120 रुपये लेकर दिल्ली आये थे Manoj Bajpayee, नहीं झेल पा रहे थे संघर्ष, बोले- 'सुसाइड के ख्याल आने...'
Manoj Bajpayee इन दिनों अपनी फिल्म भैया जी को लेकर चर्चा में हैं। अभिनेता की फिल्म पिछले हफ्ते थिएटर्स में रिलीज हुई थी। फिल्म के प्रमोशन के बीच अभिनेता ने उस बुरे फेज को याद किया है जब वह 10 साल से करियर बनाने के लिए संघर्ष कर रहे थे। एक बार तो उन्हें तीन-तीन रिजेक्शन मिला जिससे वह डिप्रेशन में चले गये थे।
एंटरटेनमेंट डेस्क, नई दिल्ली। मनोज बाजपेयी (Manoj Bajpayee) भले ही आज हिंदी सिनेमा के दिग्गज अभिनेताओं में शुमार हैं, लेकिन उन्हें इस मुकाम तक पहुंचने में काफी संघर्ष करना पड़ा है। बचपन से ही वह अभिनेता बनने का सपना देखते थे। फिर सपनों को पूरा करने के लिए वह बिहार से दिल्ली आ गये। वह कोई बहुत अमीर घराने से नहीं थे। एक किसान के बेटे थे। ऐसे में गुजारा करने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा।
जब मनोज बाजपेयी दिल्ली आये तो उनका सिर्फ एक लक्ष्य था, जैसे-तैसे नेशनल स्कूल ऑफ ड्रामा (NSD) में एडमिशन मिल जाये। मगर एडमिशन मिलना जरा भी आसान नहीं था। वह इसके लिए तीन बार रिजेक्ट हुए। इस वजह से वह इतने हताश हो गये कि निराशा में उन्हें सुसाइड करने तक का ख्याल आने लगा था।यह भी पढ़ें- Manoj Bajpayee को ऑफर हुई थी 'देवदास', शाह रुख खान की वजह से ठुकराई थी फिल्म, बोले- 'मुझे पछतावा है...'
मनोज बाजपेयी को आये सुसाइड के ख्याल
एएनआई के साथ बातचीत में 'भैया जी' स्टार ने उस बुरे फेज को याद किया है। मनोज बाजपेयी ने कहा-
मैं इतने डिप्रेशन में चला गया कि मुझे नहीं पता था कि अपने करीबियों और प्रियजनों का सामना कैसे करना है। और जब आपके पास सिर्फ़ एक ही प्लान होता है तो आपको लगता है कि सारे दरवाजे बंद हो गए हैं। इसी दौरान मेरे मन में आत्महत्या का ख्याल आया और लोगों ने इसे सुर्खियाँ बना दिया, लेकिन ऐसा नहीं था, यह बस एक ऐसी घटना थी जो डिप्रेशन में लोग महसूस करते हैं।
120 रुपये लेकर दिल्ली आये थे मनोज बाजपेयी
यूट्यूबर सुशांत सिन्हा के साथ बातचीत में मनोज बाजपेयी ने बताया कि वह सिर्फ 120 रुपये लेकर बिहार से दिल्ली आये थे। उनके पास न घर था और ना ही खाने के लिए इतने पैसे। उस वक्त उनके एक दोस्त ने उनकी मदद की। वह अपने फ्रेंड समेत 5 लोगों के साथ एक फ्लैट में रहते थे। छोटे-मोटे काम करके उन्हें गुजारा करना पड़ता था।मनोज बाजपेयी ने बताया कि दिल्ली के आने के बाद उनका चैलेंज हिंदी और इंगलिश सीखना भी था। टीचर उन्हें पहले भाषा सीखने और फिर रिहर्सल करने की सलाह देते थे। वह मेंटली बहुत परेशान हो गये थे। उन्होंने 10 साल तक संघर्ष किया।यह भी पढ़ें- गुलशन कुमार की हत्या के बाद रुक गई थी 'सत्या' की शूटिंग, डिप्रेशन में चले गये थे Manoj Bajpayee