिग फैन थे मोहम्मद रफी, जानें- मशहूर गायक के अनोखे किस्से

Manna Dey Death Anniversary हिंदी सिनेमा गायकों में से एक मन्ना डे को आखिर कौन नहीं जानता है। एक चतुर नार और ये दोस्ती हम नहीं तोड़ेंगे जैसे गानों को अपनी आवाज देने वाले मन्ना के चाहने वालों में एक नाम मोहम्मद रफी का भी था। मन्ना के गाने जितने बेहतरीन थे उनके किस्से भी उतने ही दिलचस्प हैं। जानिए उनसे जुड़ी अनसुने किस्से।

By Rinki TiwariEdited By: Rinki TiwariUpdated: Mon, 23 Oct 2023 09:34 PM (IST)
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कठिन गानों को आसान बनाने वाले मन्ना डे के बारे में जानिए दिलचस्प किस्से। (फोटो क्रेडिट- ट्विटर)
 एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। Manna Dey Death Anniversary: सिनेमा जगत में जब-जब दिग्गज गायकों का जिक्र होगा, उस लिस्ट में सिर्फ लता मंगेशकर, किशोर कुमार और मोहम्मद रफी का नहीं बल्कि मन्ना डे का भी नाम जरूर लिया जाएगा। भले ही 3500 से ज्यादा गानों को आवाज देने वाले मन्ना डे (Manna Dey) को लोग उनके नाम से कम जानते हैं, लेकिन उनके गाने 'एक चतुर नार' और 'ये दोस्ती' आज भी लोग चटकारे लेकर गुनगुनाते हैं।

मन्ना डे ने अपनी पूरी जिंदगी म्यूजिक को समर्पित की। उन्हें मुश्किलों गानों का महारथी कहा जाता था। कहते हैं- जो गाने मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के बस के नहीं होते थे, उसे मन्ना बड़ी सहजता से गा लिया करते थे। उन्होंने अपने करियर में कई सदाबहार गाने गाएं, जिसे आज भी बड़े चाव से सुना जाता है।

भले ही आज मन्ना डे इस दुनिया में नहीं हैं, लेकिन वह अपने गानों के चलते हमेशा अपने चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेंगे। 24 अक्टूबर 2013 को मन्ना डे ने आखिरी सांस ली थी। 10वीं पुण्यतिथि पर जानिए मन्ना डे के दिलचस्प किस्से...

मन्ना डे को वकील बनाना चाहते थे पिता

1 मई 1919 को कोलकाता में जन्मे प्रबोध चंद्र डे (Prabhodh Chandra Dey) जिन्हें मन्ना डे के नाम से जाना जाता है, एक बंगाली परिवार से ताल्लुक रखते थे। स्कॉटिश चर्च कॉलेज में पढ़ाई करने के दौरान मन्ना रेस्टलिंग और बॉक्सिंग में पार्टिसिपेट किया करते थे।

कहा जाता है कि उनके पिता का सपना था कि मन्ना डे एक वकील बने, लेकिन उनका मन तो म्यूजिक में लगा था। मन्ना डे को म्यूजिक की राह दिखाने में उनके अंकल कृष्ण चंद्र डे और उस्ताद दाबिर खान ने मदद की, जिनसे उन्होंने संगीत की तालीम ली। वह उन्हें अपना गुरू मानते थे।

सुरैया के साथ मन्ना डे ने किया डेब्यू

अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए मन्ना डे अपने अंकल कृष्ण चंद्र डे के साथ मुंबई आ गए। साल 1939 से 1942 तक मन्ना डे ने कई म्यूजिक डायरेक्टर्स को असिस्ट किया। फिर उन्हें साल 1942 में आई फिल्म 'तमन्ना' से बड़ा ब्रेक मिला, जिसने उनकी किस्मत बदल दी। बतौर प्लेबैक सिंगर उनका पहला गाना था- 'जागो आई उषा पोंची बोले जागो', जिसे उन्होंने मशहूर सिंगर सुरैया (Suraiya) के साथ गाया था।

Manna Dey

फोटो क्रेडिट- ट्विटर (मूवीज एंड मेमोरीज)

मन्ना डे ने साल 1943 में फिल्म 'राम राज्य' के लिए पहली बार सोलो गाया। ये दिग्गज गायक के लिए इसलिए भी स्पेशल थी, क्योंकि ये एकमात्र फिल्म थी, जिसे महात्मा गांधी ने देखा था। दिलचस्प बात ये है कि इस फिल्म के लिए गाने का पहला ऑफर कृष्ण चंद्र डे को मिला था, उनके मना करने के बाद प्रोड्यूसर विजय भट्ट और कंपोजर शंकर राव ने मन्ना डे को दिया। उनका गाना 'गई तू गई सीता सती' खूब पसंद किया गया था।

मन्ना डे के फैन थे मोहम्मद रफी

हिंदी, बंगाली, गुजराती, कन्नड़ और असमी समेत कई भाषाओं में गाने के लिए मशहूर मन्ना डे का 50 से 70 के दशक में म्यूजिक इंडस्ट्री पर राज था। मोहम्मद रफी, जिनके गानों के लोग दीवाने थे, एक बार उन्होंने कहा था कि हर कोई उनका गाना सुनता है, लेकिन वह सिर्फ मन्ना डे के गाने सुनते हैं। उन्होंने खुद को मन्ना डे का बड़ा फैन बताया था।

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चार्टबस्टर सॉन्ग 'एक चतुर नार' नहीं गाना चाहते थे मन्ना डे!

जब भी बात मन्ना डे के बेहतरीन गानों की आएगी तो 'एक चतुर नार' (Ek Chatur Naar) गाना जरूर याद किया जाएगा। साल 1968 में आई फिल्म 'पड़ोसन' का ये गाना सुपरहिट हुआ था, जो आज भी लोग गुनगुनाना पसंद करते हैं। मगर कम लोग जानते हैं कि मन्ना डे ने पहले ये गाना गाने से इनकार कर दिया था। जी हां, किशोर कुमार और महमूद पर फिल्माए गए गाने में कुछ मजाकिया शब्द थे, जिसकी वजह से मन्ना ने गाने से इनकार कर दिया था।

मन्ना डे का कहना था कि वह म्यूजिक के साथ मजाक नहीं कर सकते हैं। उनके लिए तो कुछ शब्द बदले दिए गए, लेकिन जब किशोर कुमार ने अपना पार्ट गाया तो मन्ना डे को अच्छा नहीं लगा। कहा जाता है कि उन्होंने इस गाने में वो बोल नहीं गाए, जो उन्हें नहीं पसंद थे। खैर, ये गाना सदाबहार गानों में से एक बन गया।

राजेश खन्ना के फैन थे मन्ना डे

जिस सिंगर की फैन पूरी दुनिया थे, वह बॉलीवुड के पहले सुपरस्टार राजेश खन्ना (Rajesh Khanna) के फैन थे। मन्ना डे अभिनेता राजेश को इसलिए पसंद करते थे, क्योंकि वह सभी गानों को बहुत खूबसूरती के साथ फिल्माते थे। मन्ना दा का कहना था कि वह गानों को जीवित कर देते थे। उन्होंने यहां तक कहा था, "मैं हमेशा उनका (राजेश) कर्जदार रहूंगा।"

मन्ना डे की ऑटोबायोग्राफी

मन्ना डे पर किताब लिखी गई- जिबोनेर जलसाघोरे (Jiboner Jalsaghorey), जो बाद में 'मेमोरीज कम अलाइव' (इंगलिश में) और 'यादें जी उठी' (हिंदी में) भी पब्लिश किया गया था। एक इंटरव्यू में कल्याणजी ने कहा था कि उन्होंने पहले कभी मन्ना डे जैसा एजुकेटेड सिंगर नहीं देखा। बता दें कि उन्होंने अपने करियर में सबसे ज्यादा गाने आशा भोसले, मोहम्मद रफी और किशोर कुमार के साथ गाए थे।

मन्ना डे के अवॉर्ड्स

  • पद्म श्री (1971)
  • पद्म भूषण (2005)
  • दादा साहेब फाल्के अवॉर्ड (2007)
  • बंगा विभूषण (2011)

मन्ना डे के मशहूर गाने

  • एक चतुर नार करके श्रंगार
  • तू प्यार का सागर है
  • बाबू समझो इशारे
  • आजा सनम मधुर चंदन में
  • ये दोस्ती हम नहीं
  • प्यार हुआ इकरार हुआ
  • ये रात भीगी भीगी
  • ए भाई जरा देख के चलो
  • जहां मैं जाती हूं
  • अभी तो हाथ में जाम है
  • झनक झनक तोरि बाजे पायलिया
  • ना मांगू सोना चांदी
  • जिसका कोई नहीं
  • चुनरी संभाल गोरी
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